मित्र की माता की आकस्मिक मृत्यु पर संवेदना प्रकट करते हुए पत्र लिखिए। अभी-अभी तुम्हारा पत्र मिला। पूजनीय माता जी की मृत्यु की दुःखदायी खबर पाकर आँखें
मित्र की माता की आकस्मिक मृत्यु पर संवेदना प्रकट करते हुए पत्र लिखिए।
201, मॉडर्न कॉलोनी,
अलीगढ।
20 मई, 20XX
विषय - मित्र की माता की मृत्यु पर संवेदना हेतु
प्रिय महेश ,
अभी-अभी तुम्हारा पत्र मिला। पूजनीय माता जी की मृत्यु की दुःखदायी खबर पाकर आँखें आसुंओं से भर आयीं। पैरों तेल ज़मीन खिसक गई। बार-बार यही सोचता हूँ कि कहीं यह बुरा स्वप्न तो नहीं। अभी कुछ दिन की ही तो बात है, जब मैं माता जी को स्टेशन से घर के लिए रवाना करके आया था। न कोई दुःख न कोई कष्ट। उनका हँसता हुआ चेहरा अभी तक मेरे सामने मंडरा रहा है। उनके आशीर्वाद कानों में गूंज रहे हैं। उनकी मधुर वाणी, गम्भीर और शान्त स्वभाव, सबके साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार सदा स्मरण रहेगा।
प्रिय मित्र, भाग्य लेख मिटाई नहीं जा सकती। मनुष्य सोचता कुछ है, होता कुछ और है। ईश्वर के लिखे को कौन बदल सकता है। इसलिए धैर्य के सिवा और कोई चारा नहीं। मेरी यही प्रार्थना है कि अब शोक को छोड़कर कर्त्तव्य की चिन्ता करो। विलाप से कुछ नहीं बनेगा। इससे तो स्वास्थ्य ही बिगड़ता है। दिव्या और गौरी को सान्त्वना दो। अन्त में मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वह आपकी दिवंगत माता जी की आत्मा को शान्ति प्रदान करें, तथा आप सभी को यह अपार दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
तुम्हारा अपना,
रामदास
मित्र की माता की मृत्यु पर संवेदना पत्र
71-ए राजाजी पुरम
लखनऊ।
दिनांक 10 मार्च 20XX
विषय - मित्र की माता की मृत्यु पर संवेदना हेतु
प्रिय मित्र राकेश,
आज प्रातः अपने सहपाठी तथा मित्र रवि से आपकी पूजनीय माता जी की मृत्यु की बात जानकर मैं स्तब्ध रह गया। पहले तो मुझे इस घटना पर विश्वास ही नहीं हुआ, क्योंकि अभी पिछले महीने ही जब नैनीताल से लौटते हुए मैंने माता जी के दर्शन किए थे तो वह स्वस्थ थी। ईश्वर इतनी जल्दी उन्हें हमसे दूर कर अपने पास बुला लेंगे, इसकी मुझे कल्पना भी ना थी। इस स्थिति में आप की माता जी के देहावसान का समाचार सुनकर मुझे अत्यधिक दुख पहुंचा है।
उनकी मृत्यु का दुखद समाचार सुनकर एक बार उनकी सौम्य मूर्ति मेरी आंखों के सम्मुख घूम गई। रह-रहकर मुझे उनके वे आशीर्वाद और उपदेश स्मरण आते हैं, जिनकी वह हम पर वर्षा किया करती थी। हाय, सचमुच अब हम उन्हें कभी ना देख सकेंगे।
मित्रवर, काल की यही गति है। सभी प्राणियों का यही अंत है यह सोचकर हमें अपने मन में धैर्य धारण करना पड़ता है। मैं भगवान से यही प्रार्थना करता हूं कि वह तुम्हें इस महान आघात को सहन करने की शक्ति दे तथा दिवंगत आत्मा को सद्गति प्रदान करें।
तुम्हारा सह्रदय
कृष्ण कुमार
मित्र की माता की आकस्मिक मृत्यु पर संवेदना पत्र
16 सी, आनंद पुरी
कानपुर- 208007
विषय - मित्र की माता की मृत्यु पर शोक व्यक्त करने हेतु
प्रिय अंजलि,
तुम्हारी माता जी की अचानक मृत्यु की सूचना पाकर मैं बहुत अधिक शोकाकुल हो गयी हूँ। गत सप्ताह ही तो मैं उनसे मिली थी। वह बिल्कुल स्वस्थ दिख रही थीं। और आज जब मुझे सपना से मुझे माता जी की मृत्यु का समाचार प्राप्त हुआ तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ।
प्रिय सखी, ईश्वर की लीला भी कितनी विचित्र है। हम मानव तो उसके हाथों की कठपुतलियाँ हैं जो उसके इशारे पर कुछ दिन नाचकर यहाँ से विदा लेते हैं। मैं जानती हूँ माता जी की मृत्यु के कारण तुम पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा है। अब तुम पर ही सारे घर का उत्तरदायित्व है। छोटे भाई-बहनों का ध्यान भी तुम्हें ही रखना है। ऐसी संकट की घड़ी में तुम्हें अपने पिताजी को भी ढांढ़स बंधानी है। अतएव इस विपत्ति की घड़ी में धैर्य और साहस से काम लो।
ईश्वर से बस यही प्रार्थना है कि वह तुम्हें और तुम्हारे परिवार को इस दुखद घड़ी को सहन करने की शक्ति दें एवं दिवंगत आत्मा को शान्ति प्रदान करें।
तुम्हारे दुःख में दुःखी
विभा जैसवाल
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