विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध। Essay on Science Blessing or Curse in Hindi
आज का युग वैज्ञानिक चमत्कारों का युग है। मानव-जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आज विज्ञान ने आश्चर्यजनक क्रांति ला दी है। मानव-समाज की सारी गतिविधियां आज विज्ञान से परिचालित हैं। दुर्जेय प्रकृति पर विजय प्राप्त कर आज विज्ञान मानव का भाग्यविधाता बन बैठा है। अज्ञात रहस्यों की खोज में उसने आकाश की ऊँचाइयों से लेकर पाताल की गहराइयाँ तक नाप दी हैं। उसने हमारे जीवन को सभी ओर से इतना प्रभावित कर दिया है कि विज्ञान-शून्य विश्व की आज कोई कल्पना तक नहीं कर सकता। इस स्थिति में हमें सोचना पड़ता है कि विज्ञान को वरदान समझा जाए या अभिशाप। अतः दोनों पक्षों पर समन्वित दृष्टि से विचार करके ही किसी निष्कर्ष पर पहुँचना उचित होगा।
विज्ञान : वरदान के रूप में : आधुनिक मानव का सम्पूर्ण पर्यावरण विज्ञान के वरदानों के आलोक से आलोकित है। प्रातः जागरण से लेकर रात के शयन तक के सभी क्रिया-कलाप विज्ञान द्वारा प्रदत्त् साधनों के सहारे ही संचालित होते हैं। जितने भी साधनों का हम अपने दैनिक जीवन में उपयोग करते हैं वे सब विज्ञान के ही वरदान हैं। इसी लिए तो कहा जाता है कि आज का अभिनव मनुष्य विज्ञान के माध्यम से प्रकृति पर विजय पा चुका है
आज की दुनिया विचित्र नवीन
प्रकृति पर सर्वत्र है विजयी पुरूष आसीन।
हैं बँधे नर के करों में वारि-विद्युत-भाप
हुक्म पर चढ़ता-उतरता है पवन का ताप।
है नहीं बाकि कहीं व्यवधान
लाँघ सकता नर सरित-गिरि-सिन्धु एक समान।
विज्ञान के इन विविध वरदानों की उपयोगिता प्रमुख क्षेत्रों में अग्रलिखित हैं।
- (क) यातायात के क्षेत्र में- प्राचीन काल में मनुष्य को लम्बी यात्रा तय करने में बरसों लग जाते थे किन्तु आज रेल¸ मोटर¸ जलपोत¸ वायुयान आदि के आविष्कार से दूर-से-दूर स्थानों पर अति शीघ्र पहुँचा जा सकता है। यातायात और परिवहन की उन्नति से व्यापार की भी कायापलट हो गयी है।
- (ख) संचार के क्षेत्र में- बेतार के तार ने संचार के क्षेत्र में क्रान्ति ला दी है। आकाशवाणी¸ दूरदर्शन¸ तार¸ दूरभाष (टेलीफोन¸ मोबाइल फोन)¸ आदि की सहायता से कोई भी समाचार क्षणभर में विश्व के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँचाया जा सकता है। कृत्रिम उपग्रहों ने इस दिशा में और भी चमत्कार कर दिखाया है।
- (ग) दैनन्दिन जीवन में- विद्युत के आविष्कार ने मनुष्य की दैनन्दिन सुख-सुविधाओं को बहुत बढ़ा दिया है। वह हमारे कपड़े धोती है¸ उन पर प्रेस करती है¸ भोजन पकाती है¸ सर्दियों में गर्म और गर्मियों में शीतल जल उपलब्ध कराती है तथा गर्मी-सर्दी दोनों से समान रूप से हमारी रक्षा करती है। आज की समस्त औद्योगिक प्रगति इसी पर निर्भर है।
- (घ) स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र में- मानव को भयानक और संक्रामक रोगों से पर्याप्त सीमा तक बचाने का श्रेय विज्ञान को ही है। एक्स-रे¸अल्ट्रासाउण्ड टेस्ट¸ऐन्जियोग्राफी¸कैट स्कैन आदि परीक्षणों के माध्यम से शरीर के अन्दर के रोगों का पता सरलतापूर्वक लगाया जा सकता है। यही नहीं इससे नेत्रहीनों को नेत्र¸कर्णहीनों को कान और अंगहीनों को अंग देना सम्भव हो सका है।
- (ङ) औद्योगिक क्षेत्र में भारी मशीनों के निर्माण ने बड़े-बड़े कल-कारखानों को जन्म दिया है जिससे श्रम¸ समय और धन की बचत के साथ-साथ प्रचुर मात्रा में उत्पादन सम्भव हुआ है। इससे विशाल जनसमूह को आवश्यक वस्तुएँ सस्ते मूल्य पर उपलब्ध करायी जा सकी हैं।
- (च) कृषि के क्षेत्र में- 121 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाला हमारा देश आज यदि कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की और अग्रसर हो सका है तो यह भी विज्ञान की ही देन है। विज्ञान ने किसान को उत्तम बीज¸प्रौढ़ एवं विकसित तकनीक¸रासायनिक खादें¸कीटनाशक¸ट्रैक्टर¸ट्यूबवेल और बिजली प्रदान की है। छोटे-बड़े बाँधों का निर्माण कर नहरें निकालना भी विज्ञान से ही सम्भव हुआ है।
