रस - काव्य को पढ़ते या सुनते समय जिस आनन्द की अनुभूति होती है ,उसे ही रस कहते है।
रसों की संख्या नौ है।
रस का नाम स्थायीभाव
1- श्रृंगार रति
2- वीर उत्साह
3- रौद्र क्रोध
4- वीभत्स जुगुप्सा ( घृणा )
5- अदभुत विस्मय
6- शान्त निर्वेद
7- हास्य हास
8- भयानक भय
9- करुण शोक ( इनके अतिरिक्त दो रसों की चर्चा और होती है )-
10- वात्सल्य सन्तान विषयक रति
11- भक्ति भगवद विषयक रति
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