बग्गा साहब की पत्नी का चरित्र चित्रण- यशपाल की कहानी 'आदमी का बच्चा' में बग्गा साहब की पत्नी आभिजात्य वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाली नारी है। वह चीफ इ
बग्गा साहब की पत्नी का चरित्र चित्रण - Bagga Sahab ki Patni ka Charitra Chitran
बग्गा साहब की पत्नी का चरित्र चित्रण- यशपाल की कहानी 'आदमी का बच्चा' में बग्गा साहब की पत्नी आभिजात्य वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाली नारी है। वह चीफ इंनीजियर की पत्नी है और अपनी बेटी डौली को भी आभिजात्य संस्कारों से सम्पन्न करना चाहती है। वस्तुतः बग्गा साहब का घर में पूरा नियन्त्रण है अतः बेटी डौली को माँ द्वारा नियन्त्रण के तौर-तरीकों से परिचित करवाया जाता है। माँ ने आया बन्दी को हिदायत दी है कि डौली माली की कोठरी में नहीं आएगी क्योंकि "उन्हें भय था, उन बच्चों के साथ डौली की आदतें बिगड़ जाएंगी। डौली का बालसुलभ मन माली के नवजात शिशु का रूदन सुनकर रूक नहीं पाया और वह माली की कोठरी में चली गई। इसकी प्रतिक्रिया में श्रीमती बग्गा ने आया को नोटिस देते हुए कहा कि यदि फिर डौली आवारा गन्दे बच्चों के साथ खेलती पायी गई तो बस बरखास्त कर दी जाएगी। श्रीमती बग्गा डौली के मन में अपने और माली के निम्न वर्ग का भेद निरंतर रेखांकित करती हैं। जब भी डौली माली के बच्चे के साथ खेलना चाहती है तो तर्क देते हुए कहती है - "छी-छी । मामा ने समझाया वह तो कितना गंदा बच्चा है। ऐसे गन्दे बच्चों के साथ खेलने से छी-छी वाले हो जाते हैं। इनके साथ खेलने से जुएं पड़ जाती हैं। वे कितने गन्दे हैं, काले काले । हमारी डौली कहीं काली है ? एक अन्य उदाहरण में जब माली का बच्चा भूख के कारण रोता है तो आभिजात्य तेवर वाली मिसेज बग्गा कह उठती है 'जाने इस बच्चे के गले का छेद कितना बड़ा है।"
बग्गा साहब की पत्नी अपनी बेटी के प्रति ममतामयी है। वह बेटी डौली से अत्यधिक स्नेह करती है और हर संभव कोशिश करती है कि बेटी नियन्त्रण में रहे तथा अपने जैसे उच्च वर्ग के लोगों के सम्पर्क में रहे। उसने बेटी की आया को हिदायत दे रखी है कि डौली को माली क्वार्टर में नहीं मैंनेजर साहब के बच्चों से खेलने ले जाया करो। वहां रमन और ज्योति से खेल आया करेगी और शाम को कम्पनी बाग में ले जाना।
बग्गा साहब की पत्नी एक पढ़ी-लिखी शिक्षित नारी है। आधुनिक सभ्यता के सांचे में ढली होने के कारण वह बेटी व बेटे में भेद नहीं करती। डौली उनके लिए बेटी भी है और बेटा भी । उन्होंने डौली के जीवन की सुख-सुविधाओं को ध्यान में रख कर अन्य सन्तान पैदा न करने का निश्चय किया है। पति-पत्नी एकमत होकर निर्णय लेते हैं कि डौली यूनिवर्सिटी की शिक्षा पाएगी, शिक्षाक्रम पूरा करने के बाद विलायत जाएगी। अपने इस निर्णय के लिए उनके पास तर्क है "सन्तान के प्रति उत्तरदायित्व का यह आदर्श एक ही सन्तान के प्रति पूरा किया जा सकता है अतः कीड़े-मकोड़े की तरह बच्चे पैदा करने का फायदा नहीं।"
निःसंदेह बग्गा साहब की पत्नी पढ़ी-लिखी, समझदार, ममतामयी व उच्च वर्ग से संबंध रखने वाली नारी है। बेटी डौली के लिए हर सुख-सुविधा का प्रबन्ध करती है लेकिन डोली के बालमन की इच्छाओं व अभिलाषाओं को समझने की उन्होंने कभी कोशिश नहीं की। डौली को सदैव उच्च वर्ग के तौर-तरीके सिखाए जाते हैं जबकि उसकी संवेदनाओं और जिज्ञासाओं को नजरंदाज कर देती है। उनके स्वभाव का यही कमजोर पक्ष डौली के बालमन पर प्रश्न छोड़ जाता है "आया, हम भी भूख से मर जाएंगे ?"
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