चाँदनी का चरित्र चित्रण- कमलेश्वर के आगामी अतीत उपन्यास की नायिका चाँदनी है जो एक शोषित स्त्री के रूप में हमारे सामने आती है। उपन्यास के नायक कमल बोस
चाँदनी का चरित्र चित्रण - Chandni Ka Charitra Chitran
चाँदनी का चरित्र चित्रण- कमलेश्वर के आगामी अतीत उपन्यास की नायिका चाँदनी है जो एक शोषित स्त्री के रूप में हमारे सामने आती है। उपन्यास के नायक कमल बोस के द्वारा फँसायी गयी चंदा की चाँदनी इकलौती संतान है। परिस्थिति से विवश होकर चाँदनी वेश्या बन चुकी है।
वेश्याजीवन: कमल बोस की पत्नी चंदा जब आत्महत्या कर लेती है तो कमल बोस चाँदनी की खोज में निकल पड़ता है। चाँदनी पक्की वेश्या बन चुकी है। वह ग्राहकों को बाहर निकालने में सफल हो जाती है। वह कभी अत्यंत सीधे शब्दों में तो कभी कोसते हुए गाली देकर बात करती है। कमल बोस को उसे देखकर दुख होता है तो वह उसे महिने का कॉन्ट्रक्ट करके अपने बंगले पर ले आता है वह उसका उपभोग नहीं ले पाता। यह देखकर उसे ग्राहक के रूप में देखने वाली चाँदनी कहती है कि "तुम अमीरों के ये इश्क विश्क के चोंचले अपने लिए बेकार है। हम इश्क नहीं करते, पेट भरते हैं पेट ! पाँच मिनट में एक आदमी फारिग होता है----समझे ! यही सब करना है तो हमारे यहाँ तुम्हारी हवस भी पुरी हो जायेगी और पैसा भी बचेगा ।""
इस वाक्य से चाँदनी के जीवन की यथार्थ स्थिति का पता हमे चलता है।
शोषिता स्त्री: जब चाँदनी की माँ मर जाती है तो जिस पागलखाने में उसकी माँ मरी है, वहीं चाँदनी का बलात्कार किया जाता है। इसी वजह से अत्यंत मजबूर होकर वह वेश्या बनने पर मजबूर हो गयी है। वह आर्थिक दृष्टि से भी विवश रही है। माँ के मरने के बाद पेट पालने के लिए विवश होकर उसे यह काम करना पड़ रहा है।
धंधे के प्रति ईमानदार: चाँदनी संसार भर की वेश्याओं का प्रतिनिधित्व करने वाली स्त्री है। वह अपने उस जीवन के साथ इतनी एकरूप हो चुकी है कि वह अपने आपको औरत नहीं तवायफ मानती है। अब उसे वह जिंदगी ठीक ही लगती है। जब वह कमल बोस के पास एक महिने के लिए रहने आती है और बीच में एक रात चंपा के अड्डे पर रुक जाती है तो यह बात कमल बोस को बताकर उसके बीच रुपये बचाने की बात करती है। उसकी वाणी में कृत्रिमता नहीं है। वह इस शोषित समाज व्यवस्था का शिकार बन चुकी है।
जब अंत में कमल बोस अपनी पहचान करा देता है और उसे साथ चलने के लिए कहता है तो वह कहता है- "अब इसमें -------- क्या रखा है ------- ओ ----- माँ"
यह वाक्य चाँदनी की करुण गाथा की पुकार कही जा सकती है। चाँदनी इस जीवन रूपी जहर को पूरा पी गयी है इतनी शक्ति उसमें है। उसे जीवन में श्रद्धा है। वह स्वाभिमानी, आत्मनिर्भर है। उसमें संकटों से जूझने की शक्ति है। इस प्रकार एक आशावादी और आत्मविश्वास से युक्त नायिका के रूप में चाँदनी चित्रित है।
COMMENTS