जनसंख्या विस्फोट पर निबंध। Essay Population Explosion in Hindi : जनसंख्या विस्फोट वह स्थिति है जिसमें जनसंख्या उपलब्ध साधनों के आगे बढ़ जाती है। भारत में यह स्थिति बहुत ही निकट भविष्य में पहुंच जाएगी। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या लगभग 121 करोड़ थी। 2001 में जनसंख्या लगभग 100 करोड़ थी। इस प्रकार एक दशक में 22% की बढ़ोतरी हुई। यदि हम इन आंकड़ों की तुलना इससे पूर्व की जनगणना के आंकड़ों से करें तो हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि औसतन प्रत्येक 10 वर्षों में जनसंख्या लगभग 25% बढ़ी है। अनेक उपायों को अपनाने के बावजूद हम पर्याप्त रूप से इस प्रतिशत को घटाने में सफल नहीं रहे हैं। नतीजा यह है कि हमारे यहां जनसंख्या विस्फोट का खतरा उत्पन्न हो गया है और हम जनसंख्या विस्फोट की ओर बढ़ रहे हैं।
जनसंख्या विस्फोट पर निबंध। Essay Population Explosion in Hindi
भारत में जनसंख्या भयावह दर से बढ़ रही है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या लगभग 121 करोड़ थी। 2001 में जनसंख्या लगभग 100 करोड़ थी। इस प्रकार एक दशक में 22% की बढ़ोतरी हुई। यदि हम इन आंकड़ों की तुलना इससे पूर्व की जनगणना के आंकड़ों से करें तो हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि औसतन प्रत्येक 10 वर्षों में जनसंख्या लगभग 25% बढ़ी है। अनेक उपायों को अपनाने के बावजूद हम पर्याप्त रूप से इस प्रतिशत को घटाने में सफल नहीं रहे हैं। नतीजा यह है कि हमारे यहां जनसंख्या विस्फोट का खतरा उत्पन्न हो गया है और हम जनसंख्या विस्फोट की ओर बढ़ रहे हैं। जनसंख्या विस्फोट वह स्थिति है जिसमें जनसंख्या उपलब्ध साधनों के आगे बढ़ जाती है। भारत में यह स्थिति बहुत ही निकट भविष्य में पहुंच जाएगी। अति जनसंख्या भी बहुत से खतरों से परिपूर्ण है भूख¸ बीमारी¸ दयनीय आवास की दशाएं¸ अकाल¸ कुपोषण आदि बुराइयां अधिक जनसंख्या के साथ चलती है।
भारत की यह बढ़ती हुई जनसंख्या चिंता का विषय बन गई है क्योंकि हम प्रत्येक वर्ष एक करोड़ से अधिक व्यक्ति अपने पहले से ही बहुत बड़ी जनसंख्या में जोड़ देते हैं। बढ़ती हुई जनसंख्या ने स्थान की समस्या उत्पन्न कर दी है। आवास की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। सड़कों पर भीड़ रहती है और ट्रैफिक जाम रहते हैं। ट्रेनों और बसों में इस कदर अत्यधिक भीड़ रहती है की यात्रा अपने में ही वास्तव में एक साहसी कार्य बन गई है। शैक्षिक संस्थाएं प्रवेश की समस्या का सामना कर रही हैं। एक समन्वित रणनीति के अभाव में शिक्षा का स्तर इतनी तीव्र गति से गिर रहा है कि अब कोई उत्तर ही नहीं रहा। यदि जनसंख्या वर्तमान भयावह दर से बढ़ती रहे तो हमारे सभी विकास के प्रयास निरर्थक हो जाएंगे¸ निर्धनों को कोई राहत नहीं पहुंचा सकेंगे और जीवन के रहन-सहन के