सुक्खन भौजी का चरित्र चित्रण - Sukkhan Bhauji Ka Charitra Chitran: हारे हुये, किन्तु सक्रिय राजनेता ठाकुर सुमेरसिंह के यहाँ सुक्खन भौजी यानी सुक्खन की
सुक्खन भौजी का चरित्र चित्रण - Sukkhan Bhauji Ka Charitra Chitran
1) सामान्य परिचय: हारे हुये, किन्तु सक्रिय राजनेता ठाकुर सुमेरसिंह के यहाँ सुक्खन भौजी यानी सुक्खन की बहू बीस रुपये महीने पर बर्तन साफ करती है। देहरी की परजा है सो मुंह सिये गर्दन झुकाये हाथ चलाती है। वह विधवा है। उसका बेटा ललौना / बिसानूकुमार बारी अपाहिज / पोलियो पीड़ित है और ठाकुर उसे डॉ को दिखाने और पार्टी के अनुदान से सहायता की बात करते हैं और वह इस अनुग्रह पर न्योछावर होने लगती है। बहुओं द्वारा अकसर मिलने वाली प्रताड़ना का सारा मलाल धुल जाता है।
2) प्रताड़ित, शोषित: सुक्खन भौजी जिस घर में काम करती है, जिस घर को वह वट वृक्ष मान उसकी छांव में जीवन बिताना चाहती है, जिस पर उसका विश्वास और आस्था टिकी है, उसी का दोगलापन उसे अथाह पीड़ा में छोड़ देता है। उन्हें न उससे कोई स्नेह है, न उसके बेटे की कोई चिंता। यह लोग तो उनकी राजगद्दी के लिए शतरंज का मोहरा भर हैं।
3) मातृत्व की संवेदनाएं: सुक्खन भौजी माँ है। उसका पंद्रह वर्षीय बेटा ललौना/बिसनूकुमार बारी अपाहिज / पोलियो पीड़ित है। माँ की एक ही इच्छा है कि वह अपने पाँवों पर चलने लगे। कीकर की टहनियों को वैसाखियों की तरह पकड़ वह स्कूल जाया करता है। उसकी जख्मी काँखों पर वह हल्दी गरम करके लगाती है। बेटे के घाव उसकी आँखों में जब-तब पानी ला देते हैं। गरीबी इतनी है कि वह इतने से फटे-पुराने कपड़े का जुगाड़ भी नहीं कर पाती कि कीकर की टहनी के ऊपरी हिस्से पर बांध दे कि घाव न हों। ठाकुर उसे डॉ को दिखाने और पार्टी के अनुदान से सहायता की बात करते हैं और वह इस अनुग्रह पर न्योछावर होने लगती है। समारोह वाले दिन उसे उबटन मल-मलकर नहलाती है। सारी तंगी के बावजूद मारकीन की नई कमीज और खाकी निक्कर लेकर देती है। उसका हर स्वप्न बेटे से जुड़ा है। वह उसका राजकुमार है।
4) विसंगति: सुक्खन भौजी के पंद्रह वर्षीय अपाहिज लल्लौने को भूतपूर्व मंत्री जी पहियों वाली गाड़ी देते है। अखबारों के लिए फोटो लिए जाते हैं। घर आकार भी लल्लौना खूब साईकिल चलाता है। लेकिन माँ बेटे की खुशियों की उम्र कुछ देर की ही है। रात होने पर सुमेरसिंह 'विकलांग उद्धार समिति के अगले समारोह में जगदंबा बाबू द्वारा वितरण के लिए लल्लौना की गाड़ी इस आश्वासन के साथ ले जाते हैं कि उसे मजबूत वैसाखियाँ बनवा देंगे। यानी प्रचार के लिए गाड़ी दी जाती है। डाक्टरी जांच वगैरह का षड्यंत्र रचा जाता है और अखबार में फोटो आने के बाद अगले प्रत्याशी के साथ फोटो उतरवाने के लिए गाड़ी वापिस ले ली जाती है। अब सुक्खन भौजी के पास अखबार की एक कतरन बची है, जिसमें बेटा मंत्री जी से पहियों वाली गाड़ी ले रहा है।
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