जब मैंने पहली बार चाय बनाई पर अनुच्छेद: आज भी मुझे वो दिन बखूबी याद है जब मैंने पहली बार चाय बनाई थी। मैं तब दस साल की थी। उस दिन सुबह, माँ मंदिर पूज
जब मैंने पहली बार चाय बनाई पर अनुच्छेद
आज भी मुझे वो दिन बखूबी याद है जब मैंने पहली बार चाय बनाई थी। मैं तब दस साल की थी। उस दिन सुबह, माँ मंदिर पूजा करने गयी थीं। पापा पहले ही ऑफिस चले गए थे। घर में मैं अकेली थी। थोड़ी देर बाद मुझे चाय पीने की इच्छा हुई। मैंने सोचा, क्यों न मैं खुद चाय बना लूँ?
यह सोचकर मैं रसोई में गयी। मैंने देखा कि वहां चाय बनाने के सारे सामान रखे हुए थे। मैंने पहले चायपत्ती और चीनी निकाली। फिर मैंने एक पतीला पानी से भरकर गैस पर चूल्हे पर रख दिया। जब पानी उबलने लगा, तो मैंने उसमें चायपत्ती डाल दी। थोड़ी देर बाद मैंने दूध और चीनी भी डाल दी।
कुछ मिनट बाद मैंने चाय को कप में छान लिया। मैं बहुत खुश थी कि मैंने खुद चाय बना ली थी। मैंने एक घूंट चाय पी। थोड़ी अधिक मीठी थी, लेकिन फिर भी मुझे अच्छी लगी। मैंने सोचा, "अगली बार मैं और अच्छी चाय बनाऊंगी।"
यह अनुभव मेरे लिए बहुत यादगार रहा। उस दिन मैंने सीखा कि आत्मविश्वास और थोड़ी सी हिम्मत से हम कुछ भी कर सकते हैं।
जब मैंने पहली बार चाय बनाई पर अनुच्छेद - 2
गर्मी की छुट्टियाँ थीं। घर में मेहमानों का आना-जाना लगा हुआ था। एक दिन, जब कुछ रिश्तेदार हमारे घर आए, तो माँ ने मुझसे चाय बनाने को कहा। मुझे थोड़ी झिझक हुई क्योंकि चाय का पहला घूंट तो बचपन से याद था, मगर उसे बनाना! मैंने हिचकिचाते हुए कहा, "मैंने तो कभी नहीं बनाई, माँ।"
माँ मेरी हिचकिचाहट भांप गईं। उन्होंने हँसते हुए कहा, "अरे, बनाओगे नहीं तो सीखोगे कैसे! माँ ने मुझे हौसला दिया और मुझे बताया कि चाय बनाना बहुत आसान है। उन्होंने मुझे चाय बनाने की विधि समझाई और मुझे सारी सामग्री निकालकर दीं। मैंने पानी चढ़ाया, फिर चायपत्ती, चीनी और दूध डाला।
चाय बनने के बाद, कांपते हाथों से मैंने चाय मेहमानों को परोसी। फिर जादू हुआ। हर किसी ने चाय की तारीफ की, मानो मैंने कोई कमाल कर दिया हो! मुझे भी खुशी हुई कि मैंने पहली बार में ही इतनी अच्छी चाय बना ली थी। शायद इसलिए क्योंकि कुछ नया सीखने का फल मीठा होता है।
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