पर्वतराज हिमालय पर निबंध: हिमालय भारत के उत्तरी छोर पर स्थित दुनिया की सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला है। संस्कृत में ‘हिम’ का अर्थ होता है बर्फ और ‘आलय’ का
पर्वतराज हिमालय पर निबंध (Parvat raj Himalaya par Nibandh)
पर्वतराज हिमालय पर निबंध: हिमालय भारत के उत्तरी छोर पर स्थित दुनिया की सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला है। संस्कृत में ‘हिम’ का अर्थ होता है बर्फ और ‘आलय’ का मतलब होता है घर। इस प्रकार ‘हिमालय’ का शाब्दिक अर्थ है — बर्फ का घर। इसे कई नामों से जाना जाता है — जैसे गिरिराज, शैलराज और पर्वतराज आदि। इसकी ऊँची चोटियाँ नेपाल, तिब्बत, भूटान और पाकिस्तान तक फैली हुई हैं। हिमालय पर्वत शृंखला तीन मुख्य भागों में बाँटी जाती है — हिमाद्रि यानि सबसे ऊँचा भाग, हिमाचल यानि मध्यम ऊँचाई वाला भाग और शिवालिक यानि सबसे निचला भाग।
हिमाद्रि में ही विश्व की सर्वोच्च पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट स्थित है, जिसे नेपाल में ‘सागरमाथा’ और तिब्बत में ‘चोमोलुंगमा’ भी कहा जाता है। इसकी ऊँचाई 8,848.86 मीटर है, और यह हिमालय के शिखर पर एक मुकुट की तरह विराजमान है। भारत में स्थित कंचनजंघा जिसकी ऊंचाई 8,586 मीटर है, भी एक अत्यंत प्रसिद्ध और पवित्र पर्वत चोटी है, जिसे भारत और नेपाल दोनों साझा करते हैं। नंदा देवी, कामेट, त्रिशूल, नीलकंठ, और बंदरपूंछ जैसे अन्य शिखर भी हिमालय के सौंदर्य और गरिमा को और बढ़ाते हैं। इन पर्वतों के आसपास स्थित क्षेत्र जैसे कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और सिक्किम न केवल भौगोलिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत पूज्य माने जाते हैं।
पर्वतराज हिमालय को भारतीय साहित्य, धर्म और दर्शन में विशेष स्थान प्राप्त है। हिन्दू धर्म में भगवान शिव का निवास स्थान कैलाश पर्वत माना गया है, जो हिमालय में ही है। महाभारत, रामायण, पुराणों और वेदों में इसे देवताओं की भूमि कहा गया है। इसी क्षेत्र में मानसरोवर झील है, जिसे हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्मों में अत्यंत पवित्र माना गया है। भारत के चार धामों में से दो — बद्रीनाथ और केदारनाथ — इसी पर्वत श्रृंखला में बसे हैं। इसके अलावा गंगोत्री, यमुनोत्री, ऋषिकेश और हरिद्वार जैसे तीर्थस्थल भी हिमालय की गोद में ही स्थित हैं।
हिमालय भारत की जीवनदायिनी नदियों का जन्मस्थान भी है। गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, सतलुज और सिंधु जैसी नदियाँ यहीं से निकलती हैं और करोड़ों लोगों को जीवन देती हैं। ये नदियाँ न केवल खेतों को सींचती हैं बल्कि भारतीय सभ्यता का आधार भी हैं। भूगोल की दृष्टि से हिमालय भारत को शीत हवाओं से बचाता है और मानसूनी हवाओं को रोककर पर्याप्त वर्षा सुनिश्चित करता है। इसके कारण ही उत्तर भारत में हरियाली और उपजाऊ भूमि संभव हो पाई है। हिमालय भारत के प्राकृतिक संसाधनों का एक महत्वपूर्ण केंद्र भी है — यहाँ विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियाँ, खनिज और वन संपदा पाई जाती हैं।
निष्कर्ष के रूप में, हिमालय भारत की शान है। यह विशाल पर्वत ना केवल प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, बल्कि यह साहस और संघर्ष की भी पाठशाला है। यहाँ की कठिन परिस्थितियाँ मनुष्य को सहनशील, दृढ़ और निडर बनाती हैं। पर्वतारोहियों के लिए यह एक चुनौती है, और जब कोई इसकी ऊँचाइयों को छूता है, तो वह केवल शारीरिक विजय नहीं होती, बल्कि आत्मिक उपलब्धि भी होती है।
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