रेखाचित्र और संस्मरण में अंतर बताइए: रेखाचित्र और संस्मरण हिंदी साहित्य की नवीन विधाएँ हैं। जब किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, घटना, दृश्य आदि का इस प्रका
रेखाचित्र और संस्मरण में अंतर बताइए
रेखाचित्र और संस्मरण हिंदी साहित्य की नवीन विधाएँ हैं। जब किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, घटना, दृश्य आदि का इस प्रकार वर्णन किया जाता है कि पाठक के मन पर उसका हू-ब-हू चित्र बन जाता है तो उसे रेखाचित्र कहते हैं। इसके विपरीत जब लेखक अपने या किसी अन्य व्यक्ति के जीवन में बीती किसी घटना अथवा दृश्य का स्मरण कर उसका वर्णन करता है तो उसे संस्मरण कहते हैं। रेखाचित्र में वर्णन का हू-ब-हू होना आवश्यक है और संस्मरण में उसका स्मृति के आधार पर लिखा जाना। एक अन्य बात यह भी है कि रेखाचित्र में लेखक का वर्णित घटना, व्यक्ति आदि के साथ निजी संबंध होना आवश्यक नहीं है, जबकि संस्मरण के लिए यह आवश्यक है। संस्मरण लिखने के लिए यह जरूरी है कि लेखक का वर्णित व्यक्ति, घटना आदि के साथ व्यक्तिगत संबंध रहा हो।
रेखाचित्र और संस्मरण में अंतर
संस्मरण | रेखाचित्र |
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संस्मरण अतीत का ही हो सकता है, वर्तमान या भविष्य का नहीं। | रेखाचित्र अतीत का भी हो सकता है, वर्तमान का भी और यदि लेखक के मन में भविष्य का कोई चित्र है तो उसका भी हो सकता है। |
संस्मरण में लेखक उन्हीं तथ्यों का वर्णन करता है जो वास्तव में घटित हो चुके हैं। उसे अपनी कल्पना से कुछ भी जोड़ने की छूट नहीं है। | रेखाचित्र में इस प्रकार का कोई बंधन नहीं है। |
संस्मरण में लेखक के निजी विचार किसी-न-किसी प्रकार आ ही जाते हैं, क्योंकि उसका संबंध उसके अपने जीवन से होता है। | रेखाचित्र में लेखक के निजी व्यक्तित्व का कोई महत्त्व नहीं होता। |
विस्तार संस्मरण की विशेषता है। प्रसंगों को याद करते समय लेखक उन्हें रुचिकर बनाकर प्रस्तुत करता है और कहानी कहने के लहजे का उपयोग करता है। | इससे वर्णन में फैलाव आता है। कम से कम शब्दों का उपयोग कर बात रखने की कला का रेखाचित्र में विशेष महत्त्व है। अनावश्यक विस्तार रेखाचित्र को भोंडा बना देता है। |
संस्मरण कभी जीवनी के निकट चला आता है, कभी आत्मकथा के। यदि लेखक अपने व्यक्तिगत जीवन की घटनाओं को याद करता है तो वह 'आत्मकथा' के निकट आ जाता है और यदि अन्य व्यक्ति के साथ घटी घटनाओं को याद करता है तो वह 'जीवनी' के निकट पहुँच जाता है। मुख्य बात यह है कि इसमें लेखक या किसी अन्य व्यक्ति के जीवन का कोई पक्ष सामने अवश्य आता है। इसके साथ, सबसे बड़ी बात यह है कि वह वर्णन इस प्रकार करता है, मानो बीती घटनाओं को याद कर रहा हो। | रेखाचित्र में वर्णन इतना सुगठित और प्रभावपूर्ण होना चाहिए कि उसका चित्र पाठक के सामने उपस्थित हो जाए। ऐसा लगे कि किसी चित्रकार का बनाया हुआ चित्र आँखों के सामने है। शब्दों के द्वारा चित्र अंकित करने के इस गुण को चित्रात्मकता कहते हैं। यह रेखाचित्र की बहुत बड़ी विशेषता है। वास्तव में रेखाचित्रकार का काम शब्दों के द्वारा चित्रों की श्रृंखला प्रस्तुत करने का है। |
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