कक्षा 11 हिंदी आरोह पाठ 2 मियाँ नसीरुद्दीन के प्रश्न उत्तर - Miya Nasiruddin Class 11 Question Answer and MCQ
कक्षा 11 हिंदी आरोह पाठ 2 मियाँ नसीरुद्दीन के प्रश्न उत्तर - Miya Nasiruddin Class 11 Question Answer and MCQ
प्रश्न 1. मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा क्यों कहा गया है?
उत्तर - नानबाई का अर्थ है - विभिन्न प्रकार की रोटी बनाने व बेचने का काम करने वाला व्यक्ति। मियाँ नसीरुद्दीन भी एक प्रतिभाशाली नानबाई था। उन्हें नानबाइयों का मसीहा इसलिए कहा गया है क्योंकि वे खानदानी नानबाई थे। उनके पिता बरकत शाही नानबाई गढ़या वाले के नाम से जाने जाते थे और उनके दादा आला नानबाई मियाँ कल्लन के नाम से प्रसिद्ध थे। वे जामा मस्जिद के मटियामहल के गढ़या मुहल्ले के अकेले ही खानदानी नानबाई थे। वे नानबाई की कला में प्रवीण थे और इस कला के महान पारखी भी थे। वे चाहते थे कि लोग इस कला को सम्मान की दृष्टि से देखें। इन सब बातों को देखते हुए यह कहना सही है कि मियाँ नसीरुद्दीन नानबाइयों का मसीहा था।
प्रश्न 2. लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास क्यों गई थी ?
उत्तर - लेखिका एक दोपहर को जामा मस्जिद से मटियामहल के गढ़या मुहल्ले की ओर से निकल रही थी तो उनकी नजर एक बिल्कुल साधारण सी दिखाई देने वाली दुकान पर पड़ी क्योंकि वहाँ पटापट की आवाज आ रही थी। वहाँ आटा भी साना जा रहा था। लेखिका ने सोचा शायद सेवइयाँ बनाने की दुकान है। परंतु पूछने पर पता लगा कि खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान है। यह पता चलने पर उसने मियाँ नसीरुद्दीन से मुलाकात करने का निश्चय किया और उसकी दुकान में प्रवेश कर गई।
प्रश्न 3. बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी क्यों खत्म होने लगी?
उत्तर- जब लेखिका ने मियाँ नसीरुद्दीन से पूछा कि आपके बुजुर्गों ने किस बादशाह के यहाँ बावर्ची खाने में काम किया होगा? मियाँ ने कहा बादशाह सलामत ने हमारे बुजुर्गों से कहा मियाँ नानबाई कोई ऐसी चीज बनाओ जो न आग से पके और न पानी से बने। तो हमारे बुजुर्गों ने ऐसा पकवान बनाया जिसे बादशाह ने खूब खाया और खूब सराहा। तो लेखिका ने पूछा- किस बादशाह सलामत ने..........बहादुरशाह जफर या फिर.......... इतना सुनते ही मियाँ को लेखिका की बातों में दिलचस्पी न रही, क्योंकि उसे लगा कि लेखिका तो न जाने कैसे-कैसे उलटे सीधे सवाल पूछने लगी है। उसके मन में संदेह उत्पन्न हो गया। वे सोचने लगे कि न जाने कौन-सी बात पूछ बैठे जिसका उसे पता न हो। इसलिए मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी लेखिका की बातों से समाप्त होने लगी थी।
