काली आँधी उपन्यास की नायिका मालती का चरित्र चित्रण: कमलेश्वर के तृतीय उपन्यास 'काली आँधी' की नायिका मालती है। बचपन से ही वह होशियार है इसलिए उसके पिता
काली आँधी उपन्यास की नायिका मालती का चरित्र चित्रण
कमलेश्वर के तृतीय उपन्यास 'काली आँधी' की नायिका मालती है। बचपन से ही वह होशियार है इसलिए उसके पिता उसे विदेश भेजना चाहते है परंतु मालती होटल चलाने वाले जगदीश वर्मा उर्फ जग्गी बाबू से शादी कर लेती है उन्हीं के प्रोत्साहन पर वह इलेक्शन के लिए खड़ी हो जाती है और यहीं से उसके व्यक्तित्व के कई पहलु हमें दिखाई देते है।
सफल राजनीतिज्ञ:- जग्गी बाबू के प्रोत्साहन पर मालती इलेक्शन में खड़ी हो जाती है और जीत जाती है। फिर वह कहीं भी रूकती नहीं है। सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ती चली जाती है। वह राजनीतिक दाँव-पेच अच्छी तरह समझ लेती है। विरोधी नेताओं की ईट का जवाब पत्थर से देती है। राजनीति की होड़ में उसके द्वारा रचे गये हथकड़े सफल सिद्ध हो जाते है। परंतु इसका असर उसके परिवार पर पड़ता है।
दाम्पत्य सम्बन्धों में तनाव:- जब मालती प्रथम चुनाव जीत जाती है तो अपने पति का होटल बिजनेस उसे अच्छा नहीं लगता। उसे लगता है कि उसकी इमेज खराब हो रही है इसी वजह से वह उन्हें होटल बंद करने की सलाह देती है। उसके सुखी परिवार में यही से दरार पड़ती है क्योंकि जग्गी बाबू और उनकी बेटी लिली अकेले पड़ जाते है वे दोनों अलग रहने लगते हैं। जग्गी बाबू लिली को होस्टल में डालकर स्वयं गोल्डन सन् नामक होटल में मैनेजर बन जाते हैं। कई सालों बाद जब मालती उसी गाँव से इलेक्शन लड़ने के लिए उसी होटल रहने आती है तो न तो बेटी माँ को पहचान पाती है और माँ बेटी को ।
दृढ एवं स्थिर: मालती हमेशा ही दृढ़ एवं स्थिर रहती है। जब उसे पता चलता है कि जग्गी बाबू उसे छोड़ कर चले गये हैं और साथ में लीली को भी ले गये है तो वह स्थिर रहती ही है, विरोधी नेता जब उसके चरित्र पर उँगली उठाते हैं तो भी वह उतनी ही स्थिर रहती है। हमेशा वह गंभीर बनी रहती है। इसी वजह से विरोधियों के हथकंडे सफल नहीं होते।
निर्णय पर अडिग - मालती एक बार लिया हुआ निर्णय चाहे वह राजनीति का हो, चाहे व्यक्तिगत जीवन का, वह उस पर अडिग रहती है। राजनीति में आने के अपने निर्णय को परिवार बिखर जाने पर भी वह छोड़ती नहीं हैं। इसी वजह से सफलता उसके कदम चूमती है।
पति के प्रति सम्मान भावना: चाहे मालती और जग्गी बाबू अलग रहते हो फिर भी मालती अपने पति का सम्मान करती है। वह अब भी उनके सामने शराब पीने से कतराती है। अन्य लोगों के साथ बातचीत खुले वातावरण में करने से उनके सामने झिझकती है। जब जग्गी बाबू इलेक्शन में उसकी मदद करते हैं तो उनके प्रति उसके मन में दया उपजती है। वह अपने पति को, बेटी को उपहार भेजती है। उसके मन में अब भी उनके लिए प्यार है।
पारिवारिक जीवन में असफल: सफलता की चाहे जितनी सीढ़ियाँ मालती ने चढ़ी हो फिर भी पारिवारिक जीवन में वह असफल है। क्योंकि राजनीति की सफलता की अंधी प्यास ने उसके दिल की ममता को सुखा दिया है। परिवार के सदस्यों की वह उपेक्षा ही करती है। चाहे उसके दिल में उनके प्रति प्यार हो फिर भी उनका प्रयोग वह सिर्फ स्वार्थ के लिए करती है।
मालती के चरित्र के बारे में डा. अमर जायसवाल ने लिखा है- "मालती उस पूँजीवादी व्यवस्था प्रतिक है जो अपने हित और स्वार्थ के लिए आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए वर्ग का शोषण करती है उन्हें बहकाती है और उनकी कमजोरी का हर जगह जितना संभव हो सके उतना फायदा उठाती है। स्वार्थी और खुदगर्ज व्यक्ति चित्रण में लेखक ने मालती के रूप में एक स्वाभाविक और प्रभावी पात्र का निरूपण किया है।"
निष्कर्ष: इस प्रकार हम यह पाते है कि एक सफल राजनीतिज्ञ, होशियार, भावुक संवेदनशील, शोषक वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाली, दृढ, संयम, गंभीर, परिवार विघटन का कारण बननेवाली फिर भी पति का सम्मान करनेवाली, झूठी प्रतिष्ठा चाहनेवाली सफलता की प्यासी नारी के रूप में कमलेश्वर जी ने मालती का चरित्र चित्रण किया है।
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