उत्तराखंड भूकंप का समाचार सुनते ही शर्मा जी अपने पड़ोसी मित्र वर्मा जी से बातचीत करते हैं। इस विषय से संबंधित संवाद लिखिए। शर्मा जी: नमस्ते वर्मा जी! क
उत्तराखंड भूकंप का समाचार सुनते ही शर्मा जी अपने पड़ोसी मित्र वर्मा जी से बातचीत करते हैं। इस विषय से संबंधित संवाद लिखिए।
(शर्मा जी अखबार पढ़ रहे होते हैं। तभी उन्हें उत्तराखंड में भूकंप की खबर पढ़कर घबराहट होती है। वे तुरंत अपने पड़ोसी वर्मा जी को फोन करते हैं।)
शर्मा जी: (चिंतित स्वर में) नमस्ते वर्मा जी! क्या सुना आपने? उत्तराखंड में भूकंप आ गया है!
वर्मा जी: (हैरानी से) अरे नहीं शर्मा जी! सच है? कितना तेज था भूकंप?
शर्मा जी: (अखबार दिखाते हुए) अखबार में लिखा है कि 6.3 तीव्रता का भूकंप था। कई लोग घायल हुए हैं, और कुछ इमारतें भी गिर गई हैं।
वर्मा जी: (दुखी स्वर में) ओह! यह तो बहुत भयानक खबर है। आपके भाई भी तो उत्तराखंड गए थे, उन्हें तो कुछ नहीं हुआ ?
शर्मा जी: (चिंता जताते हुए) अभी तो कुछ पता नहीं चल रहा है। मैंने उन्हें फोन करने की कोशिश की, लेकिन उनका फोन नहीं लग रहा है।
वर्मा जी: (सहानुभूति से) हाँ, यह तो मुश्किल समय है। आप घबराइए नहीं शर्मा जी। सब ठीक हो जाएगा।
शर्मा जी: (चिंतित स्वर में) हाँ शर्मा जी। हम सब भगवान से प्रार्थना करते हैं कि जल्द से जल्द हालात सामान्य हो जाएं।
वर्मा जी: (सहमति से) बिल्कुल। और हाँ, अगर हम कुछ मदद कर सकते हैं तो जरूर बताइएगा।
शर्मा जी: (धन्यवाद देते हुए) धन्यवाद शर्मा जी। आपका शुक्रिया।
(दोनों पड़ोसी चिंता और दुःख के भाव से भूकंप पीड़ितों के लिए प्रार्थना करते हैं।)
उत्तराखंड में भूकंप विषय पर दो पड़ोसियों के बीच संवाद लिखिए
(शर्मा जी टीवी पर उत्तराखंड भूकंप की खबरें देख रहे होते हैं। चेहरे पर चिंता साफ झलकती है। तभी, वर्मा जी उनके घर आते हैं।)
वर्मा जी: (चिंतित स्वर में) नमस्ते शर्मा जी। सब ठीक है? आप टीवी पर क्या देख रहे हैं?
शर्मा जी: (परेशान आवाज में) आइए वर्मा जी, बैठिए। ये देखिए, उत्तराखंड में भूकंप आ गया है। (रिमोट देकर चैनल उत्तराखंड की रिपोर्ट पर लगाते हैं)
वर्मा जी: (हैरान होकर) हे भगवान! कितना भयानक भूकंप है! कितनी तीव्रता का था?
शर्मा जी: (दुखी स्वर में) 7.8 रिक्टर स्केल। पहाड़ों में तो बहुत तबाही मची है वर्मा जी। मेरा दिल बैठा जा रहा है। खबरों में बता रहे हैं कि कई गांवों का संपर्क टूट गया है।
वर्मा जी: (दुखी होकर) ये तो बहुत बुरी खबर है। क्या लोगों को सुरक्षित निकाला जा सका...?
शर्मा जी: (आवाज रुंधाते हुए) अभी तक तो आंकड़े स्पष्ट नहीं हैं वर्मा जी। लेकिन कई जानें गईं हैं और बहुत से लोग घायल बता रहे हैं।
वर्मा जी: (गुस्से से) ये सब लापरवाही का नतीजा है। पहाड़ी इलाकों में मजबूत निर्माण क्यों नहीं किए जाते?
शर्मा जी: (सहमत होते हुए) बिल्कुल वर्मा जी। आपकी बात सच है। लेकिन ये समय कमियां निकालने का नहीं है।
वर्मा जी: (समझते हुए) हाँ, शर्मा जी। हमें कुछ करना चाहिए इन बेचारे लोगों के लिए।
शर्मा जी: (सोचते हुए) वही तो सोच रहा हूँ। मैंने तो राहत कोष में दान देने का सोचा है।
वर्मा जी: (उत्साह से) बहुत अच्छा! मैं भी दान दूंगा। और दान के अलावा भी जो कुछ हो सका, करने का प्रयास करूँगा।
शर्मा जी: (पूरे जोश में) बिल्कुल! आप जानते हैं, मेरे एक रिश्तेदार रुद्रपुर में रहते हैं। शायद उनके जरिए भी कुछ पता चल सके कि वहां किस चीज़ की सबसे ज्यादा जरूरत है।
वर्मा जी: तो फिर देर किस बात की? पहले राहत कोष में दान करते हैं, फिर पता लगाते हैं कि हम और क्या कर सकते हैं।
(दोनों पड़ोसी मिलकर उत्तराखंड भूकंप पीड़ितों की मदद करने का ठोस फैसला लेते हैं।)
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