एडम स्मिथ की जीवनी - Biography of Adam Smith in Hindi
एडम स्मिथ की जीवनी - Biography of Adam Smith in Hindi : एडम स्मिथ स्कॉटलैंड के दार्शनिक और अर्थशास्त्री
थे, उन्हें अर्थशास्त्र का पितामह भी कहा जाता है। उनकी प्रसिद्ध पुस्तक एन इंक्वायरी इनटू द
नैचर एंड द कॉज ऑफ द वेल्थ ऑफ नेशंस यूरोपीय देशों में पूंजी की प्रकृति और
उद्योगों तथा व्यापार के विकास का अध्ययन करने का पहला गंभीर प्रयास था।
जीवन परिचय
स्मिथ
का जन्म 5 जून 1723 को स्कॉटलैंड के क्रिकाल्डी में हुआ था और उनकी शिक्षा ग्लासगो और ऑक्सफोर्ड
युनिवर्सिटी में हुई। 1748 से 1751 तक उन्होंने
इडिनबर्ग में व्याख्यान दिये। इस काल के दौरान स्मिथ और स्कॉटलैंड के एक और
साथी दार्शनिक डेविड ह्यूम के बीच घनिष्ठ संबंध स्थापित हो गये,
जो 1776 में ह्यूम की मृत्यु तक बरकरार रहे और जिन्होंने
स्मिथ की नैतिक और आर्थिक, सिद्धांतों के विकास में बहुत सहायता
की।
करियर
स्मिथ
को 1751 में ग्लासगो युनिवर्सिटी में तर्कशास्त्र का
प्रोफेसर नियुक्त किया गया और फिर 1752 में नैतिक
दर्शन का। बाद में उन्होंने अपनी नैतिक शिक्षाओं को व्यवस्थत किया,
जो उन्होंने व्याख्यानों में प्रतिपादित की थीं और इन्हें अपने पहले प्रमुख
कार्य थ्योरी ऑफ मोरल सेंटीमेंट्स (1759) में प्रकाशित
किया। 1763 में उन्होंने बुकलेउच के तीसरे ड्यूक हेनरी के
साथ 18 महीने के दौरे पर फ्रांस और स्विटजरलैंड गये।
स्मिथ फिजियोक्रैटिक स्कूल के कई शीर्ष दार्शनिकों से मिले और और उनके साथ कार्य
किया। फिजियोक्रैटिक स्कूल के कईं शीर्ष दार्शनिकों से मिले और उनके साथ कार्य
किया। फिजियोक्रैटिक के राजनीतिक और आर्थिक सिद्धांत प्राकृति के नियमों,
संपत्ति और क्रम की श्रेष्ठता पर आधारित होते हैं। वह विशेषरूप में फ्रांस के
दार्शनिकों फ्रैंकोइस क्वेसैन और एन्ने रॉबर्ट जैक्वेस टर्गाट से बहुत प्रभावित
हुए, जिनके सिद्धांतों को स्मिथ ने बाद में थोड़ा
परिवर्तित करके अपने सिद्धांत का आधार बनाने में
उपयोग किया। 1766 से 1776 तक क्रिकाल्डी
में ही रहते हुए उन्होंने द वेल्थ ऑफ नेशंस (1776) की
तैयारी की। स्मिथ को 1778 में इडिनबर्ग में चुंगी विभाग का कमिश्नर
नियुक्त किया गया। उन्होंने अपनी मृत्यु तक यहां अपनी पूरी क्षमता के साथ
सेवाएं दीं। 1787 में उन्हें युनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो का लार्ड रेक्टर
नियुक्त किया गया।
द वेल्थं ऑफ नेशंस
स्मिथ
के द वेल्थं ऑफ नेशंस आर्थिक विचारों के इतिहास में राजनीतिक अर्थ-व्यवस्था
को राजनीतिक विज्ञान, नीतिशास्त्र और विधिशास्त्र के
संबंधित क्षेत्रों से अलग अध्ययन करने का पहला गंभीर प्रयास था। यह एक पूरे
निरीक्षण की प्रक्रिया का मूर्तरूप है, जिसके कारण अर्थिक संपत्ति उत्पन्न
हुई और वितरित हुई और यह सभी आयों के मूलभूत स्त्रोत को प्रदर्शित करता है। ये
आधारभूत रूप हैं किराया, वेतन और लाभ,
जिनमें संपत्ति का वितरण किया गया है।
द
वेल्थ ऑफ नेशंस का केंद्रीय प्रमाणित सिद्धांत है कि पूंजी का सर्वश्रेष्ठ उपयोग
निर्माण करने के लिये है और संपत्ति का वितरण सरकार की दखअंदाजी न करने की शर्त पर
मुक्त व्यापार में हो। स्मिथ के दृष्टिकोण में उत्पादन और वस्तुओं के विनिमय
को अधिक सक्रिय किया जा सकता है। इसके परिणामस्वरूप जीवन के सामान्य स्तर को
उठाया जा सकता है, केवल निजी औद्योगिक और व्याससायिक
उद्यमियों के प्रभावकारी परिचालन द्वारा, जहां सरकार का कम-से-कम
नियंत्रण हो।
हालांकि
इस दृष्टिकोण में अर्थशास्त्रियों द्वारा कईं परिवर्तन किये गये,
लेकिन स्मिथ के समय से द वेल्थ ऑफ नेशंस के कई परिवर्तन किये गये,
लेकिन स्त्रोत और पूंजी से जुड़े हैं, निरंतर राजनीतिक अर्थव्यवस्था के
क्षेत्र में सैद्धांतिक अध्ययनों का आधार बना रहे हैं। संभवत: द
वेल्थ ऑफ नेशंस का उपयोगएक मार्गदर्शक पुस्तक के रूप में सरकार की नीतियों को
सूत्रबद्ध करने में किसी और एकल कार्य से अधिक किया जाता है।
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