रसीला का चरित्र चित्रण - Raseela ka Charitra Chitran: रसीला “बात अठन्नी की कहानी” कहानी का मुख्य पात्र है। वह एक गरीब आदमी है जो बाबू जगत सिंह का नौकर
रसीला का चरित्र चित्रण - Raseela ka Charitra Chitran
रसीला का चरित्र चित्रण: रसीला "बात अठन्नी की" कहानी का मुख्य पात्र है। वह एक गरीब आदमी है जो बाबू जगतसिंह का नौकर है। उसका वेतन केवल 10 रुपये महीना है जिससे उसके घर का गुज़ारा भी न चलता था। कहानी में रसीला एक ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, परिश्रमी, सरल और संकोची व्यक्ति के रूप में चित्रित किया गया है।
संकोची: रसीला स्वभाव से ही संकोची था। वह बाबू जगतसिंह के यहाँ कई बर्षों से नौकर के रूप में काम कर रहा था। उसने कई बार मालिक से तनख्वाह बढ़ाने की बात कही, लेकिन मालिक हमेशा उसे इनकार कर देते, कहते कहीं और नौकरी कर ले। रसीला को लगता कि उसे यहाँ अधिक सम्मान मिलता है अतः यदि वह कहीं और गया तो २ - ३ रुपये उसे अधिक मिल जाएँ, लेकिन जितना सम्मान यहाँ मिलता है उसे वह नहीं मिल पायेगा। इसीलिए वह अपने काम से खुश है और कहीं दूसरी जगह काम नहीं करने जाता।
सीधा व सरल: रसीला एक सरल स्वभाव का व्यक्ति है। उसके इसी सरल स्वभाव के कारण उसका पड़ोसी चौकीदार रमजान उसका मित्र बन जाता है। बच्चे के बीमार होने के कारण वो अपने मालिक के पैसों में से आठ आने की हेराफेरी कर देता है। जिसके कारण बाबू जगतसिंह उससे नाराज हो जाते है लेकिन उसके दबाव डालने पर वह अपना अपराध स्वीकार कर लेता है।
कर्तव्यनिष्ठ: रसीला एक कामकाजी नौकर है जिसके काम से उसके मालिक जगतसिंह संतुष्ट हैं। उसके परिवार का बोझ उसी के कंधों पर था। वह इसी कारण कोई खर्चा नहीं करता था अर्थात वह बदखर्चीला नहीं था। वह बड़ा ही जिम्मेदार था। उसने अपने मित्र का सारा पैसा चुका दिया, बस गलती यही कर दी कि उसने मालिक के पैसे से अठन्नी की चोरी कर ली क्योंकि उसको अपने मित्र को अठन्नी वापस करनी थी।
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