सरहद के उस पार रिपोर्ताज का उद्देश्य लिखिए। इस रिपोर्ताज का उद्देश्य है नेपाल की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक दशा का सजीव रेखाचित्र खींचना, वहाँ की स्थित
सरहद के उस पार रिपोर्ताज का उद्देश्य लिखिए।
'सरहद के उस पार' फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित एक यथार्थपरक रिपोर्ताज है। इस रिपोर्ताज का उद्देश्य है नेपाल की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक दशा का सजीव रेखाचित्र खींचना, वहाँ की स्थिति से जनमानस को रूबरू करवाना। इस रिपोर्ताज में दर्शाया गया है कि नेपाल की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक दशा जर्जर है। यहाँ का विराट नगर 'मिलों का नगर' कहलाता है। यहाँ पूँजीपतियों का वर्चस्व दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है क्योंकि नेपाल सरकार उन तमाम पूँजीपतियों को तमाम तरह की सहायता - सहूलियतें प्रदान करती है परन्तु यहाँ की आम जनता मूलभूत जरूरतों के लिए तरस रही है। समाज में अशिक्षा, बेरोजगारी, गरीबी, बिजली, पानी, सड़क जैसी समस्याएँ मुँह बाए खड़ी हैं परन्तु सरकार की इनमें कोई दिलचस्पी नहीं, ना ही कुछ करने चाहत है। नेपाली आम जनता की जिन्दगी बद से बदतर होती जा रही है परन्तु सरकार के कानों पर जूँ नहीं रेंग रही है।
समय के साथ-साथ अब जनता सचेत, जागरूक होने लगी है। अब वह नेपाल के निरंकुश शासकों के साथ पूँजीपतियों की गहरी साँठ गाँठ के पीछे के षडयंत्र को भली भाँति समझने लगी है। अब वह यहाँ समाजवाद का नारा बुलन्द करने हेतु क्रान्ति करने से भी पीछे नहीं हटेगी ।
इस रिपोर्ताज का उद्देश्य यह बताना भी है कि नेपाल की अपनी संस्कृति है । ये भारतवासियों के ख़िलाफ़ कभी हथियार नहीं उठाते फिर भी हमारे नेतागण इनके विकास के से प्रति उदासीन है, उनके विषय में अपना मुँह नहीं खोलते हैं। यहाँ के साहित्यकारों की लेखनी से निकलने वाली रचनाओं में 'कैकेयी', 'सिपाही', 'परालो की आग' जैसी रचनाएँ सम्मिलित हैं जिनके पात्र भारतीय ही हैं। दरअसल सरहद के इस पार और सरहद के उस पास की सभ्यता, संस्कृति, सोच-विचार किसी भी परिप्रेक्ष्य में देखने पर स्पष्ट होगा कि दोनों देशों में काफी हद तक समानता है । यही इस रिपोर्ताज का उद्देश्य है ।
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