आतंकवादी हमले से नागरिकों के मध्य असंतोष बढ़ रहा है। इस विषय पर दो नागरिकों की बातचीत लिखिए। मोहन: (चिंतित स्वर में) सुना सीता, कल रात मुंबई का आतंकवा
आतंकवादी हमले से नागरिकों के मध्य असंतोष बढ़ रहा है। इस विषय पर दो नागरिकों की बातचीत लिखिए।
मोहन: (चिंतित स्वर में) सुना सीता, कल रात मुंबई का आतंकवादी हमला? वाकई भयानक!
सीता: (दुखी भाव से) हाँ, मोहन। कितने मासूम लोगों की जान चली गई। ये सब सुनकर दिल दहल जाता है।
मोहन: (गुस्से में) और सरकार क्या कर रही है? बार-बार ऐसे हमले क्यों हो रहे हैं? क्या हम कभी सुरक्षित नहीं रह सकते?
सीता: (शांत करते हुए) मैं समझती हूँ मोहन, तुम्हारा गुस्सा जायज है। लेकिन हमें सरकार पर थोड़ा भरोसा भी रखना चाहिए। उन्होंने कल रात बहुत तेज़ी से कार्रवाई की और आतंकवादियों को मार गिराया।
मोहन: (थोड़ा शांत होकर) हाँ, यह सच है। सरकार ने समय रहते स्थिति को नियंत्रित कर लिया, यह सराहनीय है।
सीता: (सहमत होते हुए) बिल्कुल। और उन्होंने घायलों के इलाज और पीड़ितों के परिवारों की मदद के लिए भी त्वरित कदम उठाए हैं।
मोहन: (फिर से चिंतित होकर) लेकिन सीता, यह तो सिर्फ शुरुआत है। हमें इन आतंकवादियों का जड़ से खात्मा करना होगा।
सीता: (गंभीरता से) हाँ, मोहन। सरकार को कड़ी नीतियां बनानी होंगी और आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी।
मोहन: (निश्चयपूर्वक) और हमें भी नागरिकों के रूप में अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। हमें किसी भी संदिग्ध गतिविधि के बारे में तुरंत पुलिस को सूचित करना चाहिए।
सीता: (सहमत होते हुए) बिल्कुल। एकजुट होकर ही हम आतंकवाद को हरा सकते हैं।
(दोनों आशा व्यक्त करते हैं कि सरकार और नागरिक मिलकर आतंकवाद का खात्मा करेंगे और देश में शांति स्थापित करेंगे।)
आतंकवादी हमले की निंदा करते हुए दो नागरिकों के बीच संवाद लिखिए।
श्याम: (चिंतित स्वर में) क्या सुना राम, कल रात का आतंकवादी हमला?
राम: (हताशा से) हाँ, सुना। भयानक घटना थी। कितने बेगुनाह लोग मारे गए!
श्याम: (गुस्से में) और सरकार क्या कर रही है? बार-बार ऐसे हमले क्यों हो रहे हैं? मुझे तो अब बाहर निकलने से ही डर लगने लगा है।
राम: (सहानुभूति से) डरना स्वाभाविक है श्याम। लेकिन हमें सरकार पर भरोसा रखना चाहिए। सरकार इस मामले में सख्त है और जल्द ही आतंकवादियों का सफाया कर देगी।
श्याम: (उम्मीद जताते हुए) सच में? मुझे उम्मीद है कि आपकी बात सच हो।
राम: (सरकार की प्रशंसा करते हुए) हाँ, किरण। आपने देखा ना कल रात सुरक्षाबलों ने कितनी बहादुरी से आतंकवादियों का सामना किया।
श्याम: (सहमत होते हुए) हाँ, सचमुच! अगर सुरक्षवल समय रहते स्थितियों पर काबू न करते तो हालात बहुत बिगड़ जाते।
राम: (सहमत होते हुए) हाँ, हमें एकजुट होकर विरोध करना होगा। सोशल मीडिया, प्रदर्शनों, याचिकाओं, हर संभव तरीके से अपनी आवाज बुलंद करनी होगी।
श्याम: (उम्मीद जताते हुए) मुझे यकीन है राम, अगर हम सब मिलकर प्रयास करेंगे तो सरकार को झुकना होगा। आतंकवाद का खात्मा होगा और देश में शांति स्थापित होगी।
पाठकों के लिए: प्यारे बच्चों, हमें आशा है की उपर्युक्त संवाद लेखन आपको अवश्य पसंद आये होंगे। आप अभी अपनी राय हमने कमेन्ट बॉक्स में लिखकर बताइए।
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