स्तर में कोई पर्याप्त प्रगति नहीं हो पाएगी। आज हमारी आबादी सवा अरब पहुंच चुकी है अगले 20 वर्षों में अनुमान है कि जनसंख्या 150 करोड़ से अधिक हो जाएगी। यह वह आंकड़ा है जिसे सोचकर भी मन में डर समा जाता है। अगर इस ओर कुछ कदम शीघ्र ही न उठाए गए तो हमारा देश बुरी तरह से आर्थिक परिप्रेक्ष्य में पिछड़ जाएगा और चारों तरफ भूखमरी¸ अकाल और बेरोजगारी छा जाएगी। यह बर्बादी परमाणु बमों से होने वाली बर्बादी से भी अधिक भयावह होगी।
भारत की बढ़ती जनसंख्या के बहुत से कारण है। प्रथम- भारत एक गर्म देश है जहां पर लड़कियां जल्दी उम्र में ही परिपक्वता को प्राप्त कर लेती हैं और दम्पत्तियों में जनन अवधि अन्य देशों की अपेक्षा यहां अधिक है। द्वितीय- बड़े परिवार की स्थिति के लिए बाल विवाह की प्रथा ने काफी योगदान किया है। निर्धनता भी भारत की बड़ी जनसंख्या के लिए एक मुख्य कारण है। गरीब दंपत्तियों के जीवनों में सेक्स के अतिरिक्त मनोरंजन का अन्य कोई साधन नहीं है। इसका नतीजा होता है परिवार में बच्चों की अधिक संख्या होना इसके अतिरिक्त हमारी अज्ञानी जनता बड़े परिवारों को दायित्व के स्थान पर संपत्ति समझती है क्योंकि परिवार में अतिरिक्त बच्चे होने का अर्थ है- परिवार की आय में अतिरिक्त वृद्धि होना। पिछले दशकों में गिरती हुई मृत्यु दर ने भी जनसंख्या बढ़ोतरी में योगदान किया है। बड़े पैमाने पर विदेशों से लोगों का भारत आना और यहां पर आकर बस जाना यह भी बढ़ती हुई जनसंख्या का एक कारण रहा है। प्राचीन भारत में आक्रामकों के झुंड के झुंड भारत में घुस आए और यहां आकर बस गए। मंगोलिया¸ चीन और अरब के देशों से भारत में बहुत बड़ी संख्या में मुसलमानों का आना हुआ। यह लोग आक्रमणकारियों के साथ आए और यहां आकर बस गए। हाल ही में हमको बांग्लादेश¸ म्यांमार¸ श्रीलंका और अफ्रीका के कुछ देशों से बड़ी संख्या में विदेशी लोगों का आना देखने को मिला है। कुछ पिछले समय से कुछ राजनीतिक कारणों से जनसंख्या के कुछ वर्ग अपने परिवारों का आकार सीमित करने से कतराते रहे हैं क्योंकि लोकतंत्र में जनसंख्या का बहुत महत्व है¸ मुस्लिम और अनुचित जाति जनजाति के लोग परिवार नियोजन नहीं अपनाते हैं क्योंकि वे समग्र जनसंख्या में अपने समुदाय की संख्या का प्रतिशत बढ़ाना चाहते हैं। इसलिए हम को आश्चर्य नहीं है कि हिंदुओं की तुलना में मुसलमानों की जनसंख्या में अधिक तीव्र गति से वृद्धि हुई है। प्रत्येक दंपत्ति में परिवार के लिए बालक शिशु के लिए उत्कट इच्छा भी परिवार के बड़ा होने में एक महत्वपूर्ण कारक है। संतान उत्पत्ति जब तक बंद नहीं करेंगे जब तक कि लड़के का जन्म ना हो जाए। इन सभी कारणों से हमारी जनसंख्या में वृद्धि हुई है¸ इतनी कि हम यह सोचकर कांप जाते हैं कि यदि जनसंख्या वृद्धि को उचित नियंत्रण में नहीं लाया गया तो लगभग अगले 25 वर्ष में क्या दशा होगी?
