प्रकृतिवाद व शिक्षा के उद्देश्य (Aims of Naturalism in Education in Hindi) शिक्षा द्वारा बालक को प्राकृत जीवन व्यतीत करने हेतु तैयार करना।, बालक की प
प्रकृतिवाद व शिक्षा के उद्देश्य (Aims of Naturalism in Education in Hindi)
प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री रूसो (Rousseau) ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य मानव को प्रकृति के अनुकूल जीवन व्यतीत करने हेतु योग्य बनाना है। शिक्षा के द्वारा हम मानव में कुछ नया उत्पन्न नहीं करते वरन् मानव की मौलिकता को बनाये रखने का प्रयास करते हैं और मानव संसर्ग के फलस्वरूप उसमें जो कृत्रिमता आ जाती है, उसका विनाश करने का प्रयास करते हैं। रूसो ने कहा कि “रोजमर्रा के व्यवहार को (समाज सम्मत व्यवहार को) बदल डालो और सदा सर्वदा तुम्हारा कृत्य सही होगा।” रूसो ने हर स्थान पर सामाजिक संस्थाओं की अवहेलना की है। वह कहता है कि ‘“मानवीय संस्थाएं मूर्खता तथा विरोधाभास के समूह हैं। ” परन्तु वह प्रकृति को ईश्वरीय सृष्टि मानता है और मनुष्य को ईश्वरीय कृति।
जैवकीय प्रकृतिवाद के अनुसार शिक्षा के तीन प्रमुख उद्देश्य माने जाते है:-
- व्यक्ति को इस योग्य बनाना जिससे कि वह इस जगत में अपने आपको जीवित रख सके, जीवन के संघर्षो का मुकाबला कर सके तथा सफलता प्राप्त करने हेतु प्रयास कर सके।
- शिक्षा का उद्देश्य है व्यक्ति को उसके वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करने की योग्यता प्रदान करना।
- बर्नार्ड शॉ के अनुसार, “शिक्षा का उद्देश्य एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जातीय संस्कृति का संरक्षण, हस्तान्तरण व वृद्धि होना चाहिए। यह उद्देश्य आदर्शवादी उद्देश्य के निकट है। "
प्रकृतिवाद के अनुसार हम शिक्षा के निम्न उद्देश्य बता सकते है -
- शिक्षा द्वारा बालक को प्राकृत जीवन व्यतीत करने हेतु तैयार करना।
- बालक की प्राकृतिक शक्तियों का विकास करना।
- बालक को इस प्रकार का ज्ञान व दक्षता प्रदान करना जिससे कि वह अपने पर्यावरण के साथ समायोजित हो सके।
- मानव में उचित तथा उपयोगी सहज क्रियाओं को उत्पन्न करना अर्थात् मनुष्य में शिक्षा द्वारा ऐसी आदतों एवं शक्तियों का विकास करना जो मशीन के पुर्जे की भांति अवसरानुकूल प्रयुक्त की जा सकें।
- बालक को जीवन संघर्षो के योग्य बनाना।
- जातीय निष्पत्तियों का संरक्षण करना व विकास करना।
- बालक का आत्मसंरक्षण व आत्मसंतोष की प्राप्ति।
- मूल प्रवृत्तियों का शोधन एवं मार्गान्तरीकरण।
- बालक के व्यक्तित्व का स्वतंत्र विकास।
प्रकृतिवाद व पाठ्यक्रम Naturalism of Curriculum
प्रकृतिवाद के शिक्षा के उद्देश्य के संबंध में स्पेन्सर ने पांच उद्देश्यों की चर्चा की है। वह प्रकृतिवाद के पाठ्यक्रम को भी इन उद्देश्यों की पूर्ति का एक साधन मानते हुए कहते है:- वास्तव में यदि देखा जाए तो प्रकृतिवादी पाठ्यक्रम का संगठन अपने ही ढंग से करते है और मानते है कि बालक की प्रकृति, नैसर्गिक रूचि, योग्यता, अनुभव व स्वाभाविक क्रियाओं के आधार पर ही पाठ्यक्रम का संगठन होना चाहिए और पाठ्यक्रम में वह विषय रखे जाने चाहिए जो बालक के विकास की विभिन्न अवस्थाओं के अनुरूप हों। पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धान्तों के संबंध में प्रकृतिवादी विचारधारा प्रकार है:-
- पाठ्यक्रम निर्माण का आधार बालक हो ।
- पाठ्यक्रम में विज्ञान विषयों को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाए।
- पाठ्यक्रम व्यवहारिक व जीवनोपयोगी हो ।
- पाठ्यक्रम अनुभव - केन्द्रित हो ।
प्रकृतिवाद व अनुशासन Naturalism and Discipline
प्रक्रतिवादी दार्शनिक बाध्य अनुशासन पर विश्वास नही करते । वे स्वतंत्रता के पक्षधर हैं। रूसो के अनुसार "बच्चों को कभी दंडित नहीं किया जाना चाहिए, स्वतंत्रता, न कि शक्ति, सबसे अच्छी चीज है।“ प्रकतिवादी प्राकृतिक परिणामो के द्वारा प्रेरित अनुशासन पर बल देते हैं। उदाहरणार्थ – जब बालक गिरता है या अपने सिर को मेज पर पटकता है, तो उसे दर्द मालूम पड़ता है। इस की याद उसे और अधिक सावधान बना देती है। दर्द के इस प्रकार के बार-बार होने वाले अनुभवों के कारण वह अंत में अपने कार्यों में अनुशासित हो जाता है। परंतु यह सिद्धांत प्रत्येक आयु वर्ग के बालकों पर लागू नही हो सकता ।
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