राजनीति विज्ञान एवं विकास पर टिप्पणी लिखिए।
राजनीति विज्ञान एवं विकास - विज्ञान और प्रावैधिकी के शास्त्र और उत्पादन पर पड़ने वाले प्रभावों में राजनीतिशास्त्रियों की रुचि स्वाभाविक है। उनको यह समझने की आवश्यकता है कि इसके क्या-क्या राजनीतिक परिणाम सामने आ सकते हैं। इस बारे में जलियन हक्सले ने लिखा है कि, "मनुष्य जाति अब अपना स्वयं का विकास अपने हाथों में लेने को तैयार खड़ी है।" लासवेल का कथन है कि हमारा सर्वप्रथम योगदान यह होना चाहिए कि हम ऐसे सिद्धांतों का निर्माण करें जो यह स्पष्ट कर सकें कि यदि वर्तमान नीतियाँ इसी प्रकार चलती रहीं, तो हमारे उद्देश्य एवं मूल्यों पर उनका क्या प्रभाव पड़ने जा रहा है। इसी से सम्बन्धित एक योगदान यह हो सकता है कि हम अपनी राजव्यवस्था के महत्त्वपूर्ण उद्देश्य एवं मूल्यों को अधिक स्पष्टता से परिभाषित करें। विद्वानों ने राजनीतिक सिद्धांतों को उनके प्रतिद्वन्द्वी सिद्धांतों के साथ मिलाकर देखा है और व्यापक धर्मशास्त्रीय या आध्यात्मिक व्यवस्थाओं के सन्दर्भ में उन्हें पहचानना है। इस दृष्टिकोण से निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए
- किसी भी घटना को मूल्यांकित करने के लिए यह अनिवार्य है कि विश्व रंगमंच पर उपलब्ध पूर्वाग्रहों को वैज्ञानिकता से परखा जाए।
- अतीत के ज्ञान के साथ-साथ हमें नए उभरते. आयामों को पहचानना चाहिए।
- यदि हमें ऐतिहासिक मान्यता तथा वैज्ञानिक विश्लेषण के उद्देश्यों को प्राप्त करना है, तो हमें ऐसी अधिक पूर्णता प्राप्त संस्थाओं का विकास करना चाहिए जो विश्व-स्तर पर आत्मनिरीक्षण की निरन्तरता को बनाए रखने की विशेषता रखती हों।
- हमें राजनीति विज्ञान का विकास करने के लिए दम्भ तथा झूठी प्रतिष्ठा का त्याग कर देना चाहिए।