अतः हमको जनसंख्या नियंत्रण के कार्यक्रम को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। सबसे पहली आवश्यकता है हमारी समस्त जनसंख्या को शिक्षा उपलब्ध कराना। शिक्षा के द्वारा बड़े परिवारों के विषय में रूढ़िवादी विचारों को बदलना चाहिए। हमें अपनी जनता के रहन-सहन के स्तर को ऊँचा उठान है। रहन-सहन का स्तर और परिवार का कार साथ-साथ चलतेहैं। परिवार कल्याण कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से चलाया जाना चाहिए। जनसंख्या नियंत्रण के सभी उपायों को प्रचारित करने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए। प्रोत्साहन के अतिरिक्त जो दंपत्तियों को परिवार नियोजन करने पर प्रदान किए जाते हैं कुछ निरुत्साह करने के तरीकों की भी उतनी ही आवश्यकता है। हमारे समझ चीन एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। ‘एक परिवार एक बच्चे’ के आदर्श पर सख्ती से चलकर वे जनसंख्या के प्रत्येक वर्ष होने वाली बढ़ोतरी के प्रतिशत को पर्याप्त रूप से घटाने में सफल रहे हैं। हमारे समक्ष चीन के उदाहरण पर अमल करने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं है कि परिवार नियोजन कार्यक्रम की परंपरा¸ धर्म आदि के आधार पर जनसंख्या के विभिन्न वर्गों में बिना भेदभाव किए यह कठोरता से लागू करें। हमारे लिए परिणाम बहुत भयावह होंगे यदि जनसंख्या वर्तमान गति से बढ़ती रही। हमको सरकार के साथ उसके जनसंख्या नियंत्रण के उपायों को सफल बनाने के लिए सहयोग प्रदान करना चाहि।ए सरकार के प्रत्येक विभाग को परिवार नियोजन को अपनी प्राथमिकताओं के शीर्ष पर रखना चाहिए। सरकार के प्रत्येक विभाग को प्रत्येक योजना में परिवार नियोजन के लिए रखे गए काफी मात्रा की धनराशि के अब परिणाम निकलने चाहिए और आने वाले वर्षों में जनसंख्या वृद्धि के प्रतिशत में पर्याप्त कमी आनी चाहिए।
जनसंख्या नियंत्रण के लिए उठाए जाने वाले उपायों के साथ ही हमें विकास की और अतिरिक्त संसाधन उत्पन्न करने की गति में भी तीव्रता लानी होगी जिससे अति जनसंख्या की स्थिति को टाला जा सके।
भ्रूण परीक्षण का विषय भी विवादास्पद बना हुआ है। यह दंपत्तियों द्वारा पूर्व परीक्षा निर्धारित करने के लिए कराया जाता है कि गर्भ में लड़का है या लड़की। यदि गर्भ में स्थित इनकी इच्छा के बच्चे के लिंग से भिन्न बच्चा है तो वह गर्भपात करा देते हैं। मानवीय दृष्टिकोण से इस को अपराधिक कृत्य समझा जा सकता है और काफी संख्या में लोग इसके विरुद्ध हैं किंतु यदि इससे जनसंख्या नियंत्रण में सहायता मिलती है तो इसको उसी प्रकार कानूनी रूप दिया जा सकता है जिस प्रकार गर्भपात अथवा चिकित्सीय आधार पर गर्भपात को कानूनी रूप दिया जा चुका है। अनिच्छित संतान रखने और बढ़ती हुई जनसंख्या का बोझ उठाते रहने में कोई तुक नहीं दिखाई देता किंतु इसको कानूनीकरण को सावधानियों और प्रतिबंधों के साथ लागू किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस प्रैक्टिस से जनसंख्या में स्त्री-पुरूष अनुपात पर तो प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। भारतीय संसद ने भ्रूण परीक्षण को अगस्त 1994 के विधेयक के द्वारा गैर कानूनी और अपराधिक करार दे दिया है। इसको उसने चिकित्सीय संस्तुति मामलों में ही अनुमति दी है। यह कदम भारत के उन लोगों पर प्रतिबंध लगाने के लिए लाया गया है जिनकी वैज्ञानिक तरीकों का दुरुपयोग करने की प्रवृत्ति होती है। कुछ भी हो जनसंख्या पर नियंत्रण आवश्यक है।
Please koi jansankhya ke khilap kanun banao
ReplyDeleteVery good
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