महिला दिवस पर कविता Poem On Women’s Day in Hindi फूल जैसी कोमल नारी, कांटो जितनी कठोर नारी अपनो की हिफासत मे सबसे अव्वल नारी
मदर डे कविता हिंदी में |
महिला दिवस पर कविता Poem On Women’s Day in Hindi.
फूल जैसी कोमल नारी, कांटो जितनी कठोर नारी
अपनो की हिफासत मे सबसे अव्वल नारी
दुखो को दूर कर, खूशियो को समेठे नारी
फिर लोग क्यो कहते तेरा अत्सित्व क्या नारी
जब अपने छोटे छोटे व्खाइशो को जीने लगती नारी
दुनिया दिखाती है उसे उसकी दायरे सारी
अपने धरम मे बन्धी नारी, अपने करम मे बन्धी नारी
अपनो की खूशी के लिये खुद के सपने करती कुुरबान नारी
जब भी सब्र का बाण टूटे तो सब पर भारी नारी
फूल जैसी कोमल नारी, कांटो जितनी कठोर नारी.
"क्यों त्याग करे नारी केवल क्यों नर दिखलाए झूठा बल नारी जो जिद्द पर आ जाए अबला से चण्डी बन जाए उस पर न करो कोई अत्याचार तो सुखी रहेगा घर-परिवार"
Hindi Poem About Indian Woman
"सुता बहु कभी माँ बनकर
सबके ही सुख-दुख को सहकर
अपने सब फर्ज़ निभाती है
तभी तो नारी कहलाती है "
माँ तू क्यों कभी थकती नही?
क्यों तू कभी अपने कर्मो से बचती नही?
तेरी थकान की पीड़ा,
क्यों मुझे होती है।
क्यों ऐसे बलिदान की शक्ति,
सिर्फ तुझ मे होती है।
संघर्ष तो हम सब भी करते है,
क्यों इतने काम के बावजूद भी,
हम तुझसे और उम्मीद करते है।
क्या इसलिए?
क्यूंकि तूने कभी किसी से कुछ कहा नही।
मानली हमेशा अपनो की बात,
जैसे होगा बस वही सही।
"आंचल में ममता लिए हुए
नैनों से आंसु पिए हुए
सौंप दे जो पूरा जीवन
फिर क्यों आहत हो उसका मन"
नैनों से आंसु पिए हुए
सौंप दे जो पूरा जीवन
फिर क्यों आहत हो उसका मन"
Poem on women , mother, aurat |
ये किसने कहा की,
नारी कमज़ोर है।
आज भी उसके हाथ में,
अपने घर को चलाने की डोर है।
वो तो दफ्तर भी जाए,
घर भी संभाले।
ऐसे हाल में भी कर दे,
पति अपने बच्चो को भी उसके हवाले।
एक बार उस नारी की ज़िंदगी जीके तो देख,
अपने मर्द होने के घमंड,
में तू बस यू बड़ी बड़ी ना फेक.।
अब हौसला बन तू उस नारी का,
जिसने ज़ुल्म सहके भी तेरा साथ दिया।
तेरी ज़िम्मेदारियों का बोझ भी,
ख़ुशी से तेरे संग बाट लिया।
चाहती तो वो भी कह देती,
मुझसे नहीं होता।
उसके ऐसे कहने पर,
फिर तू ही अपने बोझ के तले रोता।
नारी कमज़ोर है।
आज भी उसके हाथ में,
अपने घर को चलाने की डोर है।
वो तो दफ्तर भी जाए,
घर भी संभाले।
ऐसे हाल में भी कर दे,
पति अपने बच्चो को भी उसके हवाले।
एक बार उस नारी की ज़िंदगी जीके तो देख,
अपने मर्द होने के घमंड,
में तू बस यू बड़ी बड़ी ना फेक.।
अब हौसला बन तू उस नारी का,
जिसने ज़ुल्म सहके भी तेरा साथ दिया।
तेरी ज़िम्मेदारियों का बोझ भी,
ख़ुशी से तेरे संग बाट लिया।
चाहती तो वो भी कह देती,
मुझसे नहीं होता।
उसके ऐसे कहने पर,
फिर तू ही अपने बोझ के तले रोता।
महिला सशक्तिकरण पर कविता
जान उसे नर पशु समान
सुख मिले बात सच्ची जानो
नारी का जो करे अपमान
नारी को जो शक्ति मानो
Poem on Women in Hindi. Woman Power Poetry, Indian Lady Rhymes, Bhartiya Nari Shakti ki Mahima par Kavita, Mahila Diwas
नारी को जो शक्ति मानो
Poem on Women in Hindi. Woman Power Poetry, Indian Lady Rhymes, Bhartiya Nari Shakti ki Mahima par Kavita, Mahila Diwas
COMMENTS