हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी का सारांश (Hussain ki Kahani Apni Jubani Summary in Hindi) हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी पाठ आत्मकथा शैली में लिखा गया है। 'हु
हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी का सारांश (Hussain ki Kahani Apni Jubani Summary in Hindi)
हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी का सारांश: हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी पाठ आत्मकथा शैली में लिखा गया है। 'हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी' का पहला अंश 'बड़ौदा का बोर्डिंग स्कूल' उनके विद्यालयी जीवन से जुड़ा है जहाँ उनकी रचनात्मक प्रतिभा के अंकुर फूटे। उनकी प्रतिभा सबके सामने आई।
दूसरा अंश 'रानीपुर बाजार' है जहाँ हुसैन से अपेक्षा की जा रही थी कि वह अपने पारिवारिक व्यवसाय को स्वीकार करें। किंतु वहाँ भी हुसैन के अंदर का कलाकार उनसे चित्रकारी कराता रहा। अंततः हुसैन के पिताजी ने अपने बेटे के हुनर को पहचाना और उनकी रोशन ख्याली ने हुसैन को एक महान चित्रकार बना दिया।
दादाजी की मृत्यु के बाद हुसैन के गुमसुम रहने के कारण उसे बड़ौदा बोर्डिंग स्कूल भेज दिया गया। मकबूल को बोर्डिंग स्कूल में छ: मित्र मिल जाते हैं अत्तार, अरशद, हामिद, कंवर हुसैन अब्बास जी अहमद, अब्बास अली फिदा। विद्यालय में ब्लैक बोर्ड पर बनी चिड़िया को हुबहू अपनी स्लेट पर बनाकर तथा दो अक्टूबर को गाँधी जयन्ती के अवसर पर गाँधी जी का पोट्रेट ब्लैक बोर्ड पर बनाकर अपनी जन्मजात कला का परिचय दिया।
रानीपुर में दुकान में बैठकर आन-जाने वालों के चित्र बनाना, फिल्म 'सिंहगढ़' का पोस्टर देखकर ऑयल पेंटिंग बनाने का विचार आना। अपनी किताबें बेचकर ऑयल कलर खरीदना तथा अपनी पहली पेंटिंग बनाना, पेंटिंग देखकर पिता द्वारा पुत्र को गले लगाना, इंदौर में बेन्द्रे साहब से मुलाकात होना तथा ऑन स्पॉट पेंटिंग प्रारंभ करना, लेखक के पिता का सारी मान्यताओं को नज़रअंदाज कर अपने बेटे को जिंदगी में रंग भरने की इज़ाजत देना। आदि हुसैन के जीवन की ऐसी महत्त्वपूर्ण घटनाएँ हैं, जिनकी हुसैन को एक प्रसिद्ध चित्रकार बनाने में विशेष भूमिका है।
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