मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध : सुबह से शाम तक किए गए श्रम से थका हुआ मानव शारीरिक विश्राम के साथ-साथ मानसिक विश्राम भी चाहता है जिससे उसका थका-मांदा मन किसी तरह बदल जाए और वह फिर से प्रफुल्लित हो उठे। मनोरंजन के पीछे मनुष्य की यही प्रवृत्ति है, अतः वह अपनी रुचि के अनुसार मनोरंजन के साधन खोजता रहता है। प्राचीन युग में मानव और उसके यापन के साधन बहुत सरल थे। तब उसे मनोरंजन के इतने साधनों की आवश्यकता नहीं थी, परंतु आज के अस्त-व्यस्त एवं संघर्षमय जीवन में उसे मनोविनोद के साधनों की परम आवश्यकता है।
मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध
सुबह से शाम तक किए गए श्रम से थका हुआ मानव शारीरिक विश्राम के साथ-साथ मानसिक विश्राम भी चाहता है जिससे उसका थका-मांदा मन किसी तरह बदल जाए और वह फिर से प्रफुल्लित हो उठे। मनोरंजन के पीछे मनुष्य की यही प्रवृत्ति है, अतः वह अपनी रुचि के अनुसार मनोरंजन के साधन खोजता रहता है। प्राचीन युग में मानव और उसके यापन के साधन बहुत सरल थे। तब उसे मनोरंजन के इतने साधनों की आवश्यकता नहीं थी, परंतु आज के अस्त-व्यस्त एवं संघर्षमय जीवन में उसे मनोविनोद के साधनों की परम आवश्यकता है।
प्राचीन काल में मनोरंजन के साधन केवल खेलकूद होते थे इसके अतिरिक्त कठपुतलियों के खेल, तमाशे, नौटंकी या रामलीला और रासलीला आदि से भी मनोरंजन किया जाता था। आधुनिक युग में तो अनेक प्रकार के मनोरंजन के साधन हैं। इनमें से अनेक तो विज्ञान की प्रगति की देन है, जिनमें से रेडियो, दूरदर्शन तथा सिनेमा प्रमुख है। इनमें इतना आकर्षण है कि बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी इनकी तरफ आकर्षित हो गए हैं। रेडियो के द्वारा जिन कार्यक्रमों को सुनकर आनंद दिया जाता है, वहीं दूरदर्शन द्वारा उन्हीं कार्यक्रमों में भाग लेने वालों को देखकर अधिक आनंद लिया जाता है।
इन कार्यक्रमों में गाने, नाटक, कवि सम्मेलन, हास्य परिहास आदि है। सिनेमा को देखने के लिए हमें सिनेमाघरों तक जाना पड़ता है, परंतु इनके संगीत और अभिनय को चित्रपट पर देखकर अधिक मनोरंजन हो जाता है। क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल, बास्केटबॉल, टेनिस और कबड्डी आदि मैदान में खेले जाने वाले खेलों से खिलाड़ी और दर्शकों का अच्छा मनोरंजन हो जाता है। छात्रों के लिए यह अत्यंत लाभकारी भी हैं। शतरंज, चौपड़ का खेल, सांप-सीढ़ी, कैरम तथा लूडो आदि खेलों से घर पर बैठकर मनोरंजन किया जा सकता है। इनमें शतरंज तो ऐसा खेल है कि इसके खिलाड़ी खाना पीना भी भूल जाते हैं।
भ्रमण करना भी मनोरंजन का एक सुंदर साधन है। मेले, प्रदर्शनियां, सर्कस, चिड़ियाघर और अजायबघर भी मनोरंजन में सहायक होते हैं। शिक्षित वर्ग अपना मनोरंजन पुस्तकालयों में जाकर कविता, कहानी, नाटक तथा उपन्यासों को पढ़कर भी किया करते हैं। कुछ संगीतप्रेमी लोग वाद्यों को बजा कर तथा उनकी मधुर धुनों को सुनकर ही आनंद प्राप्त कर लेते हैं। चित्रकारी तथा शिल्पकारी भी अमूल्य आनंद देने में पीछे नहीं है।
सारांश यह है कि मनोरंजन आधुनिक जीवन में अत्यंत आवश्यक है। इसके बिना जीवन नीरस रहता है परंतु हमें चाहिए कि अपनी रुचि के अनुसार उत्तम कोटि के साधनों का प्रयोग करें यह। हमारे जीवन को सुकून तथा आनंद प्रदान करते हैं।
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