स्मृति स्तर, बोध स्तर तथा चिंतन स्तर में अंतर
स्मृति स्तर, बोध स्तर तथा चिंतन स्तर में अंतर
विशेषताएँ (Characteristics) | स्मृति स्तर (Memory Level) | बोध स्तर (Understanding Level) | चिंतन स्तर (Reflective Level) |
---|---|---|---|
मानसिक धरातल मुख्य उद्देश्य | बहुत निम्न, कम से कम विचारयुक्त तथ्य व सूचनाओं को ग्रहण करना (ज्ञानात्मक उद्देश्य) । | संतोषजनक तथा मध्यम श्रेणी का विचारवान तथ्य एवं सूचनाओं को पूरी तरह समझकर ग्रहण करना (ज्ञानात्मक बोधात्मक उद्देश्य) । | सर्वोच्च, अधिक विचारयुक्त तथ्यों एवं सूचनाओं संबंधी समझ के अतिरिक्त तथ्यों की छानबीन, अंवेषण तथा समस्या-समाधान योग्यता विकसित करना। |
विषय-वस्तु की प्रकृति एवं प्रस्तुतीकरण | नियोजित एवं नियंत्रित, रटकर याद करने हेतु तथ्यों को क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत करना। | नियोजित एवं नियंत्रित क्रमबद्ध ऐसा प्रस्तुतीकरण जो तथ्यों को भली भाँति समझकर ग्रहण करने में सहायक हो। | अनियोजित एवं परिस्थिति निर्भर बहुधा समस्या पैदा होने तथा उसके समाधान के रूप में। |
शिक्षक की भूमिका | सशक्त एवं अधिनायकवादी सभी प्रकार का ज्ञान स्वयं ही प्रस्तुत करना। | सशक्त एवं अधिनायकवादी ज्ञान को ऐसे ढंग से प्रस्तुत करना कि उसे समझकर ग्रहण किया जा सके। | सहयोगी एवं जनतांत्रिक विद्यार्थियों को स्वतंत्र मौलिक चिंतन और समस्या समाधान में सहायता करना। |
अधिगमकर्त्ता की भूमिका | बहुत गौण एवं निष्क्रिय प्रस्तुत तथ्यों को रटकर याद रखने तक सीमित। | गौण एवं निष्क्रिय परंतु ज्ञान को समझकर ग्रहण करने और उसका उपयोग करने की चेष्टा। | काफी सशक्त एवं महत्त्वपूर्ण स्वयं सीखने और समस्या को स्वयं हल करने की दिशा में काफी सक्रिय। |
अभिप्रेरणा का स्रोत प्रयुक्त विधियाँ | बाह्य विषय केंद्रित एवं अध्यापक प्रधान, रटकर याद करने को प्रमुखता देने वाली। | बाह्य विषय केंद्रित परंतु सार्थक तथा उपयोगी अधिगम में सहायक। | आंतरिक विद्यार्थी केंद्रित समस्या समाधान योग्यता और अनुसंधानात्मक दृष्टिकोण में सहायक। |
कक्षा का वातावरण | नितांत नीरस तथा बोझिल, अंतः क्रिया और छात्र गतिविधियां लगभग शून्य। | अंतःक्रिया की दृष्टि से मध्यम प्रकार का, छात्रों को बोध हेतु स्पष्टीकरण लेने की छूट। | काफी सक्रिय, सजीव एवं प्रेरणादायक आलोचना, वाद-विवाद एवं स्वतंत्र रूप से ज्ञान प्राप्ति के लिये समुचित अवसर। |
परीक्षण विधियाँ | ऐसी विधियाँ जिनके द्वारा रटे हुए ज्ञान की जाँच हो सके। प्रत्यास्मरण तथा पहचान करने संबंधी वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को प्राथमिकता। | ऐसी विधियाँ जिनसे ज्ञान के साथ-साथ बोधात्मक योग्यता की जाँच हो सके। मौखिक, लिखित तथा प्रयोगात्मक तीनों प्रकार की परीक्षाओं का प्रयोग, लघु उत्तर वाले ऐसे प्रश्नों का चयन जिनसे समझ तथा सूझ-बूझ की जाँच हो सके। | ऐसी विधियाँ जिनसे मौलिक चिंतन सृजनात्मक, अनुसंधानात्मक दृष्टिकोण तथा समस्या समाधान योग्यता की जाँच हो सके। निबंधात्मक तथा खुले उत्तर वाले प्रश्नों को प्राथमिकता। |
COMMENTS