मानसून के फट पड़ने का वर्णन कीजिए: मानसून के फट पड़ने का अर्थ है कि मानसून की हवाएँ अचानक बहुत तेजी से चलने लगती हैं और बहुत अधिक वर्षा होने लगती है।
मानसून के फट पड़ने का वर्णन कीजिए (Define Monsoon Burst in Hindi)
मानसून के फट पड़ने का अर्थ है कि मानसून की हवाएँ अचानक बहुत तेजी से चलने लगती हैं और बहुत अधिक वर्षा होने लगती है। यह एक प्राकृतिक घटना है जो भारत सहित कई अन्य देशों में होती है। आर्द्रता से भरी मानसून पवनों के आने के साथ ही बादलों का प्रचण्ड गर्जन तथा बिजली का चमकना शुरू हो जाता है। इसे ही मानसून का फटना या टूटना कहा जाता है।
जून के प्रारम्भ में अत्यधिक निम्न वायुदाब एवं उष्णकटिबन्धीय पूर्वी जेट के विशिष्ट प्रभाव से दक्षिणी-पश्चिमी मानसून हिन्द महासागर की ओर से तीव्रता से भारत की ओर बढ़ते हैं तथा अचानक ही तीव्र मेघ गर्जन होता है तथा बिजली चमकती है। इसके साथ तेज वर्षा आरम्भ हो जाती है। उत्तरी गोलार्द्ध में वायुमण्डल के संचालन में परिवर्तन होता है। निम्न अक्षांशीय ऊपरी वायु के अगाध की स्थिति में गत्यात्मक परिवर्तन होने से मानसून तेजी से फटते हैं। ये निम्न अक्षांशी अगाध 90° पूर्वी देशान्तर की अपेक्षा 80° पूर्वी देशान्तर की ओर खिसक जाने से मानसून शीघ्र फट पड़ते हैं।
भारत में मानसून के फट पड़ने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे:
अंतरा उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) का विस्थापन: जब ITCZ भारत के उत्तरी भाग से दक्षिणी भाग में विस्थापित हो जाता है, तो इससे भारत में मानसून के फट पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। ITCZ में वायुमंडलीय स्थितियाँ बहुत अस्थिर होती हैं जिससे वर्षा और कभी-कभी तूफ़ान आते हैं।
तिब्बत के पठार का गर्म होना: जब तिब्बत का पठार गर्म होता है, तो इससे आसपास का वायु द्रव्यमान गर्म होकर ऊपर उठता है। इससे आसपास के क्षेत्रों से ठंडा वायु द्रव्यमान भारत की ओर बहता है। यह वायु द्रव्यमान भारत में वर्षा लाता है। जब यह वायु द्रव्यमान बहुत अधिक तेजी से चलता है, तो इससे मानसून के फट पड़ने का खतरा बढ़ जाता है।
पश्चिमी जेट धारा का विस्थापन: जब पश्चिमी जेट धारा भारत के उत्तरी भाग से दक्षिणी भाग में विस्थापित हो जाती है, तो इससे भारत में मानसून के फट पड़ने का खतरा बढ़ जाता है।
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