बेरोजगारी पर निबंध । Berojgari par nibandh : बेरोजगारी से तात्पर्य उस स्थिति से है, जब कोई योग्य तथा काम करने का इच्छुक व्यक्ति प्रचलित मजदूरी की दरों पर काम करने के लिए तैयार हो और उसे काम न मिले। भारत में बेरोजगारी एक आर्थिक समस्या है। बेरोजगारी के कारण नवयुवक नौकरी की तलाश में प्रतिदिन दफ्तरों के चक्कर लगाते रहते हैं तथा अखबारों, इन्टरनेट आदि में दिए गए विज्ञापनों द्वारा अपनी योग्यता के अनुरूप नौकरी की खोज में लगे रहते हैं, परन्तु उन्हें रोजगार की प्राप्ति नहीं होती। केवल निराशा ही उनके हाथ लगती है।
बेरोजगारी पर निबंध । Berojgari par nibandh
बेरोजगारी का तात्पर्य : बेरोजगारी से तात्पर्य उस स्थिति से है, जब कोई
योग्य तथा काम करने का इच्छुक व्यक्ति प्रचलित मजदूरी की दरों पर काम करने के लिए
तैयार हो और उसे काम न मिले। भारत में बेरोजगारी एक आर्थिक समस्या है। यह एक ऐसी
समस्या है जिसके कारण न केवल उत्पादक शक्ति कम होती है बल्कि देश का विकास भी
अवरुद्ध होता है। जो श्रमिक अपने अपने श्रम द्वारा देश के आर्थिक विकास में सक्रिय
सहयोग दे सकते थे, वे कार्य के अभाव में बेरोजगार रह जाते
हैं। यह स्थिति हमारे आर्थिक विकास के लिए बाधक है।
बेरोजगार युवावर्ग : आज हमारे देश में बेरोजगारी की समस्या में निरंतर वृद्धि होती जा रही है
जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण है हमारा बेरोजगार युवावर्ग। आज का नवयुवक जो
विश्वविद्यालय से अच्छे अंक व डिग्री लेकर निकलता है, उसे भी
रोजगार उपलब्ध नहीं हो पाता। बेरोजगारी के कारण नवयुवक नौकरी की तलाश में प्रतिदिन
दफ्तरों के चक्कर लगाते रहते हैं तथा अखबारों, इन्टरनेट आदि
में दिए गए विज्ञापनों द्वारा अपनी योग्यता के अनुरूप नौकरी की खोज में लगे रहते
हैं, परन्तु उन्हें रोजगार की प्राप्ति नहीं होती। केवल
निराशा ही उनके हाथ लगती है।
अनेक समस्याओं की जड़ बेरोजगारी : एक बेरोजगार युवा निराशावादी बन जाता है और आंसुओं के
खारेपन को पीकर समाज को अपनी मौन-व्यथा सुनाता है। बेरोजगारी किसी भी देश अथवा
समाज के लिए अभिशाप है। एक ओर इससे निर्धनता, भुखमरी और
मानसिक अशांति फैलती है तो दूसरी ओर युवकों में आक्रोश तथा अनुशासनहीनता भी फैलती
है। चोरी, डकैती, हिंसा, आपराधिक प्रवृत्ति एवं आत्महत्या आदि के मूल में एक बड़ी सीमा तक बेरोजगारी
ही विद्यमान है। बेरोजगारी एक भयंकर विष है, जो सम्पूर्ण देश
के सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक जीवन को दूषित कर रहा है।
बेरोजगारी के कारण : हमारे देश में बेरोजगारी के निम्न कारण हैं- दोषपूर्ण
शिक्षा प्रणाली, जनसंख्या में
वृद्धि, कुटीर उद्योगों की उपेक्षा, औद्योगीकरण
की उपेक्षा, कृषि का पिछड़ापन, कुशल एवं
प्रकशित व्यक्तियों की कमी। इसके अतिरिक्त नौकरी में आरक्षण, भारी संख्या में शरणार्थियों का आगमन, अत्यधिक
मशीनीकरण के कारण श्रमिकों की छंटनी, श्रम, मांग और पूर्ती में असंतुलन और स्वरोजगार के साधनों में कमी आदि। इन सभी
कारणों से भी बेरोजगारी में वृद्ध हुई है। बेरोजगारी का एक प्रमुख कारण हमारे लघु
उद्योगों का नष्ट होना अथवा उनकी महत्ता का कम होना है। इसके फलस्वरूप देश के
लाखों लोग अपने पैतृक व्यवसाय से विमुख होकर रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटक रहे
हैं। इसलिए देश में बेरोजगारी की समस्या को हल करने के लिए इन सभी समस्याओं का
समाधान होना आवश्यक है।
बेरोजगारी दूर करने के उपाय : बेरोजगारी दूर करने के लिए हमें जनसंख्या वृद्धि पर
नियंत्रण, शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार, कुटीर उद्योगों का विकास, औद्योगीकरण, सहकारी खेती, सहायक उद्योगों का विकास, राष्ट्र निर्माण सम्बन्धी विभिन्न कार्य आदि करने चाहिए। नवयुवकों को उद्यम
लगाने हेतु सरकार उन्हें कम ब्याज दरों पर ऋण प्रदान किये जाए तथा प्रशिक्षण
कार्यक्रम लगाए जाए जिससे व्यक्ति स्वयं रोजगार उत्पन्न कर सके।
उपसंहार : हमारी सरकार बेरोजगारी उन्मूलन के प्रति जागरूक है और
इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाये जा रहे हैं। परिवार नियोजन, बैंकों का राष्ट्रीयकरण, कच्चे माल को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने की सुविधा, कृषि भूमि की चकबंदी, नए-नए उद्योगों की स्थापना,
स्वरोजगार प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना आदि अनेक ऐसे कार्य हैं
जिनके द्वारा बेरोजगारी दूर करने के प्रयत्न किया जा रहे हैं, परन्तु वर्तमान स्थिति देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा की इन प्रयासों के
अतिरिक्त अभी और प्रयास किये जाने बाकी हैं।
Badhiya article hai sir...thanx for share valuable article.
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