आशुतोष का चरित्र चित्रण: जैनेंद्र कुमार की कहानी "पाजेब" में आशुतोष एक भोला बालक है। कहानी में उस पर पाजेब की चोरी का संदेह किया जाता है। हालाँकि आशुत
पाजेब कहानी के आधार पर आशुतोष का चरित्र चित्रण कीजिये
जैनेंद्र कुमार की कहानी "पाजेब" में आशुतोष एक भोला बालक है। कहानी में उस पर पाजेब की चोरी का संदेह किया जाता है। हालाँकि आशुतोष ने पाजेब नहीं चुराई पर परन्तु डर के कारण वह चोरी करना स्वीकार करता है। उसके चरित्र की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-
1) निरपराध: बालक आशुतोष ने पाजेब नहीं ली है। जब पाजेब की चोरी के लिए उस पर संदेह होता है, तो आशुतोष कठोर सजा के डर से सच बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। किन्तु बार-बार पूछे जाने पर पूछताछ की यातना से मुक्ति पाने के लिए या किसी अज्ञात डर या आशंका के कारण आशुतोष स्वीकार कर लेता है कि उसने पाजेब छुन्नू को दी। बालक चोरी के आरोप से इंकार करने पर भी चोरी में शामिल कर लेता है। वह बुआ के आने पर ही निरपराध सिद्ध होता है ।
2) तर्क-कुतर्क से दूर: आशुतोष में तर्क कुतर्क करने की क्षमता की कमी थी। वह न ही तर्क के माध्यम से अपने तथ्यों को समझा सकता है और न ही वह तर्कपूर्ण प्रश्नों को समझता है। अपने पिता द्वारा किए गए तर्कपूर्ण प्रश्नों का वह उत्तर नही दे पाता । वह निरपराध के पाजेब की चोरी करना स्वीकार लेता है।
3) बाल-हठ: आशुतोष में बालपन के कारण हठीपन भी होता है। वह अपनी छोटी बहन को पाजेब पहनते देखकर साइकिल लेने की इच्छा रखता है। वह हठपूर्वक बुआ से कहता है, हम तो अभी लेंगे। परंतु जब उसकी बुआ उसे आश्वासन देती हैं कि जन्मदिन पर उसको साइकिल मिलेगी तो वह संतुष्ट हो जाता है।
4) कोमल बुद्धि: आठ वर्षीय बालक आशुतोष की बुद्धि कोमल तथा अपरिपक्व है। वह अन्य लोगों की भावनाओं और बातों से शीघ्र ही प्रभावित हो जाता है। इसी कारण एक रुपये के लालच में अपने चाचा के साथ जाने के लिए सहर्ष तैयार हो जाता है। वह अपने पिता के भावों स्नेह, प्रलोभन व्यंग्य आदि से प्रभावित होकर उस कार्य को स्वीकार कर लेता है, जो उसके द्वारा किया ही नहीं गया।
5) सरल एवं खिलाड़ी: आशुतोष साधारण स्वभाव का है। वह खेलकूद में प्रसन्न रहता है और पतंग उड़ाने का शौकीन है। वह अपने साथी छुन्नू के साथ गुल्ली-डंडी ही खेलता है। उसका बाल-मनोविज्ञान के अनुरूप, सशक्त तथा सजीव चरित्र है ।
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