भारत में ग्रामीण जीवन पर निबंध। Rural Life Essay In Hindi : भारत गांवों का देश है। यद्यपि भारत के अधिकतर ग्रामीण लोग शहरों की चकाचोंध की ओर आकर्षित हो रहे हैं, तथापि आज भी भारत की लगभग 70% जनसंख्या गांवों में बसती है। भारत में लगभग 600000 गांव हैं। वह अपनी आजीविका के लिए मुख्यता कृषि पर निर्भर हैं। वह प्रातः जल्दी उठते हैं तथा देर रात तक अपने खुले खेतों में काम करते हैं। उनका अधिकतर समय खेत तैयार करने, हल चलाने, बीज बोने और फसल काटने में बीतता है।
भारत में ग्रामीण जीवन पर निबंध। Rural Life Essay In Hindi
भारत गांवों का देश है। यद्यपि भारत के अधिकतर ग्रामीण लोग शहरों की चकाचोंध की ओर आकर्षित हो रहे हैं, तथापि आज भी भारत की लगभग 70% जनसंख्या गांवों में बसती है। भारत में लगभग 600000 गांव हैं। वह अपनी आजीविका के लिए मुख्यता कृषि पर निर्भर हैं। वह प्रातः जल्दी उठते हैं तथा देर रात तक अपने खुले खेतों में काम करते हैं। उनका अधिकतर समय खेत तैयार करने, हल चलाने, बीज बोने और फसल काटने में बीतता है।
महात्मा गांधी जी का विश्वास था कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। एक समय ऐसा था जबकि गांव में रहने वाले लोगों को अपनी खेती बाड़ी के काम पर गर्व था। गांवों की उपजाऊ भूमि अनाज के रूप में सोना उगलती थी। गांवों के कुटीर उद्योगों के उन्नत होने के कारण वहां के निवासियों की आर्थिक दशा बहुत अच्छी थी।
भारत के ग्रामीण का जीवन बहुत साधारण है। वह मिट्टी के कच्चे घरों में रहते हैं जिनकी छत घास-फूस की होती हैं। किसान लोग ताजी हवा में सांस लेते तथा साधारण भोजन करते हैं। इसी से वह स्वस्थ तथा मजबूत रहते हैं। उनके परिवारों में सहयोग की भावना होती है। पत्नियां खेतों में काम करने में अपने पतियों का हाथ बटाती हैं। यहां तक कि बच्चे भी अपने माता पिता को सहयोग देते हैं। वे काम के अतिरिक्त में भोजन भी साथ में करते हैं। जब उनकी फसल पककर तैयार हो जाति है तो वे खुशी से गाते कथा नाचते हैं। खाली समय में वे मिलकर लोकगीत गाते हैं तथा लोक नृत्य करते हैं।
अभी भी अधिकांश ग्रामीणों में शिक्षा की कमी है इसलिए वह चालाक लोगों द्वारा ठगे जाते हैं। कुछ जातियों में अल्पायु में विवाह करने की प्रथा है, जिससे इनके परिवार आवश्यकता से अधिक बढ़ जाते हैं। जो बाद में इनकी निर्धनता के मूल कारण बनते हैं, परंतु इस प्रथा में धीरे-धीरे परिवर्तन आ रहा है। ग्रामीणों में एक सबसे बड़ा दोष यह है कि वह आपस में छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा कर लेते हैं। इसका परिणाम मुकदमे तथा कचहरी तक पहुंचता है। इसमें इनके घर के घर बर्बाद हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त एक दोष और है, विवाह-शादियों तथा त्यौहारों पर ऋण लेकर खर्च करना। यह इनके निर्धनता का एक और कारण है। यह धार्मिक होते हैं, रीति-रिवाजों को मानने वाले होते हैं।
सरकार ग्रामीणों की दशा को सुधारने के लिए प्रयत्नशील है। सहकारी संस्थाओं के माध्यम से किसानों को अपनी फसल के अच्छे दाम मिल रहे हैं, सरकार गांवों में पाठशालाएं, अस्पताल खोल रही है, गांव में सड़के बना रही है, यातायात के साधन जुटा रही है। जिससे गांव का संबंध नगरों के साथ बढ़ता जा रहा है। ग्राम पंचायतें स्थापित हो गई हैं जो दामों के सुधार में जुटी हुई हैं। हमें आशा है कि भविष्य में एक बार फिर भारतीय गांवों में सुख और संपन्नता का साम्राज्य स्थापित हो जायेगा।
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