तताँरा-वामीरो कथा का सारांश (Tatra vamiro katha Summary in Hindi) अंडमान द्वीपसमूह का अंतिम द्वीपसमूह लिटिल अंडमान है। इसी तरह निकोबार द्वीप...
तताँरा-वामीरो कथा का सारांश (Tatra vamiro katha Summary in Hindi)
अंडमान द्वीपसमूह का अंतिम द्वीपसमूह लिटिल अंडमान है। इसी तरह निकोबार द्वीपसमूह के पहले द्वीप का नाम कार-निकोबार है। कहा जाता है कि पहले कभी ये दोनों एक हुआ करते थे और उसके विषय में यह तताँरा-वामीरो की कथा प्रचलित है।
तताँरा-वामीरो कथा का सारांश
जब लिटिल अंडमान और कार निकोबार द्वीप आपस में जुड़े हुए थे, उस समय वहाँ एक सुंदर एवं बलिष्ठ युवक रहता था - तताँरा। तताँरा 'पासा' गाँव का रहने वाला था। वह बहुत अच्छे स्वभाव का था और मुसीबत में सबके काम आता था। यही कारण है कि उसे सभी लोग आदर व सम्मान की दृष्टि से देखते थे तथा उसे अपने पारिवारिक और सामाजिक कामों में बुलाया करते थे। कहते हैं कि उसके पास लकड़ी की बनी एक तलवार थी, जिसे वह सदैव अपने साथ रखता था। उसे इस तलवार को चलाते हुए किसी ने नहीं देखा था, लेकिन लोगों का मानना था कि उसकी तलवार में अद्भुत शक्ति थी।
एक शाम समुद्र के किनारे बैठकर सूरज की छवि निहारते हुए तताँरा को वामीरो का मधुर गीत सुनाई देता है। गीत से मोहित होकर वह गायिका की ओर बढ़ता है। तभी एक लहर वामीरो को भिगो देती है और वह गीत बंद कर देती है। तताँरा वामीरो से गीत फिर से सुनाने का अनुरोध करता है, पर वामीरो उसे अनजान समझकर बेरुखी से जवाब देती है। धीरे-धीरे दोनों का प्रेम बढ़ता जाता है। वे प्रतिदिन समुद्र के किनारे मिलते हैं, परंतु उनका प्रेम गाँव के नियमों के विरुद्ध था। तताँरा और वामीरो अलग-अलग गाँवों के थे और गाँव का नियम था कि किसी बाहरी युवक का विवाह गाँव की युवती से नहीं हो सकता।
कुछ समय बाद पासा गाँव में पशु-पर्व का आयोजन हुआ। इस पर्व में तताँरा वामीरो को ढूँढता रहा। अचानक उसे लगा कि कोई उसे नारियल के झुरमुट से देख रहा है। यह वामीरो थी। वामीरो की माँ वहाँ आ गई और उसने तताँरा का बहुत अपमान किया। तताँरा को क्रोध आ गया। उसने अपनी लकड़ी की तलवार निकाली और उसे पूरी शक्ति के साथ धरती में गाड़ दिया। वहीं से धरती के दो भाग हो गए। तताँरा एक ओर खड़ा था और वामीरो दूसरी ओर। धरती में दरार पड़ चुकी थी और तताँरा जिस भाग पर खड़ा था, वह भाग अब धरती में धँसने लगा। तताँरा लहूलुहान होकर अचेत हो गया।
तताँरा बहता हुआ कहाँ गया और उसका क्या हुआ, यह कोई नहीं जानता। दूसरी ओर वामीरो तताँरा का वियोग सहन कर पाने में असमर्थ हो चुकी थी। वह रोज़ उसी स्थान पर जाती और तताँरा को ढूँढती । उसने खाना-पीना छोड़ दिया और अपने परिवार से अलग हो गई। लोगों ने उसे ढूँढने की कोशिश की, लेकिन वे असफल रहे।
आज दोनों ही नहीं हैं, लेकिन उनकी यह प्रेमकथा घर-घर में सुनाई जाती है। निकोबार के लोगों का मत है कि तताँरा की तलवार से कार-निकोबार के जो टुकड़े हुए, उसका दूसरा हिस्सा लिटिल अंडमान है। तताँरा-वामीरो के बलिदान के पश्चात् निकोबारी दूसरे गाँवों में भी वैवाहिक संबंध करने लगे हैं। वैवाहिक संबंधों में आने वाले इस परिवर्तन को शायद तताँरा-वामीरो के बलिदान ने संभव किया है।
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