सब दिन होत न एक समान पर निबंध (Sab Din Hot Na Ek Saman par Nibandh) सब दिन होत न एक समान पर निबंध: मनुष्य का जीवन सुख-दुःख, हानि-लाभ, उतार-...
सब दिन होत न एक समान पर निबंध (Sab Din Hot Na Ek Saman par Nibandh)
सब दिन होत न एक समान पर निबंध: मनुष्य का जीवन सुख-दुःख, हानि-लाभ, उतार-चढ़ाव से भरा होता है। कोई भी समय स्थायी नहीं होता, न ही खुशियाँ हमेशा बनी रहती हैं और न ही कठिनाइयाँ सदा के लिए होती हैं। इसी सत्य को कबीरदास जी ने अपने दोहे— "सब दिन होत न एक समान"—में बड़ी सरलता से व्यक्त किया है। इस कहावत का अर्थ है कि समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता; परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं। जीवन का यही नियम है, और इसे समझकर ही हम एक संतुलित, धैर्यवान और सकारात्मक दृष्टिकोण अपना सकते हैं।
परिवर्तन ही जीवन का नियम
यदि हम प्रकृति पर ध्यान दें, तो पाएँगे कि ऋतुएँ बदलती रहती हैं—गर्मी के बाद वर्षा होती है, फिर ठंडी हवाएँ चलती हैं, और अंततः बसंत की बहार आती है। दिन और रात का क्रम चलता रहता है। समुद्र की लहरें कभी ऊँची उठती हैं, तो कभी शांत हो जाती हैं। जीवन भी इसी सिद्धांत पर चलता है। जब कठिन समय आता है, तो हमें धैर्य रखना चाहिए, क्योंकि वह स्थायी नहीं होता। उसी प्रकार, जब अच्छा समय हो, तो हमें घमंड नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह भी हमेशा नहीं रहेगा।
कठिनाइयाँ स्थायी नहीं होतीं
जीवन में हर व्यक्ति को संघर्षों का सामना करना पड़ता है। कोई भी इंसान ऐसा नहीं है जिसने कठिन समय न देखा हो। यदि हम इतिहास पर नजर डालें, तो पाएँगे कि बड़े-बड़े राजाओं, योद्धाओं, कवियों और वैज्ञानिकों को भी अपने जीवन में संघर्ष करना पड़ा।
महान वैज्ञानिक थॉमस एडिसन को ही लीजिए। जब वे विद्युत बल्ब का आविष्कार कर रहे थे, तो हजारों बार असफल हुए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। यदि वे सोचते कि उनका बुरा समय कभी खत्म नहीं होगा, तो आज दुनिया अंधकार में होती। इसी प्रकार, अब्राहम लिंकन ने कई चुनाव हारे, व्यापार में असफल हुए, लेकिन अंततः वे अमेरिका के सबसे महान राष्ट्रपतियों में से एक बने।
यदि हम अपने जीवन में कठिन समय से घबरा जाएँ और सोचें कि यह कभी खत्म नहीं होगा, तो हम गलत हैं। समय का पहिया चलता रहता है, और यदि हम धैर्य और मेहनत से काम लेते रहें, तो सफलता अवश्य मिलेगी।
सफलता के क्षण भी स्थायी नहीं होते
जिस प्रकार कठिनाइयाँ सदा नहीं रहतीं, उसी प्रकार सफलता भी स्थायी नहीं होती। जब जीवन में अच्छा समय आता है, तो हमें अहंकार और लापरवाही से बचना चाहिए। कई बार लोग सफलता मिलते ही खुद को अजेय समझने लगते हैं और मेहनत करना छोड़ देते हैं। यही उनकी असफलता का कारण बनता है।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण रावण है। वह महान ज्ञानी और पराक्रमी था, लेकिन उसकी अहंकारवश सोच थी कि उसका राज्य और शक्ति हमेशा बनी रहेगी। इसी भ्रम ने उसे विनाश की ओर धकेल दिया। इसी प्रकार, कई बड़े व्यापारी और खिलाड़ी भी अपनी सफलता के शिखर पर पहुँचकर आत्ममुग्ध हो गए और देखते ही देखते नीचे गिर गए।
इसलिए जब जीवन में अच्छे दिन हों, तो हमें विनम्र बने रहना चाहिए, मेहनत करनी चाहिए, और दूसरों की मदद करनी चाहिए। तभी हम सफलता को बनाए रख सकते हैं।
धैर्य और परिश्रम से बदल सकता है समय
कोई भी परिस्थिति स्थायी नहीं होती, इसलिए जब भी जीवन में कठिन समय आए, तो हमें धैर्य नहीं खोना चाहिए। निरंतर प्रयास से हम अपनी स्थिति बदल सकते हैं।
महात्मा गांधी को देखिए। जब वे दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय भेदभाव का शिकार हुए, तो उन्होंने हार मानने के बजाय इसके खिलाफ लड़ने का फैसला किया। उनका धैर्य और संघर्ष ही था जिसने उन्हें महान नेता बनाया।
यदि किसान यह सोचकर खेत में बीज बोना बंद कर दे कि बारिश नहीं होगी या सूखा पड़ जाएगा, तो उसे कभी फसल नहीं मिलेगी। लेकिन वह मेहनत करता है, बीज बोता है, और धैर्य रखता है। अंततः जब समय बदलता है, तो उसकी मेहनत रंग लाती है।
निष्कर्ष
हमें जीवन में हर परिस्थिति को स्वीकार करना सीखना चाहिए। यदि दुख के समय को अस्थायी मानकर सहनशीलता से काम लें, तो वह समय जल्द ही बीत जाएगा। इसी तरह, यदि सुख के समय में संयम बनाए रखें और आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार रहें, तो हम संतुलित जीवन जी सकते हैं। समय के बदलाव को स्वीकार करना और उसके अनुसार अपने मनोभावों को संतुलित रखना ही बुद्धिमानी है।
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