देश प्रेम पर अनुच्छेद लेखन
संकेत बिंदु :
- अर्थ,
- देशप्रेम में त्याग,
- एक पवित्र भावना,
- देश प्रेमियों की गौरव शाली परम्परा,
- देशप्रेम,
- सर्वोच्च भावना ,
- देशप्रेम की अनिवार्यता।
देश प्रेम का अर्थ है-देश से लगाव देश के प्रति अपनापन। व्यक्ति जिस देश में जन्म लेता है ,जिसमे रहता है उसके प्रति लगाव होना स्वाभाविक है। सच्चा देशप्रेमी अपने देश के लिए अपना तन-मन अर्पित कर देता है। देश प्रेम एक पवित्र भावना है ,निस्वार्थ प्रेम है, दीवानगी है। देश के लिए न्यौछावर हो जाने से बढ़कर और कोई गौरव नहीं है। भारत में शिवाजी ,महाराणा प्रताव, रानी लक्ष्मी बाई ,सरोजिनी नायडू ,तिलक ,गोखले , आज़ाद, सुभाष जैसे देशभक्त हुए हैं। देश प्रेम की भावना धन-दौलत ,समृद्धि ,सुख ,वैभव आदि में सबसे ऊपर है। भगवान् राम ने भी लंका विजय के बाद लक्ष्मण से कहा था-हे लक्ष्मण ये सोने की लंका भी मुझे स्वदेश से अच्छी नहीं लगती। अपनी धरती माँ और अपनी जन्म भूमि स्वर्ग से भी महान होती है। देश प्रेम वह धागा है जिससे राष्ट्र के सभी मोती आपस में गुथे रहते हैं,सारे जान देश से जुड़े रहते हैं। बड़ी से बड़ी विप्पति भी देश प्रेम को देखकर निष्फल हो जाती है। प्राकृतिक विपदाएं बाढ़, तूफ़ान, महामारी, युद्ध या और कोई भी संकट भी देशप्रेम की ढाल पर झेला जा सकता है।
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