यदि मेरा जन्म आजादी से पहले हुआ होता हिंदी निबंध
मुझे यह दुख हर रात को परेशान करता है कि मैं 1947 से पहले पैदा क्यों नहीं हुआ? अगर मैं आजादी से पहले जन्मा होता तो मजा ही कुछ और होता। मैंने सुना है कि आजादी से पहले ₹1 का एक किलो देसी घी मिलता था जो आज ₹150 किलो है वह भी असली नहीं कहा जा सकता। आजादी से पहले गेहूं ₹4 किलो मिलता था जो आज ₹20 किलो है।
मैंने सुना है कि देश के कुछ कर्णधारों ने देश को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ नारे लगाए थे। अंग्रेजों ने उन पर अत्याचार किया था, आजादी मांगने वाले देशभक्तों पर लाठियां, गोलियां भी अंग्रेजों ने चलाई थी। कुछ युवकों को अंग्रेजों ने फांसी भी दी थी। अगर मैं आजादी से पहले पैदा हुआ होता तो शायद मैं भी अंग्रेजों के खिलाफ नारे तो लगा ही देता। देशभक्तों पर पड़ने वाली इन लाठियों का नजारा तो मैं भी देख लेता मगर यह दुर्भाग्य है। मेरा जन्म आजादी के बाद हुआ।
कहा जाता है कि आजादी से पहले दूध और घी खुला होता था घरों में चाहे जितना दूध पियो, मक्खन खाओ, घी खाओ मगर आजादी के बाद घी और मक्खन तो मिलता नहीं और मैं तो केवल चाय पी कर ही अपने मन को संतुष्ट कर लेता हूं।
अगर मेरा जन्म आजादी से पहले हुआ होता तो मैं भी महात्मा गांधी का चेहरा देख लेता, उनकी बातें सुन लेता और यह भी देख लेता कि महात्मा गांधी ने आजादी की लड़ाई किस तरह धोती पहनकर, लाठी पकड़कर लड़ी थी? वह गोल बताता है कि
दे दी तूने आजादी बिना खड़ग बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।।
मुझे लगता है कि यह मेरा दोष नहीं है कि आजादी से पहले पैदा क्यों नहीं हुआ, यह दोष मेरे पिताजी का है। जब मैंने पिताजी से इस विषय में बात की तो पिताजी ने तर्क दिया वह भी उचित ही लगा। पिताजी ने मुझे बताया कि उनकी शादी 20 जनवरी 1947 को हुई इसलिए मेरा जन्म आजादी से पहले नहीं हो पाया। एक बात मुझे समझ में नहीं आई कि क्या मेरे पिताजी अपनी शादी 1927 में नहीं करा सकते थे, इस पर मेरे पिताजी ने मुझसे कहा कि 1927 में उनकी आयु केवल 2 वर्ष की थी और 2 वर्ष में तो शादी संभव हो नहीं सकती थी। शादी के लिए तो आयु कम से कम 20 से 22 वर्ष की होनी चाहिए।
वैसे यदि मेरा जन्म आजादी के पहले हुआ होता तो मैं सुभाष चंद्र बोस को निकट या दूर से देख लेता और देखता कि जिस व्यक्ति ने ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ कहते हुए कैसे लगते हैं। साथ ही मुझे लाला लाजपत राय, सरदार भगत सिंह, मोहम्मद अली जिन्ना, जवाहरलाल नेहरू आदि अनेक लोगों को भी देखने का अवसर तो मिलता। मगर यह सब कुछ संभव नहीं हो सका क्योंकि मैं आजादी के बाद ही जन्मा हूं।
कुछ लोग कहते हैं कि मैं बड़ा भाग्यशाली हूं क्योंकि मैंने अपने जन्म के बाद पहला सांस आजादी में लिया है क्योंकि लोग कहा करते हैं कि उनका जीना भी क्या जीना जिनका देश गुलाम है। यह तो सच है कि मेरा देश गुलाम नहीं है मगर कुछ तो काम है क्या करूं जो मेरे मन में बैठा हुआ है कि मेरा जन्म आजादी से पहले क्यों नहीं हुआ? अगर आजादी से पहले मेरा जन्म हुआ होता तो मैं भी देश की आजादी के गीतों में अपना स्वर मिला सकता था कि
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है।
मेरा यह अरमान तो मेरे दिल में ही रह गया। और मैं हमेशा यही गीत गाता रहता हूं कि ‘दिल के अरमां आंसुओं में बह गए।‘ क्योंकि मेरा जन्म आजादी के पहले नहीं हो पाया है। अब मैं मन को तसल्ली देता रहता हूं कि अच्छा हुआ कि मेरा जन्म आजादी के बाद हुआ है। क्योंकि मुझे लगता है कि अब फिर से हमें आजादी की जरूरत पड़ेगी। देश के इन नेताओं से देश को आजाद कराने के लिए देश को आतंकवादियों के चंगुल से आजाद कराने के लिए, देश को दलालों की पकड़ से आजाद कराने के लिए, सरकारी दफ्तरों में बैठे रिश्वतखोर अधिकारियों की हरामखोरी से देश को आजाद कराने के लिए फिर से आवश्यकता पड़ सकती है और मेरे जैसे लोग आजादी के बाद जन्मे हैं वह इस आंदोलन में काम आ सकते हैं। इसलिए अच्छा ही हुआ कि मैं आजादी के बाद ही जन्मा हूं और देश को कभी भी मेरी आवश्यकता हो सकती है और मैं इसी प्रतीक्षा में हूं।
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