जल संकट पर दो महिलाओं के बीच संवाद लिखिए: इस लेख में जल संकट विषय पर दो महिलाओं के बीच आसान शब्दों में संवाद लेखन लिखना सिखाया गया है। इस लेख को पढ़कर
जल संकट पर दो महिलाओं के बीच संवाद लिखिए: इस लेख में जल संकट विषय पर दो महिलाओं के बीच आसान शब्दों में संवाद लेखन लिखना सिखाया गया है। इस लेख को पढ़कर आप "जल संकट पर दो महिलाओं के बीच संवाद", "पानी की समस्या पर दो महिलाओं के बीच संवाद", "जल संकट पर दो सहेलियों के बीच संवाद" लिख पाएंगे।
जल संकट पर दो महिलाओं के बीच संवाद
महिला 1: अरी बहन, तुमने अखबार में हमारे क्षेत्र में पानी की कमी के बारे में पढ़ा ?
महिला 2: हाँ बहन, मुझे पता चला। हमारे शहर का जलस्तर गंभीर रूप से नीचे गिर गया है।
महिला 1: बढ़ती आबादी और जल के दिन-प्रतिदिन अत्यधिक दोहन से जल का संकट गहराता जा रहा है।
महिला 2: यही सोचकर तो डर लगता है। यदि ऐसे ही हालात रहे तो वो दिन दूर नहीं जब लोग पीने के पानी को तरसेंगे।
महिला 1: बिल्कुल सही। इसलिए हमें अभी से जल संरक्षण करने की आवश्यकता है।
महिला 2: लेकिन हम पानी बचाने के लिए क्या कर सकते हैं?
महिला 1: पानी बचाने के लिए हम बहुत सी छोटी-छोटी चीजें कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, हम टपकते नल को ठीक कर सकते हैं, नहाते समय और कपड़े धोते समय कम पानी का उपयोग कर सकते हैं।
महिला 2: हाँ और हमें अपने पड़ोसियों को भी इसके बारे में बताना चाहिए ताकि हर कोई पानी का संरक्षण करना शुरू कर सके।
पानी की समस्या पर दो महिलाओं के बीच संवाद लेखन
पहली महिला : क्या हुआ इतनी परेशान क्यों हो।
दूसरी महिला : क्या बताऊँ, पानी की इतनी समस्या हो गई है।
पहली महिला : गर्मी शुरु हो गई अब तो समस्या आनी है।
दूसरी महिला : हां, और ऊपर से यह रोज रोज समय से पहले पानी की कमी हम सबको मार ही डालेगी।
पहली महिला : पानी वाला भी दूसरे-तीसरे दिन पानी देता है, हमारे परिवार का गुज़ारा नहीं हो पता।
दूसरी महिला : सही कह रही हो, पानी की किल्लत ने तो परेशान करके रख दिया है।
पहली महिला : पानी की कमी से बच्चों को बिना पानी के स्कूल में भेजना पड़ रहा है।
दूसरी महिला : मैं तो कपड़े नहीं धो पाए रही हूं पानी के वजह से।
पहली महिला : इतना कम पानी आता है खाना बनाने और बर्तन का गुज़ारा हो पाता है।
दूसरी महिला : गर्मी में ऐसे समय निकालना पड़ना।
जल संकट पर दो सहेलियों के बीच संवाद
श्रद्धा - दीपिका ,तुम इतने परेशान क्यों लग रही हो ?
दीपिका - क्या बताऊँ श्रद्धा, आज शिक्षिका ने जल संरक्षण का पाठ पढ़ाया, बस उसके ही बारे में सोच रही थी।
श्रद्धा - इसमें इतना क्या सोचना बहन ?
दीपिका - बस यही सोचकर परेशान हूँ कि किस प्रकार देश के कई इलाकों में स्वच्छ पानी को लेकर लोग आपस में संघर्ष कर रहे हैं। जो पानी हम लोगों को सहज में उपलब्ध हो जाता है उस पानी के लिए कितने ही लोगों को कई मील रोज चलना पड़ता है।
श्रद्धा - हाँ दीपिका, बात तो तुम्हारी शत प्रतिशत सच है।
दीपिका - यही नहीं श्रद्धा, एक ओर जहाँ उन्हें पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं है, वहीँ और हम लोग व्यर्थ में ही कितना जल बर्बाद कर देते हैं।
श्रद्धा - हाँ दीपिका, मैंने तो ये निश्चय कर लिया है कि मैं कभी जल को व्यर्थ नहीं बहाऊँगी।
दीपिका - बहुत ही बढ़िया तुम्हारा विचार है श्रद्धा परन्तु मैं सोच रहीं थीं की हमें इस विषय पर लोगो में जागरूकता फैलानी चाहिए।
श्रद्धा - क्यों न हम आगामी विद्यालय के वार्षिकोत्सव में इस "जल बचाओ" विषय पर अन्य छात्रों को जागरूक करें?
दीपिका - वाह! क्या बढ़िया विचार है ?
श्रद्धा - बिलकुल - बिलकुल, अब चलो बस आ गई। हम इस विषय पर कल चर्चा करेंगे।
जल ही जीवन है पर संवाद लेखन
काजल- कुसुम , कल कक्षा में ‘जल ही जीवन’ पर बोलना है । इसपर तुम्हारे क्या विचार है?
कुसुम- मेरे विचार तो बिल्कुल स्पष्ट है। जल के बिना जीवन संभव ही नहीं है।
काजल- यही तो मेरा भी है। फिर हम लोग जल का अपव्यय क्यों कर रहे हैं ? भूगर्भ में जल का स्तर निरंतर गिरता जा रहा है।
कुसुम- बहन यह तो चिंता की बात है। प्रधानमंत्री निरंतर जल की स्वच्छता और सुरक्षा पर जोर देते आ रहे हैं।
काजल- जल का अपव्यय रोकने के लिए कोई कठोर कानून बनना चाहिए।
कुसुम- मैंने पढ़ा है कि जल इसी तरह कम होता गया तो अगला विश्व युद्ध जल को लेकर हो सकता है।
काजल- सरकार और जनता के बीच सक्रिय सहयोग के बिना यह विकट संकट नहीं चल सकता।
कुसुम- हम छात्रों को भी जनता से जागरूकता जगाने के लिए प्रयास करने चाहिए।
काजल- अवश्य कल कक्षा में अपनी बात हम दृढ़ता से रखेंगे।
कुसुम- हां बिल्कुल।
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