वृक्षारोपण पर निबंध | Essay on Afforestation in Hindi : भारतीय संस्कृति में वृक्षों का विशेष महत्व है। इनकी देवताओं के सामान पूजा की जाती है। वृक्ष हमारी वर्षा में अधिक भूमि कटाव से, तथा ग्रीष्म ऋतू में सूरज के ताप से उसी प्रकार रक्षा करते हैं जिस प्रकार माता-पिता अपने बच्चों की रक्षा करते हैं। जनसंख्या वृद्धि के कारण वृक्षों, जंगलों तथा बगीचों का स्थान बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों तथा कारखानों ने ले लिया है। वृक्षों को बड़ी तेजी से काटा जा रहा है जिससे प्रकृति का संतुलन तेजी से बिगड़ रहा है। जिन वृक्षों की शीतल और सुखद छाया में थका राही विश्राम कर लेता था आज उनकी जगन कंक्रीट की इमारतों का जंगल नजर आता है।
वृक्षारोपण पर निबंध | Essay on Afforestation in Hindi
भारतीय संस्कृति में वृक्षों का विशेष महत्व है। इनकी देवताओं के सामान पूजा की जाती है। वृक्ष हमारी वर्षा में अधिक भूमि कटाव से, तथा ग्रीष्म ऋतू में सूरज के ताप से उसी प्रकार रक्षा करते हैं जिस प्रकार माता-पिता अपने बच्चों की रक्षा करते हैं। आज भी पीपल के वृक्ष की देवताओं की भाँती पूजा-अर्चना की जाती है। केले तथा तुलसी के पौधे की भी पूजा बहुत महत्वपूर्ण है। पेड़ों को काटना पाप माना जाता है।
औद्योगीकरण के इस नवीन युग में ये सारी परम्पराएं समाप्त सी होती जा रही हैं। जनसंख्या वृद्धि के कारण वृक्षों, जंगलों तथा बगीचों का स्थान बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों तथा कारखानों ने ले लिया है। वृक्षों को बड़ी तेजी से काटा जा रहा है जिससे प्रकृति का संतुलन तेजी से बिगड़ रहा है। जिन वृक्षों की शीतल और सुखद छाया में थका राही विश्राम कर लेता था आज उनकी जगन कंक्रीट की इमारतों का जंगल नजर आता है। वृक्षों की कमी होने से वायु भी अब पहले की तरह शुद्ध नहीं रही जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पडा है। अब तो हालात ये हैं की ईंधन की भी कमी होने लगी है। इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 1950 में वन महोत्सव नामक योजना का शुभारम्भ किया। जगह-जगह पर नए वृक्ष लगाने का कार्यक्रम शुरू किया गया।
1950 की वन महोत्सव परियोजना में धीरे-धीरे शिथिलता आने लगी। परन्तु वृक्षों के महत्व को देखते हुए अब देशभर में व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण के अनेक कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। सरकार की ओर से यह कार्य स्थानीय निकायों को सौंप दिया गया है। तभी से लगभग सभी विद्यालयों में प्रतिवर्ष वृक्षारोपण का कार्यक्रम आयोजित होने लगा। 12 नवंबर 1976 को केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को यह निर्देश भेजा की केंद्र सरकार की अनुमति के बिना किसी भी राज्य में जंगलों की कटाई नहीं की जायेगी। जंगलों की कटाई के लिए केंद्रीय कृषि व सिंचाई मंत्रालय के वन विभाग के वन-महानिरीक्षक से पूर्व अनुमति प्राप्त करनी होगी।
वृक्ष न केवल वर्षा में सहायक हैं बल्कि इनसे हमें फल तथा सब्जियां भी प्राप्त होती हैं। वृक्षारोपण करके सूखा, अकाल व बाढ़ जैसी आपदाओं को आसानी से टाला जा सकता है। वृक्षों से हमारा पर्यावरण तो सुद्ध होता ही है तथा इससे पशु-पक्षियों के लिए प्राकृतिक आवास की भी व्यवस्था होती है। वृक्ष तथा पेड़ पौधे लगाने से ग्लोबल वार्मिंग जैसे परिस्थितियों पर भी नियंत्रण शापित किया जा सकता है। इसीलिए अब भारत सरकार भी इस ओर विशेष ध्यान दे रही है। अब वह दिन दूर नहीं जा भारत देश फिर से हरा-भरा होगा।
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