तन पर नहीं लत्ता पान खाय अलबत्ता मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग
तन पर नहीं लत्ता पान खाय अलबत्ता मुहावरे का अर्थ — झूठी शान दिखाना; झूठा दिखावा; झूठी रईसी दिखाना; सामर्थ्य से बढ़कर शौक; औकात से बढ़कर बताना।
तन पर नहीं लत्ता पान खाय अलबत्ता का वाक्य प्रयोग
वाक्य प्रयोग: घर में पहनने को दो अच्छे कपड़े भी नहीं है और बात करते हैं अरमानी और गुच्ची की, ये तो वही बात हुई कि तन पर नहीं लत्ता पान खाय अलबत्ता।
वाक्य प्रयोग: टेनरी में 5000 मासिक की मामूली नौकरी करते हैं और बैठते हैं आईएएस अधिकारी के साथ सच में तन पर नहीं लत्ता पान खाए अलबत्ता।
वाक्य प्रयोग: शहर में टूटे मकान में रहते हैं और बताते है कि गांव भी बड़ी हवेली है, तन पर नहीं लत्ता पान खाए अलबत्ता।
वाक्य प्रयोग: नटवर लाल कभी चाय को भी नहीं पूछते और कहते हैं उनके यहाँ रोजाना छप्पन भोग बनते हैं, तन पर नहीं लत्ता पान खाए अलबत्ता।
वाक्य प्रयोग: विक्रम टूटी साइकिल से चलता है लेकिन बात ऐसे करता है कि घर में कारों की लाइन लगी है। उसका हाल तो तन पर नहीं लत्ता पान खाए अलबत्ता वाला है।
यहाँ हमने तन पर नहीं लत्ता पान खाय अलबत्ता मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग समझाया है। तन पर नहीं लत्ता पान खाय अलबत्ता मुहावरे का अर्थ — झूठी शान दिखाना; झूठा दिखावा; झूठी रईसी दिखाना; सामर्थ्य से बढ़कर शौक; औकात से बढ़कर बताना। इस मुहावरे का प्रयोग ऐसे व्यक्ति के लिए किया जाता है जो झूठ और अपनी सामर्थ्य से बढ़-चढ़कर दिखावा करता है।