- (छ) शिक्षा के क्षेत्र में- मुद्रण-यन्त्रों के आविष्कार ने बड़ी संख्या में पुस्तकों का प्रकाशन सम्भव बनाया है। इसके अतिरिक्त समाचार-पत्र¸पत्र-पत्रिकाएँ आदि भी मुद्रण-क्षेत्र में हुई क्रान्ति के फलस्वरूप घर-घर पहुँचकर लोगों का ज्ञानवर्धन कर रही हैं।
- (ज) मनोरंजन के क्षेत्र में- चलचित्र¸ आकाशवाणी¸दूरदर्शन आदि के आविष्कार ने मनोरंजन को सस्ता और सुलभ बना मनुष्य को उच्च् कोटि का मनोरंजन सुलभ कराया है।
- संक्षेप में कहा जा सकता है कि मानव-जीवन के लिए विज्ञान से बढ़कर दूसरा कोई वरदान नहीं है।
विज्ञान : अभिशाप के रूप में : विज्ञान का एक और पक्ष भी है। विज्ञान एक असीम शक्ति प्रदान करने वाला तटस्थ साधन है। मानव चाहे जैसे इसका इस्तेमाल कर सकता है। सभी जानते हैं कि मनुष्य में दैवी प्रवृत्ति भी हैं और आसुरी प्रवृत्ति भी। सामान्य रूप से जब मनुष्य की दैवी प्रवृत्ति प्रबल रहती है तो वह मानव-कल्याण के कार्य करता है परन्तु किसी भी समय मनुष्य की राक्षसी प्रवृत्ति प्रबल होते ही कल्याणकारी विज्ञान एकाएक प्रबलतम विध्वंसक एवं संहारक शक्ति का रूप ग्रहण कर सकता है। गत विश्व-युद्ध से लेकर अभी तक मानव ने विज्ञान के क्षेत्र में अत्यधिक उन्नति की है अतः कहा जा सकता है कि आज विज्ञान की विध्वंसक शक्ति पहले की अपेक्षा बहुत बढ़ गयी है।
विध्वंसक साधनों के अतिरिक्त अन्य अनेक प्रकार से भी विज्ञान ने मानव का अहित किया है। विज्ञान ने भौतिकवादी प्रवृत्ति को प्रेरणा दी है जिसके परिणामस्वरूप धर्म एवं अध्यात्म से सम्बन्धित विश्वास थोथे प्रतीत होने लगे हैं। मानव-जीवन के पारस्परिक समबन्ध भी कमजोर होने लगे हैं।
आज विज्ञान के ही कारण मानव-विज्ञान अत्यधिक खतरों से परिपूर्ण तथा असुरक्षित भी हो गया है। कम्प्यूटर तथा दूसरी मशीनों ने यदि मानव को सुविधा के साधन उपलब्ध कराये हैं तो साथ-साथ रोजगार के अवसर भी छीन लिये है। विद्युत विज्ञान द्वारा प्रदत्त् एक महान् देन है परन्तु विद्युत का एक मामूली झटका ही व्यक्ति ही इहलीला समाप्त कर सकता है। विज्ञान के दिन-प्रतिदिन होते जा रहे नवीन आविष्कारों के कारण मानव पर्यावरण असन्तुलन के दुष्चक्र में भी फँस चुका है।
सुख-सुविधाओं की अधिकता के कारण मनुष्य आलसी और आरामतलब बनता जा रहा है जिससे उसकी शारीरिक शक्ति का ह्वास हो रहा है अनेक नये-नये रोग उत्पन्न हो रहे हैं तथा उसमें सर्दी और गर्मी सहने की क्षमता घट गयी है। चारों ओर का कृत्रिम आडम्बरयुक्त जीवन इस विज्ञान की ही देन है। औद्यगिक प्रगति ने पर्यावरण-प्रदूषण की विकट समस्या खड़ी कर दी है। विज्ञान के इस विनाशकारी रूप को दृष्टि में रखकर महाकवि दिनकर मानव को चेतावनी देते हुए कहते हैं
सावधान मनुष्य । यदि विज्ञान है तलवार।
तो इसे दे फेंक तजकर मोह स्मृति के पार।।
खेल सकता तू नहीं ले हाथ में तलवार ।
काट लेगा अंग तीखी है बड़ी यह धार।।
उपसंहार : विज्ञान सचमुच तलवार है जिससे व्यक्ति आत्मरक्षा भी कर सकता है और अनाड़ीपन में अपने अंग काट सकता है। इसमें दोष तलवार का नहीं उसके प्रयोक्ता का है। विज्ञान ने मानव के सम्मुख असीमित विकास का मार्ग खोल दिया है जिससे मनुष्य संसार से बेरोजगारी¸भुखमरी¸महामारी आदि को समूल नष्ट कर विश्व को अभुतपूर्व सुख-समृद्धि की ओर ले जा सकता है। किन्तु यह तभी संभव है जब मनुष्य में आध्यात्मिक दृष्टि का विकास हो मानव-कल्याण की सात्विक भावना जागे। अतः स्वयं मानव को ही यह निर्णय करना है कि वह विज्ञान को वरदान रहने दे या अभिशाप बना दे।
Nice
ReplyDeleteThanks
DeleteJADU!!!!!
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