सलीम का चरित्र चित्रण - Saleem ka Charitra Chitran: सलीम गोरे रंग का लम्बा, छरहरा, शौकीन युवक है। उसके पिता हाफिज हलीम म्युनिसपैल्टी के अध्यक्ष हैं। स
सलीम का चरित्र चित्रण - Saleem ka Charitra Chitran
सलीम का चरित्र चित्रण: सलीम गोरे रंग का लम्बा, छरहरा, शौकीन युवक है। उसके पिता हाफिज हलीम म्युनिसपैल्टी के अध्यक्ष हैं। सलीम अमरकान्त का मित्र है, साथ ही एक खेल प्रेमी भी। वह कविता भी करता है। कुल मिलाकर सलीम प्रारंभ में एक मौजी प्राणी है। सलीम के चरित्र की विशेषताओं को निम्न शीर्षकों के अन्तर्गत दर्शाया जा सकता है।
सच्चा मित्र: सलीम के चरित्र की सर्वप्रमुख विशेषता यह है कि वह अमरकान्त का सच्चा सहायक मित्र है। वह उसका सहपाठी है और सच्ची मैत्री के तहत अमरकान्त की फीस जरूरत पड़ने पर बिना कुछ कहे अपनी तरफ से जमा कर देता है।
शायर कवि : सलीम के चरित्र की दूसरी विशेषता उसके शायर होने में है। वह अपनी बात शायरी में कहता है।
स्पष्ट वक्ता : सलीम में जिन्दा दिली है और मजाक का कोई अवसर नहीं छोड़ता । संसार की चिंताओं से मुक्त रहता है। अवसर पर व्यंग्य की करारी चोट करता है पर अपने विषय में भी स्पष्ट वक्ता है।
उग्रनीति का पक्षपाती : वह साहसी है। हॉकी स्टिक लकर गोरों से लड़ पड़ता है। परिणाम की चिंता नहीं करता और ग्राम निवासियों की कायरता पर उन्हें फटकारता है। उसे सम्मान की चाहत है। तभी तो वह जब गोरों को मारता है तो उसकी दिली ख्वाहिश रहती है कि जनता को उसका जुलूस निकालकर सम्मान करना चाहिए। राजनीति में भी वह उग्रनीति का पक्षपाती है और परिणाम की चिंता किये बिना अपना काम किये जाता है। उसी के शब्दों में- "हम जितना ही डरते जाते हैं, उतना ही वे लोग शेर हो जाते हैं?
व्यावहारिक : वह नौकरी को शासन समझता है। वह कहता है-नौकरी गुलामी नहीं है जनाब, हुकूमत है। वह कानून का पाबन्द है । उसी के शब्दों में- अगर मेरा लड़का भी कानून के खिलाफ काम करे तो मुझे उसकी तबीह करनी पड़ेगी। वह अपने कर्त्तव्य निर्वाह में बदनामी की चिंता नहीं करता। उसकी व्यावहारिकता उसके इस कथन से भी स्पष्ट होती है कि-इल्मी बहस दूसरी चीज है, उस पर अमल करना दूसरी चीज है। बगावत पर इल्मी बहस कीजिए, लोग गौर से सुनेंगे। बगावत करने के लिए तलवार उठाइये और आप सारी सोसाइटी के दुश्मन हो जायेंगे।
उथला प्रेमी : प्रेम को वह वासना मात्र समझता है। उसका कथन है-औरत एक की होकर रहने के लिए बनायी गयी है। मर्द आजाद रहने के लिए बनाया गया है। इसे वह हैवानी जिन्दगी का उसूल मानता था, पर उसके जीवन में परिवर्तन आया। उसने अनुराग की पवित्रता का अनुभव किया। इसका कारण सकीना थी। आगे चलकर जिस सकीना को उसने जुलाहे की नमकीन छोकरी कहा था, वही उसके लिए पूज्य हो गई है। उसी के शब्दों में- सकीना प्यार करने की नहीं, पूजने की चीज है।.... उसे पाकर, मैं जिन्दगी में कुछ कर सकूँगा ।
मानवतावादी: सलीम ने मानवता को तिलांजलि देकर अफसर बनना स्वीकार नहीं किया था। परिस्थितिवश उसे दमन-नीति से काम लेना पड़ा, किंतु उसे इसका खेद है। जब उसे कृषकों की वास्तविक दशा का परिचय प्राप्त हुआ, तो वह उच्च श्रेणी की सरकारी नौकरी पर लात मारकार उनमें आ मिला। उनके आन्दोलन का नेतृत्व किया। बन्दी बन कर जेल गया। उसकी अफसरी ने उसकी मानवता को नष्ट नहीं किया था । उदारणार्थ- वह उदार हृदय और स्पष्ट वक्ता है। अपने भूल को स्वीकार करने में संकोच नहीं करता । मौजपरस्ती तो करता है पर कर्त्तव्य के समय पीछे नहीं रहता।
कुल मिलाकर कर्मभूमि में सलीम का चरित्र एक यथार्थवादी से आदर्शवादी होने की ओर अग्रसर है। प्रारंभ में जो व्यक्ति इतना कठोर है आगे चलकर वह मानवीय हो जाता है। एक आलोचक के शब्दों में- प्रेमचन्द ने सलीम के चरित्र के माध्यम से नौकरशाही के उस हिस्से का चित्र खींचा जो मजबूर था। अंग्रेजी हुकूमत में कितने ऐसे भारतीय थे जिन्होंने राष्ट्रवादियों पर गोलियाँ चलायीं। उनके घर उजाड़े। बाद में उन्हें जब अपने देशवासियों की दुर्दशा का अनुभव होता है तो वे करुणा से भर जाते हैं और मानवीय हो जाते हैं। सलीम इसी बदलते नौकरशाह का प्रतीक है जो जनआन्दोलनों से अपने चरित्र में बदलाव लाता है और मानवीय संवेदना को उभरने में सहायक होता है।
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