पढ़ाई कहानी की कथावस्तु, भाषा शैली और उद्देश्य- जैनेन्द्र कुमार ने कहानी पढ़ाई' की रचना बाल मनोविज्ञान को आधार बना कर की है। सामाजिक परम्परा अनुरूप बे
पढ़ाई कहानी की कथावस्तु, भाषा शैली और उद्देश्य
पढ़ाई कहानी की कथावस्तु
पढ़ाई कहानी की कथावस्तु- जैनेन्द्र कुमार ने कहानी पढ़ाई' की रचना बाल मनोविज्ञान को आधार बना कर की है। सामाजिक परम्परा अनुरूप बेटी के जन्म के साथ ही सोच लिया जाता है कि बेटी पराया धन है अतः माँ-बाप भरसक प्रयत्न करते हैं कि उनकी बेटी अच्छी शिक्षा व संस्कारों को ग्रहण करे और ससुराल में उसे सुख व यश की प्राप्ति हो । प्रस्तुत कहानी की कथावस्तु कुछ ऐसी ही भावनाओं का चित्रण माँ - बाप व बच्ची के चरित्र द्वारा करती है। छ' साल की सुनयना को प्यार से नूनो पुकारा जाता है। माँ उसे अन्य बच्चों के साथ स्कूल नहीं भेजती क्योंकि अध्यापिका बच्चे का ख्याल नहीं रखती और घर में पढ़ाने के लिए टीचर का प्रबन्ध करती है। स्त्री माता हृदय सुनन्दा बच्ची को ब्याह देने की व्यथा के कारण बच्ची के बाल-मन की खुशियों को नहीं परखती बल्कि अपने चिंतातुर मन से परखती है और बच्ची जिद्दी हो जाती है। खाने व पढ़ने के समय जिद्द करती और बुआ के कहने से खाना खाती है व दूध पीती है । सुनन्दा और उसके पति की बातचीत आपस में बच्ची को लेकर ही होती है । सुनन्दा बच्ची को खेलने बाहर नहीं जाने देती, निरन्तर पढ़ने के लिए मजबूर करती है। कहानी आकार में संक्षिप्त और मानवमन की अनुभूतियों को स्वाभाविक रूप से चित्रित करती है। कहानी पाठकों पर प्रभाव छोड़ती है कि बच्चे सामान्य परिस्थितियों में पलें, बढ़े तो उनका व्यक्तित्व निखरता है और घर की स्थितियाँ भी सामान्य रहती है।
पढ़ाई कहानी की भाषा शैली
पढ़ाई कहानी की भाषा शैली: कहानी की अभिव्यक्ति उसकी भाषा शैली पर ही निर्भर करती है । कहानी की भाषा पात्रानुकूल, कथ्य को संप्रेषित करने वाली तथा वातावरण से संबंधित होनी चाहिए । प्रस्तुत कहानी में लेखक ने विवरणात्मक व वर्णनात्मक शैली का प्रयोग करते हुए संवादों के माध्यम से कहानी को गति दी है । कहानी के विवरणों को स्पष्ट करने के लिए उर्दू व लोकभाषा के शब्दों का प्रयोग हुआ है यथा - खचेड़ती, अदब, शऊर, मुताबिक, सबक, मच्छी-मच्छी इंत्ता, किताब के माने इत्यादि । लेखक ने मुहावरों के प्रयोग द्वारा वक्तव्यों को सार्थकता दी है जैसे - अंगूठा दिखाकर, आँख ओझल इत्यादि । संक्षेप में कहा जा सकता है कि कहानी की भाषा सरल, सहज एवं बोधगम्य है।
पढ़ाई कहानी का उद्देश्य
पढ़ाई कहानी का उद्देश्य: जैनैन्द्र कुमार की कहानी 'पढ़ाई' बाल मनोविज्ञान को आधार बना कर लिखी गई एक सफल अभिव्यक्ति है। कहानी में लड़की की पढ़ाई-लिखाई की समस्या पर एक मध्यवर्गीय परिवार के अंतरंग भावों का चित्रण किया गया है। अक्सर लोग अपने बच्चों के मनोभावों का अध्ययन नहीं करते और उन पर अपने विचारों को थोपना चाहते हैं। अपने जीवन की अधूरी इच्छाओं को बच्चों के माध्यम से पूरा करने का सपना देख लेते हैं और कहा न मानने वाले नासमझ बच्चों को माँ-बाप की प्रताड़ना सहनी पड़ती है और उनके बालमन में अवरोध उत्पन्न हो जाता है। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से यह उचित नहीं, न परिवार के लिए न बच्चे के लिए। सुनयना और सुनन्दा के चरित्र के संघर्ष द्वारा लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि उचित यही है कि माता-पिता बच्चों ही इच्छाओं व जिज्ञासाओं को समझें और समय व स्थिति अनुरूप उनका मार्ग निर्देशन करें।
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