डॉ शंकर दयाल शर्मा का जीवन परिचय : डॉ0 शंकर दयाल शर्मा का जन्म 19 अगस्त 1918 को मध्य प्रदेश के भोपाल में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। आपके पिता का नाम खुशी लाल शर्मा और माँ का नाम सुभद्रा था। डॉ. शर्मा और उनकी पत्नी विमला के परिवार में दो पुत्र और पुत्री हैं। शंकरदयाल शर्मा ने 1992 ई. में भारत के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति का कार्यभार ग्रहण किया था। नौवें राष्ट्रपति पद पर डॉ. शंकर दयाल शर्मा का चुना जाना एक शिक्षा शास्त्री एवं विधि विशेषज्ञ का ही नहीं वरन् समाजवादी समाज रचना धर्म-निरपेक्ष प्रवक्ता की निष्ठा एवं आस्था का भी सम्मान है। डॉ0 शंकर दयाल शर्मा भारत के आठवें उपराष्ट्रपति भी थे।
डॉ शंकर दयाल शर्मा का जीवन परिचय। Shankar Dayal Sharma ka Jivan Parichay
शंकरदयाल शर्मा ने 1992 ई. में भारत के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति का कार्यभार ग्रहण किया था। नौवें राष्ट्रपति पद पर डॉ. शंकर दयाल शर्मा का चुना जाना एक शिक्षा शास्त्री एवं विधि विशेषज्ञ का ही नहीं वरन् समाजवादी समाज रचना धर्म-निरपेक्ष प्रवक्ता की निष्ठा एवं आस्था का भी सम्मान है। डॉ0 शंकर दयाल शर्मा भारत के आठवें उपराष्ट्रपति भी थे।
डॉ0 शंकर दयाल शर्मा का जन्म 19 अगस्त 1918 को मध्य प्रदेश के भोपाल में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। आपके पिता का नाम खुशी लाल शर्मा और माँ का नाम सुभद्रा था। डॉ. शर्मा और उनकी पत्नी विमला के परिवार में दो पुत्र और पुत्री हैं। उनकी एक अन्य पुत्री गीतांजलि की हत्या 1985 में हुई थी। आतंकवादियों ने गीतांजलि और उनके पति संसद सदस्य ललित माकन को गोली मार कर हत्या की दी।
शिक्षा : डॉ0 शर्मा की शिक्षा का आरम्भ आगरा के सेण्ट जान्स कॉलेज में हुआ। आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य, हिन्दी और संस्कृत में एम0 ए0 किया। इसके बाद आपने लखनऊ विश्वविद्यालय से एल0 एल0 एम0 किया। 1939 में आप लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के तीन साल तक पदाधिकारी रहे। इसी दौरान आपने एथलेटिक्स नौकायन और तैराकी में रूचि दिखाई। आपने तीन साल तक लखनऊ विश्वविद्यालय के तैराकी के चैम्पियन रहे। 1940 में आपने लखनऊ की अवध मुख्य अदालत में वकील के रूप में प्रैक्टिस शुरू की थी। आपने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पी0एच0 डी0 की तथा लंदन विश्वविद्यालय लोक प्रशासन में डिप्लोमा हासिल किया। आपने ब्रिटेन के ‘लिकन्स इन बार एट लॉ’ की डिग्री प्राप्त की। 1946 से 1947 तक आपने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में कानून का अध्यापन कार्य भी किया। इसके अतिरिक्त आप 1947 से 1948 तक हारवर्ड ल़ॉ स्कूल के फेलो भी रहे।
