सत्य की जीत' खण्डकाव्य के आधार पर द्रौपदी का चरित्र चित्रण कीजिए - 'सत्य की जीत' महाभारत के सभापर्व पर आधारित खण्डकाव्य है जिसकी कथा कवि द्वारिकाप्रसा
सत्य की जीत' खण्डकाव्य के आधार पर द्रौपदी का चरित्र चित्रण कीजिए
द्रौपदी का चरित्र चित्रण - 'सत्य की जीत' महाभारत के सभापर्व पर आधारित खण्डकाव्य है जिसकी कथा कवि द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी ने अत्यंत रोचक ढंग से प्रस्तुत की है। इस खण्डकाव्य की नायिका द्रौपदी है। उसके परम्परागत चरित्र को अपरिवर्तित रखते हुए उसे आधुनिक नारी के रूप में पेश किया गया है। द्रौपदी के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
1. नायिका: द्रौपदी ‘सत्य की जीत' खण्डकाव्य की नायिका है, सम्पूर्ण कथानक उनके चारों ओर घूमता है। वह पाण्डवों की पत्नी तथा राजा द्रुपद की पुत्री है। दुःशासन को अपना परिचय देती हुई वह कहती है-
2. निर्भीक एवं साहसी: द्रौपदी दु:शासन द्वारा बाल पकड़कर सभा में लाए जाने पर निर्भीकता एवं साहस से उसका सामना करती है। वह उसे पापी और निर्लज्ज पुकारती हुई कहती है-
द्रौपदी अन्याय, अधर्म के विरुद्ध जमकर संघर्ष करने वाली नारी है। वह दुःशासन को ललकारती हुई कहती है-
दुःशासन को फटकारती हुई वह कहती है-
(3) आदर्श भारतीय नारी: द्रौपदी आदर्श भारतीय नारी है, क्योंकि उसमें आदर्श नारी के गुण; जैसे सत्य, धर्म, वाक्पटुता, शक्ति, आत्मसम्मान, बुद्धि, सदाचार आदि उपस्थित हैं।
दुःशासन नारी को केवल वासना एवं भोग की वस्तु कहता है तो वह बताती है कि नारी वह शक्ति है जो विशाल चट्टान को भी हिला देती है-
(4) सत्यनिष्ठ एवं न्यायप्रिय नारी: द्रौपदी सत्य व न्यायप्रिय नारी है । वह सत्य और न्याय की अजेय शक्ति और असत्य तथा अधर्म की मिथ्या शक्ति का विवेचन बहुत संयत शब्दों में करती हुई करती है-
वह यह भी पूछती है—
इस प्रकार द्रौपदी पाण्डव कुलवधू, वीर, साहसी, निर्भीक, स्वाभिमानी एवं साध्वी स्त्री है। वह नारी जाति का आदर्श है तथा अपने गुणों से आधुनिक नारियों को अन्याय एवं अत्याचार का विरोध करने की प्रेरणा देती है। निश्चय ही कवि ने बड़े मनोयोग से द्रौपदी के चरित्र को प्रस्तुत किया है जो पाठकों को प्रेरणा प्रदान करने वाला है तथा द्रौपदी का स्वर आधुनिक नारी का स्वर है जो अपने ऊपर होने वाले अत्याचार को चुपचाप सहन न करके उसका सक्रिय विरोध करती है।
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