भारत के राष्ट्रपति की वीटो शक्ति (Veto Power) का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
अथवा राष्ट्रपति का निषेधाधिकार का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
राष्ट्रपति की वीटो शक्ति
भारत के राष्ट्रपति की वीटो शक्ति अत्यधिक (Exclusive) निलंबनकारी (Suspensive) तथा जेबी वीटो (Pocket Veto) का मिश्रण है। राष्ट्रपति को यह अधिकार दिये जाने का मुख्य कारण विधायिका द्वारा निरंकुशतापूर्ण एवं शीघ्रतापूर्व कार्यवाही को रोकना है।
आव्यंतिक वीटो के अंतर्गत राष्ट्रपति अपनी स्वीकृति रोक लेता है और विधेयक समाप्त हो जाता है। सामान्यतया इस शक्ति का प्रयोग प्राइवेट विधेयकों के लिए किया जाता है। सरकारी विधेयकों की दशा में ऐसा तभी किया जा सकता है। जबकि विधेयक के पारित होने के बाद सरकार गिर गयी हो तथा नया मंत्रिमंडल विधेयक पर स्वीकृति रोकने के लिए कहे। जब राष्ट्रपति विधेयक को पुनर्विचार हेतु वापस भेजता है तो राष्ट्रपति द्वारा लौटाये जाने का प्रभाव निलंबन (Suspension) मात्र होता है और यह धन विधेयक के संबंध में उपलब्ध नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 111 के अनुसार, किसी विधेयक पर राष्ट्रपति के अनुमोदन की समय सीमा का निर्धारण नहीं है। अतः यदि राष्ट्रपति किसी विधेयक पर अपनी स्वीकृति न देकर उसे अपनी जेब में ही पड़े रहने देता है, तो यह जेबी वीटो (Pocket Veto) का प्रयोग माना जाता है।
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