बाढ़ पीड़ितों की मदद के दौरान हुए अपने अनुभवों को अपने मित्र से साँझा करते हुए पत्र लिखिए: प्रिय मित्र, उम्मीद है तुम ठीक होगे। कुछ दिन पहले ही उत्तरा
बाढ़ पीड़ितों की मदद के दौरान हुए अपने अनुभवों को अपने मित्र से साँझा करते हुए पत्र लिखिए
परीक्षा भवन
नई दिल्ली।
दिनांक: 12/02/20XX
प्रिय [मित्र का नाम],
नमस्ते!
उम्मीद है तुम ठीक होगे। कुछ दिन पहले ही उत्तराखंड से लौटा हूँ, जहां बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए स्वयंसेवकों की एक टीम के साथ गया था। जाने से पहले तक तो सिर्फ समाचारों में ही बाढ़ की तबाही देखता था, लेकिन वहां का मंजर कुछ और ही था। पहाड़ों का सीना चीरती बाढ़ की कहानी वहाँ के लोगों की आंखों में साफ झलकती थी।
हमने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया। जहां तहां तबाही का ही मंजर था। लोग टेंटों में रहने को मजबूर थे। छोटे बच्चों के चेहरों पर मासूमियत की जगह डर और भूख साफ झलकती थी। बुजुर्गों के चेहरों पर चिंता की लकीरें गहरी हो चुकी थीं। उनकी आँखों में सवाल था कि क्या कभी उनकी ज़िंदगी पटरी पर लौटेगी?
हमने राहत सामग्री - भोजन, कपड़े, दवाइयां आदि बांटीं। कुछ लोगों के लिए अस्थायी आश्रय बनाने में भी मदद की। घरों और खेतों की सफाई में भी हाथ बंटाया। ये भले ही छोटे काम थे, लेकिन उम्मीद की एक किरण जगाने के लिए काफी थे। लोगों के चेहरों पर थोड़ी राहत देखने लायक थी। उनका आभार देखकर दिल को सुकून मिला।
इस अनुभव ने मुझे बहुत कुछ सिखाया। ज़िंदगी कितनी भी अनिश्चित क्यों न हो, हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। मुसीबत के समय एक-दूसरे का सहारा बनना ही मानवता है। उम्मीद है कि जल्द ही ये लोग अपनी ज़िंदगी फिर से पटरी पर ला सकेंगे।
तुम भी किसी न किसी रूप में ज़रूरतमंदों की मदद करने की कोशिश करना। तुम्हारी थोड़ी सी मदद भी किसी की ज़िंदगी में बहुत बड़ा बदलाव ला सकती है।
तुम्हारा मित्र,
अ.ब.स.
बाढ़ पीड़ितों की मदद के दौरान हुए अपने अनुभवों को साँझा करते हुए अपने मित्र से पत्र लिखिए
मकान नं. 35,
वैशाली नगर,
उज्जैन, मध्यप्रदेश।
प्रिय [मित्र का नाम],
नमस्ते!
उम्मीद है तुम ठीक होगे। तुम्हें पता ही होगा कि पिछले महीने उत्तराखंड में भारी बाढ़ आई थी। लाखों लोग बेघर हो गए थे और उनकी ज़िंदगी तबाह हो गई थी।
मैं बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए उत्तराखंड गया था। वहां मैंने जो अनुभव किए, वे मुझे आज भी याद हैं। लोगों की दुर्दशा देखकर मेरा दिल दहल गया था। वे अपने घरों से बेघर होकर सड़कों पर रहने को मजबूर थे। उनके पास खाने-पीने के लिए कुछ नहीं था। वे बीमारियों से घिरे हुए थे। छोटे बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित थे।
मैंने देखा कि कैसे लोग अपने प्रियजनों को खो चुके थे। उनके घर, खेत, और सारा सामान बाढ़ में बह गया था। वे अपनी ज़िंदगी को फिर से शुरू करने के लिए संघर्ष कर रहे थे।
लेकिन मैंने यह भी देखा कि कैसे लोग इस आपदा का सामना कर रहे थे। वे एक-दूसरे की मदद कर रहे थे। वे अपनी ज़िंदगी को फिर से शुरू करने के लिए दृढ़ संकल्पित थे।
मैंने भी बाढ़ पीड़ितों की मदद करने में अपना योगदान दिया। मैंने उन्हें भोजन, कपड़े, और दवाइयां बांटीं। मैंने उनके घरों को साफ करने में भी मदद की।
यह अनुभव मेरे लिए बहुत ही प्रेरणादायक रहा। मैंने सीखा कि ज़िंदगी में कितनी भी मुश्किलें क्यों न हों, हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। हमें हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
तुम्हारा इंतजार रहेगा।
तुम्हारा मित्र,
अ.ब.स.
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