जीवन केन्द्रित पाठ्यक्रम का अर्थ और विशेषताएं (Life Centered Curriculum in Hindi) पाठ्यक्रम / पाठ्यचर्या का जीवन केन्द्रित प्रारूप हर्बर्ट स्पेंसर के
जीवन केन्द्रित पाठ्यक्रम का अर्थ और विशेषताएं (Life Centered Curriculum in Hindi)
पाठ्यक्रम / पाठ्यचर्या का जीवन केन्द्रित प्रारूप हर्बर्ट स्पेंसर के पाठयचर्या संबंधी लेखों पर आधारित है। उन्होंने अपने पाठ्यचर्या संबंधी लेखों में उन क्रिया-कलापों जो जीवन को उन्नत करता है, व्यक्ति विशेष के सामाजिक और राजनैतिक संबंधों को बनाए रखता है, अवकाश के समय में तथा कार्य एवं महसूस करने की क्षमता में वृद्धि करता है, पर बल दिया गया है। जीवन केन्द्रित पाठ्यक्रम प्रारुप भी इससे प्रकार की क्रियाओं को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर बल देता है। पाठ्यक्रम का जीवन केन्द्रित प्रारुप मुख्य रुप से तीन मान्याताओं पर आधारित है:
जीवन की जटिल परिस्थितियाँ समाज को बेहतर एवं सफल कार्य प्राणली के लिए महत्वपूर्ण है परिणामस्वरुप उनको केन्द्र में रखकर एक पाठ्यचर्या बनाना आवश्यक है;
विद्यार्थी जो पढ़ते हैं, उसकी प्रासंगिकता सामाजिक जीवन के संदर्भ में देखते हैं, यदि पाठ्यवस्तु सामाजिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखकर संगठित किया गया है। विद्यार्थी समाज के विकास में प्रत्यक्ष रुप से सहभागी होंगे।
इस प्रकार जब पाठ्यचर्या प्रारूप का निर्माण विद्यार्थी की सामाजिक विकास में प्रत्यक्ष सहभागिता को बढ़ाने के उद्देश्य के साथ, विद्यार्थी के विगत एवं वर्तमान अनुभवों के द्वार जीवन के आधारभूत क्षेत्रों का विश्लेषण कर, उन क्षेत्रों को विकसित करनेवाले कार्य-कलापों को केन्द्र में रखकर किया जाता है, तो उसे जीवन- परिस्थिति पाठ्यचर्या प्रारूप कहते हैं। अति सरल शब्दों में यदि कहा जाय तो पाठ्यचर्या का यह प्रारूप जीवन की विभिन्न परिस्थितियों एवं समस्याओं जैसे स्वास्थ्य, आवास, व्यवसाय, नैतिकता आदि पर आधारित होता है।
जीवन केन्द्रित पाठ्यक्रम की विशेषताएं
- पाठ्यवस्तु का जीवन की वास्तविक परिस्थितियों से संबंधित होने के कारण, पाठयचर्या की प्रासंगिकता में वृद्धि हो जाती है।
- विषयवस्तु को खंडों के बजाय एक समग्र इकाई के रुप में प्रस्तुत करता है; तथा
- समस्या समाधान विधि का पाठ्यचर्या के इस प्रारूप में बहुत प्रयोग किया जाता है।
जीवन केन्द्रित पाठ्यक्रम की सीमाएं
- अधिगम के आवश्यक क्षेत्रों एवं उसके क्रम को कैसे निर्धारित किया जाएगा, पाठ्यचर्या का यह प, इस विषय पर मौन है।
- विद्यार्थियों को उनके सांस्कृतिक विरासत से बहुत अधिक परिचित नहीं करा पाता है।
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