राजनैतिक जीवन का प्रारम्भ : डॉ शंकर दयाल शर्मा का राजनैतिक जीवन तब शुरू हुआ जब वे भोपाल लौटने पर भोपाल रजवाड़े को भारतीय संघ में विलय कराने के आन्दोलन में कूद पड़े थे। उन्हें आठ महीने तक कारावास की सजा भुगतनी पड़ी थी। राजवाड़ों के विलय के बाद 1950 में वे भोपाल राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष तथा दो साल बाद वे भोपाल राज्य के मुख्यमंत्री बने। वे अप्रैल 1952 से नवम्बर 1956 तक मुख्यमंत्री रहे। 1966 में राज्यों के पुनर्गठन के साथ मध्यप्रदेश बनने के बाद वे राज्य मन्त्रिमंडल के सदस्य बने। उन्होंने शिक्षा, विधि आदि कई विभाग संभाले। 1967 में इन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। इसी बीच राष्ट्रीय राजनीति के मंच पर कांग्रेस के विभाजन की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी और शक्तिशाली सिंडिकेट के बीच रस्साकशी चलने लगी।
डॉ0 शर्मा को 1968 में अखिल भारतीय कांग्रेस का महासचिव बनाया गया। एक साल बाद कांग्रेस का विभाजन हो गया। 1972 में कांग्रेस का महाधिवेशन कलकत्ता में हुआ जिसमें डॉ0 शर्मा ने औपचारिक रूप से पार्टी अध्यक्ष का कार्य संभाल लिया। आप इस पद पर 1974 तक कार्य करते रहे।
लोकसभा चुनाव : 1971 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद डॉ0 शर्मा को 1974 में इन्दिरा गाँधी मन्त्रिमंडल में संचार मन्त्री बनाया। आप 1977 में आपातकाल के बाद चुनाव में कांग्रेस की हार तक ये केन्द्र में संचार मन्त्री रहे। 1977 में ये चुनाव हार गये। राजनैतिक घटनाक्रम ने ढाई साल बाद फिर करवट ली और डॉ0 शर्मा 1980 के चुनाव में जीत कर लोकसभा में आए। आप अगस्त 1984 तक लोकसभी के सदस्य रहे। इसी बीच आन्ध्र प्रदेश में श्री भास्कर राव के दलदल के बाद एन0 टी0 रामाराव की सरकार को बर्खास्त कर दिया गया और एक खास विवाद उठ खड़ा हुआ। डॉ0 शर्मा को राज्यपाल बनाकर आन्ध्र प्रदेश भेजा गया। उन्होंने राजनीतिक सूझ-बूझ के साथ इस विवाद को सुलझाया और श्री रामाराव दोबारा मुख्यमंत्री बने। 1985 में डॉ शर्मा को पंजाब का राज्यपाल बनाकर भेजा गया। अगले साल उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया। 1987 में डॉ0 शर्मा उपराष्ट्रपति के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीद्वार के रूप में आए। तीन सितम्बर 1987 को उन्होंने राष्ट्रपति का पद संभाला।
करियर : डॉ0 शर्मा दिल्ली, पंजाब और पाण्डिचेरी विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे। वे गाँधी ग्राम ग्रामीण संस्थान विश्वविद्यालय के भी कुलाधिपति थे। ये भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद और भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के भी अध्यक्ष हैं। शान्ति निःशस्मीकर और विकास के लिए दिए जाने वाले इन्दिरा गाँधी पुरस्कार की अन्तर्राष्ट्रीय ब्यूरो के आप अध्यक्ष थे। डॉ शर्मा जवाहर लाल नेहरू मैमोरियल फण्ड के उपाध्यक्ष और इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सदस्य भी थे।
मृत्यु : अपने जीवन के अन्तिम पाँच वर्षो में वे बीमार रहे, 9 अक्टूबर 1999 को उन्हें दिल का दौरा पड़ने पर दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया, 26 दिसम्बर, 1999 ई को उनकी मृत्यु हो गई।
मृत्यु : अपने जीवन के अन्तिम पाँच वर्षो में वे बीमार रहे, 9 अक्टूबर 1999 को उन्हें दिल का दौरा पड़ने पर दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया, 26 दिसम्बर, 1999 ई को उनकी मृत्यु हो गई।
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