मुक्तियज्ञ' खण्डकाव्य के नायक महात्मा गाँधी का चरित्र चित्रण: डॉ. राजेन्द्र मिश्र कृत खण्डकाव्य 'मुक्तिदूत' के नायक महात्मा गाँधी हैं जो भारतीय स्वाधी
मुक्तिदूत' खण्डकाव्य के नायक महात्मा गाँधी का चरित्र चित्रण कीजिए।
डॉ. राजेन्द्र मिश्र कृत खण्डकाव्य 'मुक्तिदूत' के नायक महात्मा गाँधी हैं जो भारतीय स्वाधीनता संग्राम के प्रेरणास्रोत तथा राष्ट्रपिता का गौरव प्राप्त व्यक्तित्व हैं। खण्डकाव्य के आधार पर महात्मा गाँधी जी की चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
भारत के मुक्तिदूत- भारत के स्वतंत्रता संग्राम के वाहक गाँधी जी ने सम्पूर्ण जीवन भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु किये गये मुक्तियज्ञ को समर्पित कर दिया। उनके अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप भारत ने 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त किया।
दलितों के प्रति संवेदनशील- समाज से अस्पृश्यता जैसी कुरीति के उन्मूलन के लिए गाँधी जैसे दृढ़ व्यक्तित्व की ही समाज को आवश्यकता थी। दलितों को हरिजन कहकर सम्बोधित करने वाले गाँधी सदैव उनके उत्थान के लिए संघर्षशील रहे। गाँधी के हृदय के द्वार सदैव दलितों के लिए खुले थे।
मानवीय गुणों की प्रतिमूर्ति - महात्मा गाँधी की माता एक धर्मनिष्ठ महिला थी और उन्होंने महात्मा गाँधी के व्यक्तित्व में बाल्यकाल से ही मानवीय गुणों का वपन किया था। सम्भवतः इसी कारण महात्मा गाँधी ने सत्य और अहिंसा जैसे गुणों के बल पर ब्रिटिश शासन के जटिल ताने-बाने को भंग कर दिया।
दृढ़ निश्चयी - गाँधी जी अपने इरादों और वादों के पक्के थे। एक बार जो निश्चय कर लिया, उस पर आजीवन अटल रहे। स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने अनेक कष्ट सहे, जेल यात्राएँ कीं, पत्नी वियोग सहा किन्तु उनका मनोबल कभी नहीं डिगा ।
जन में लोकप्रिय - साधारण कद-काठी वाले गाँधी ने समाज की दशा और दिशा ही बदल दी थी। समाज के लिए संचालित रचनात्मक कार्यों ने उन्हें समाज के प्रत्येक वर्ग तथा सम्प्रदाय में लोकप्रिय बना दिया था।
वस्तुतः गाँधी जी ने अहिंसक साधनों से भारत के मुक्तियज्ञ को ही पूर्ण नहीं किया अपितु अपने प्राणों को भी देश के, विश्व के कल्याण हेतु समर्पित कर दिया।
मुक्तियज्ञ' खण्डकाव्य के नायक का चरित्र चित्रण कीजिए।
मुक्तिदूत खण्डकाव्य के नायक 'महात्मा गाँधी' के चरित्र की विशेषताएँ निम्नलिखित है- 1. लोकोत्तर पुरुष, 2. मातृभक्त, 3. दलितों के उद्धारक, 4. निर्भीक तथा अड़िग, 5. राष्ट्र भक्त, और 6. मानवीय गुणों से भरपूर
1. लोकोत्तर पुरुष - कवि ने गाँधी जी को असाधारण पुरुष माना है। खण्डकाव्य के प्रथम सर्ग में ही कवि ने गाँधी जी को अवतार पुरुष माना है। ऐसे व्यक्ति पृथ्वी पर अवतार के रूप में प्रकट होते हैं, जो पृथ्वी के दु: खों का हरण करते हैं। जिस कोटि में राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, ईसा, पैगम्बर आदि आते हैं, उसी कोटि में महात्मा गाँधी का नाम भी लिया जाता है।
2. मातृभक्त - गाँधी जी के जीवन पर उनकी माता के चरित्र की गहरी छाप पड़ी । खण्डकाव्य के द्वितीय सर्ग में उन्होंने अपनी माता को स्वप्न में देखा और उनकी सच्ची शिक्षा को ग्रहण किया। गाँधीजी ने उदारता परपोकार 'सत्यता आदि गुणों को अपनी माता से ही सीखा।
3. दलितों के उद्धारक- गाँधीजी ने जीवन पर्यन्त पिछड़ों, दलितों तथा हरिजनों को गले लगाया। वे बहुत समय तक हरिजनों की बस्ती में अपना समय व्यतीत किये। गाँधीजी के जीवन का मुख्य उद्देश्य हरिजनों का उद्धार करना ही था । कवि ने स्पष्ट शब्दों में कहा है-
“दलितों के उद्धार हेतु ही, तुमने झण्डा किया बलंद।
तीस बरस तक रहे जुझते अंग्रेजों से अथक अमन्द।।”
4. निर्भीक तथा अड़िग- गाँधी जी अपने निश्चय पर अटल रहने वाले थे। वे अंग्रेजों के अत्याचारों से पीड़ित भारतीय जनता का उद्धार करने के लिए आगे आए।
5. राष्ट्र भक्त - गाँधी जी महान राष्ट्रभक्त थे। उन्होंने जीवन भर अपने देश की स्वतंत्रता के लिए प्रयास किया। देश की स्वतंत्रता के लिए उन्होंने अनेक आंदोलनों को चलाया। उन्होंने अंग्रेजो के अत्याचार के सामने घुटने नहीं टेके। जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड देखकर तो उनका हृदय तड़प उठा ।
6. मानवीय गुणों से भरपूर - गाँधीजी का चरित्र अनेक गुणों का भण्डार था। उनमें सत्यता, परोपकार करुणा, अहिंसा, देशभक्ति, गुण आदि कूट-कूटकर भरे हुए थे। वे सभी को समान दृष्टि से देखते थे। वे विश्वबन्धुत्व तथा भाईचारे की भावना से ओत-प्रो थे और सभी धर्मों के आदर भाव रखते थे। गाँधीजी सचमुच ही भारत में अलौकिक पुरुष के रूप में अवतरित हुए।
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