भारत में मानसून को प्रभावित करने वाले कारक बताइये: भारत में मानसून को कई कारक प्रभावित करते हैं जैसे हिंद महासागर और अरब सागर की ओर से हिमालय की ओर आन
भारत में मानसून को प्रभावित करने वाले कारक बताइये।
भारत में मानसून को कई कारक प्रभावित करते हैं जैसे हिंद महासागर और अरब सागर की ओर से हिमालय की ओर आने वाली हवायें, तिब्बत के पठार का गर्म होना, पूर्वी जेट धारा का प्रवाह, उष्ण कटिबंधीय चक्रवात, पश्चिमी विक्षोभ और एल-निनो की घटना आदि। इनमें से कुछ कारकों का निम्न वर्णन किया गया है
(i) मई के महीने में उत्तरी हिन्द महासागर में अधिक उच्च वायुदाब रहता है तो उत्तरी भारत में प्राय: प्रतिचक्रवातीय पवनें उत्पन्न हो जाती हैं। फलस्वरूप भू-मध्यरेखीय न्यून वायुदाब के होते हुए भी मानसूनी पवनें अधिक संगठित नहीं हो पाती हैं।
(ii) दक्षिण-पश्चिमी मानसून की क्रियाशीलता पर विशेष जेट स्ट्रीम का भारतीय उपमहाद्वीप पर विविध ऋतुओं में प्रभाव एवं उनके निर्णायक परिणामों का ज्ञान भी आवश्यक है। जब पश्चिमी जेट धारा भारत के उत्तरी भाग से होकर गुजरती है, तो इससे भारत में अधिक वर्षा होती है।
(iii) जिस वर्ष उत्तरी पर्वतीय प्रदेश में मई के महीने तक हिमपात होता है, उस वर्ष वहाँ उच्च वायुदाब की दशाएँ उत्पन्न होने से प्रतिचक्रवातीय पवनें चलने लगती हैं तथा मानसून क्षीण हो जाता है। इसके विपरीत, जिस वर्ष दक्षिणी गोलार्द्ध में हिमपात होता है, उस वर्ष मानसून अधिक शक्तिशाली होता है।
(iv) स्थल और जल के गर्म होने की दर में अंतर: जब भारत का स्थल गर्म होता है, तो इससे आसपास का वायु द्रव्यमान गर्म होकर ऊपर उठता है। इससे आसपास के क्षेत्रों से ठंडा वायु द्रव्यमान भारत की ओर बहता है। यह वायु द्रव्यमान भारत में वर्षा लाता है।
(v) अंतरा उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र का विस्थापन: अंतरा उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ गर्म और आर्द्र हवाएँ मिलती हैं। यह क्षेत्र आमतौर पर भारत के उत्तरी भाग से होकर गुजरता है। जब ITCZ भारत के दक्षिणी भाग में विस्थापित हो जाता है, तो इससे भारत में कम वर्षा होती है।
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