मोहन राकेश का जीवन परिचय और साहित्य Mohan Rakesh ka Jivan Parichay : चर्चित साहित्यकार मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी, 1925 को अमृतसर में हुआ है। इन्होनें लाहौर के ओरिएण्टल कॉलजे से शास्त्री परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद हिन्दी और संस्कृत में एम.ए. की। इन्होनें आजीविका के लिए अध्यापन कार्य किया। इन्होनें सन् 1962-63 में ‘सारिका’ के सम्पादक रूप में महत्वपूर्ण कार्य किया। 3 दिसम्बर 1972 को हृदय गति रूक जाने से सदा के लिए आँखें बंद कर ली।
मोहन राकेश का जीवन परिचय और साहित्य Mohan Rakesh ka Jivan Parichay
चर्चित साहित्यकार मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी, 1925 को पंजाब के अमृतसर श्ाहर में हुआ है। इन्होनें लाहौर के ओरिएण्टल कॉलजे से शास्त्री परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद हिन्दी और संस्कृत में एम.ए. की। इन्होनें आजीविका के लिए अध्यापन कार्य किया। इन्होंने मुम्बई, शिमला, जालन्धर तथा दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन किया, परन्तु अध्यापन में विशेष रुचि न होने के कारण इन्होंने सन् 1962-63 ई. मेंं मासिक पत्रिका 'सारिका' के सम्पादन का कार्यभर सँभाला। 3 दिसम्बर 1972 को हृदय गति रूक जाने से सदा के लिए आँखें बंद कर ली।
साहित्यः मोहन राकेश बहुमुखी प्रतिभा के कवि थे। उन्होंने नाटक, उपन्यास, कहानी, एकांकी, निबंध यात्रावृत, आत्मकथा आदि गद्य-विधाओं को समृद्ध किया है।
1. नाटक - आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस, आधे-अधूरे।
2. एकांकी - अंडे के छिलके, अन्य एकांकी तथा बीज नाटक, दूध और दाँत।
3. उपन्यास - अंधेरे बंद कमरे, ना आने वाला कल, अन्तराल।
4. संकलन - मोहन राकेश की समस्त कहानियों को ‘‘एक घटना, क्वाटर, पहचान तथा वारिस नाम से चार जिल्दों में प्रकाशित किया गया है। इन्होंने कुल 66 कहानियाँ लिखी हैं।
5. निबंध - परिवेश, बकल मखुद आदि।
6. यात्रा वृत्त - अखिरी चट्टान तक।
7. जीवन - समय सारथी।
मोहन राकेश की रचनाओं में उनके व्यक्तित्व की स्पष्ट झलक मिलती है। मोहन राकेश की रचनाओं में चिन्तन की प्रधानता है। प्राकृतिक सौन्दर्य का अंकन भी उनके गद्य की महत्वपूर्ण विशेषता है। नाटककार होने के कारण इनकी शैली में सजीवता, सहजता एवं बोधगम्यता इनकी भाषा की अन्य विशेषताएँ हैं। यात्रा वृत्तांत लेखक के रूप में मोहन राकेश का विशेष स्थान है। इनके यात्रा-वृत्तांत कलात्मक, साहित्यिक और भावपूर्ण है। इनके ये यात्रा विवरण कथात्मक हो गए हैं। लेखक ने कन्याकुमारी तथा उसके आस-पास के क्षेत्र का सजीव चित्र उपस्थित किया है। मोहन राकेश मूलतः कथाकार हैं। उनकी रचनाओं में उनका व्यक्तित्व स्पष्ट रूप में झलकता है। मोहन राकेश भावुक रचनाकार थे, लेखक ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों को सहज और सरल शब्दावली में व्यक्त किया है। लेखक ने सरल-सुबोध शैली में अपने विषय का प्रतिपादन किया है। वे किसी दृश्य का प्रभावपूर्ण चित्र खींचने में पूर्णतया सिद्धहस्त हैं।
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