राष्ट्रीय एकता में खेलों की भूमिका: खेल हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि खेलों के माध्यम से ही हमारी राष्ट्रीय एकता को मजबूती प्रदान होती है
राष्ट्रीय एकता में खेलों की भूमिका लिखिए (Rashtriya Ekta Mein Khelon ki Bhumika Likhiye)
राष्ट्रीय एकता में खेलों की भूमिका: खेल हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि खेलों के माध्यम से ही हमारी राष्ट्रीय एकता को मजबूती प्रदान होती हैं। किसी भी राष्ट्र की मौलिक एकता का सम्बन्ध उस राष्ट्र के सांस्कृतिक मूल्यों तथा विकास से होता है। विविधताओं में एकता उत्पन्न करना प्रत्येक संस्कृति का अपना मौलिक गुण होता है। भारत में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है कि भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषता 'अनेकता में एकता है। एकता से हमारा तात्पर्य राष्ट्र के मूल्यों, विश्वासों, आध्यात्मिक विचारों, परम्पराओं, आचार-विचार एवं व्यवहार आदि के सम्बन्ध में पाये जाने वाले विचारों में सामान्य मतैक्य का होना है। किसी भी राष्ट्र की एकता तभी तक जीवित रह सकती है, जब तक उस देश की संस्कृति अपने आदर्शों में बँधी हो। एकीकरण तथा समन्वय की स्थापना के बिना कोई भी राष्ट्र अपने आपको अधिक समय तक जीवित नहीं रख सकता है। राष्ट्रीय एकता में खेलों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए खेलों का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि मानव प्रजाति का इतिहास।
खेलकूद से स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। इसीलिये कहा जाता है, "स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क वास होता है।" ससे क्या अच्छा है, क्या बुरा है, यह समझने की शक्ति आती है। प्लेटो ने अपना मत प्रकट करते हुए कहा है, "बालक को दण्ड की अपेक्षा खेल द्वारा नियंत्रित करना अधिक अच्छा है।' छात्रों के लिये खेलकूद मस्तिष्क को एकाग्र करने का महत्वपूर्ण साधन है। खेलकूद के अभाव में छात्रों का शारीरिक एवं मानसिक विकास पूर्ण रूप से नहीं हो पाता, जिससे उनमें आत्म-विश्वास की कमी दिखाई देती है। खेलकूद द्वारा ही बालक का मानसिक विकास होता है। खेलकूद आपस में प्रेमपूर्वक मिल-जुलकर रहना, आपसी बैर भाव समाप्त करना तथा विभिन्न जाति व सम्प्रदाय के साथ आपसी तालमेल के द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करना भी सिखाता है।
व्यक्ति के विकास में सहायता देकर खेल समाज की अनेक आवश्यकताओं की भी पूर्ति करते हैं। खेलों के माध्यम से विभिन्न प्रान्तों के खिलाडियों के साथ-साथ सामान्य लोग भी एक-दूसरे के सम्पर्क में आते हैं तथा एक-दूसरे को अधिकाधिक समझने का प्रयास करते हैं। समाज को स्वस्थ एवं अनुशासित नागरिक प्रदान करने में खेलों की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। खेलों के माध्यम से सहयोग की भावना का विकास होता है साथ हीं सहानुभूति, वफादारी, दयालुता का भी गुण पनपता है। ये सभी गुण राष्ट्रीय एकता में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ऐसा माना जाता है कि जिस प्रकार धर्म का सम्बन्ध शान्ति से होता है, ठीक उसी प्रकार का सम्बन्ध खेलों का मित्रता एवं एकता से होता है। इसी के माध्यम से विभिन्न राज्यों के लोगों में जाति, धर्म व रंगभेद की दीवारें टूट जाती हैं। देश के खिलाड़ियों को न केवल दूसरे राज्यों में जाने का अवसर मिलता है बल्कि उन राज्यों के खिलाड़ियों एवं जनता के खान-पान, रहन-सहन एवं व्यवहार को समझने में भी सहायता मिलती है। खेलों ने न केवल राष्ट्रीय एकीकरण में• महत्वपूर्ण योगदान दिया है अपितु वैश्विक परिदृश्य को भी पूरी तरह से परिवर्तित कर दिया है। इनके माध्यम से सांस्कृतिक एकता को प्रोत्साहन मिला है। खेलों की अपनी भाषा होती है जो राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय समझ एवं सद्भावना को एक माध्यम उपलब्ध कराती है।
खेल सामाजिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों का प्रसार करने में सहायक होते हैं. जिसके परिणामस्वरूप समाज की सांस्कृतिक विरासत निरन्तर क्रियाओं एवं विचारों के माध्यम से नई पीढ़ी को प्राप्त होती रहती है। संस्कृति की निरन्तरता को बनाये रखने में सहायक होने के कारण ही खेल सामाजिक एकता की दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
खेलकूद के माध्यम से बालकों में आत्म-नियन्त्रण की भावना का विकास होता है जिस- प्रकार आज शिक्षा का व्यावसायीकरण होता जा रहा है, ठीक उसी प्रकार खेल भी इससे अछूते नहीं रहे हैं। वर्तमान में खेल न केवल शारीरिक विकास व सशक्तता से सम्बन्ध है, अपितु इसका व्यापक व्यावसायीकरण भी हुआ है।
निष्कर्ष रूप में कह सकते हैं कि खेल चाहे जैसा भी हो, यह खिलाड़ियों के शारीरिक, मानसिक एवं संवेगात्मक विकास में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। व्यवस्थित एवं संयमित खेलों द्वारा न केवल खिलाड़ियों का आत्म विकास होता है वरन् इससे राष्ट्र का भी विकास होता है।
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