यदि वर्षा न होती तो हिंदी निबंध - Yadi Varsha Na Hoti To Essay in Hindi यदि पृथ्वी पर वर्षा न होती: तो पृथ्वी का प्राकृतिक सौंदर्य भी नष्ट ह...
यदि वर्षा न होती तो हिंदी निबंध - Yadi Varsha Na Hoti To Essay in Hindi
यदि पृथ्वी पर वर्षा न होती: तो पृथ्वी का प्राकृतिक सौंदर्य भी नष्ट हो जाता। वर्षा न केवल धरती को जीवन देती है, बल्कि उसे सुंदर भी बनाती है। हरे-भरे जंगल, लहराते खेत, और रंग-बिरंगे फूल - ये सभी वर्षा के ही उपहार हैं। बिना वर्षा के, ये सभी प्राकृतिक सौंदर्य लुप्त हो जाता और पृथ्वी एक निर्जीव रेगिस्तान में बदल जाती।
यदि पृथ्वी पर वर्षा न होती: तो धरती पर जीवन खतरे में पड़ जाता। वर्षा ही जीवन का स्रोत है। यह पेड़-पौधों को जीवन देती है, जो खाद्य श्रृंखला का आधार हैं। बिना वर्षा के, पेड़-पौधे सूखकर मुरझा जाते। जिससे जड़ी-बूटी, फल-फूल और सब्जियाँ का उत्पादन रुक जाता। फलस्वरूप शाकाहारी जीवों के लिए भोजन की कमी हो जाती। अंततः खाद्य श्रृंखला टूट जाएगी और मांसाहारी जीव भी विलुप्त हो जाते।
यदि पृथ्वी पर वर्षा न होती: तो मेंढकों का कोलाहल भी सुनाई नहीं देगा। बारिश का मौसम इन छोटे प्राणियों के लिए उत्सव का समय होता है। तालाब और पोखरों में जल भरने के साथ ही उनका टर्र-टर्र का संगीत चारों ओर फैल जाता है। बिना बारिश के, मेंढकों का यह कोरस हमेशा के लिए खामोश हो जाएगा।
यदि पृथ्वी पर वर्षा न होती: तो इंद्रधनुष का जादू भी लुप्त हो जाता। बारिश की बूँदें सूर्य की किरणों से टकराकर आकाश में इंद्रधनुष का रंगीन पुल बनाती है। बिना बारिश के, ये रंगीन इंद्रधनुष भी देखने को नहीं मिलेंगे।
यदि पृथ्वी पर वर्षा न होती: तो मीठे जल की कमी हो जाती। वर्षा मीठे जल का प्रमुख स्रोत है। नदियां, झीलें और भूजल स्तर वर्षा जल से ही भरते हैं। बिना वर्षा के, ये जल स्रोत सूख जाते, भूजल का स्तर भी तेजी से नीचे गिर जाता। मीठे जल की भारी कमी हो जाती। जिससे मनुष्यों और जानवरों दोनों के लिए अस्तित्व का संकट खड़ा हो जाएगा।
यदि पृथ्वी पर बारिश न होती: तो मिट्टी उपजाऊ नहीं रह पाएगी। बारिश का पानी मिट्टी को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है, जो पेड़-पौधों के विकास के लिए बहुत जरूरी होते हैं। बिना बारिश के, मिट्टी धीरे-धीरे अपनी उर्वरा शक्ति खो देगी और बंजर हो जाएगी। रेगिस्तान का विस्तार होगा और उपजाऊ भूमि का कोई नामोनिशान नहीं रहेगा।
यदि पृथ्वी पर वर्षा न होती: तो कृषि असंभव हो जाती। वर्षा ऋतु ही वह समय होता है जब किसान फसलें बोते हैं। बारिश का पानी ही पौधों को बढ़ने के लिए आवश्यक नमी और पोषण प्रदान करता है। बिना वर्षा के, फसलें सूखकर नष्ट हो जाती, जिससे अकाल पड़ने की आशंका बनी रहती।
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