प्रश्न 4. मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर किसी दबे हुए अंधड़ के आसार देख यह मज़मून न छेड़ने का फैसला किया- इस कथन के पहले और बाद के प्रसंग का उल्लेख करते हुए इसे स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- जब मियाँ नसीरुद्दीन लेखिका के प्रश्नों के उत्तर हुआ देता व्याकुल- सा हो गया तो उसने लेखिका के प्रश्नों के उलटे-सीधे जवाब देने आरंभ कर दिए। जब लेखिका ने पूछा कि आपके वालिद किस बादशाह सलामत के यहाँ बावर्चीखाने में काम करते थे ? मियाँ जी ने कहा, जहाँपनाह बादशाह सलामत के यहाँ और किसके। लेखिका यह भी पूछना चाहती थी कि उसके कितने बेटे-बेटियाँ हैं? किंतु मियाँ के चेहरे पर किसी अंधड़ के आसार देखकर यह प्रसंग छोड़ने का निश्चय कर लिया था। लेखिका को लगा था कि मियाँ बादशाह सलामत का नाम बताने में हिचक रहे हैं तथा हमारी सारी बातें व प्रश्न अब उन्हें व्यर्थ प्रतीत हो रहे हैं। अतः लेखिका ने अपने शेष प्रश्न न पूछने में ही बुद्धिमत्ता समझी तब लेखिका ने पूछा कि आपकी भट्ठी पर कितने प्रकार की रोटियाँ बनाई जाती हैं। इस पर मियाँ नसीरुद्दीन ने बताया कि उनकी भट्ठी पर बाकरखानी, शीरमाल, ताफतान, बेसनी, खमीरी, रूमाली, गाव, दीदा, गाज़ेबान, तुनकी आदि किस्म की रोटियाँ बनाई जाती हैं। अतः स्पष्ट है कि मियाँ लेखिका के प्रश्नों के उकताने पर ही मियाँ के मिजाज में अंतर आ गया था।
प्रश्न 5. पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखिका ने कैसा खींचा है?
उत्तर-लेखिका के अनुसार मियाँ नसीरुद्दीन सत्तर वर्ष के हैं। उनकी आयु का प्रभाव उनके चेहरे पर स्पष्ट देखा जा सकता है। लेखिका के अनुसार वे बड़े बातूनी और अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनने वाले बुजुर्ग थे । उनका व्यक्तित्व साधारण था । वे एक हाजिर जवाब व्यक्तित्व के धनी भी थे। उनके स्वभाव में स्नेह कम और रूखाई अधिक थी। वे तालीम और सीख के विषय में स्पष्ट विचार रखते थे। वे सदा काम में लगे रहते थे। दूसरों का शोषण करना उन्हें अच्छा नहीं लगता था ।
वे अपने आपको पंचहजारी के समान समझते थे। बादशाह सलामत के विषय में अत्यंत तल्लीनता से बातें बताकर अपने बुजुर्गों की महानता सिद्ध करने में उन्हें विशेष आनंद की अनुभूति होती है । वे खाना पकाने की कला में निपुण थे। उनके चेहरे से ही एक मँजे हुए कारीगर की झलक स्पष्ट दिखाई देती थी। इस प्रकार लेखिका ने मियाँ नसीरुद्दीन का एक सजीव एवं आकर्षक शब्दचित्र प्रस्तुत किया है।
पाठ के आस-पास
प्रश्न 1. मियाँ नसीरुद्दीन की कौन-सी बातें आपको अच्छी लगीं?
उत्तर - मियाँ नसीरुद्दीन की सबसे अच्छी बात तो यह है कि वह अपने व्यवसाय की कला में निपुण हैं। आज लोग अपने खानदानी पेशे को छोड़ते जा रहे हैं, किंतु उसे अपने खानदानी पेशे पर गर्व है तथा उसने उस व्यवसाय में उन्नति की है। ऐसे ही लोग पूर्व कलाओं को जीवित रख सकते हैं।
उनके जीवन की दूसरी बात अच्छी है, सीख और शिक्षा संबंधी विचार। उसने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि काम सीखने से आता है। कर्म करने में विश्वास रखना भी बहुत बड़ी बात है। आज लोग आरामतलबी में पड़कर अपनी कार्य क्षमता को खो बैठते हैं किंतु वह सत्तर वर्ष की अवस्था में पहुँचकर भी खाने-पकाने की कला में व्यस्त रहते थे। उनके जीवन की तीसरी बात हमें अच्छी लगी कि समाचार-पत्र वालों से दूर रहना पसंद करते थे। वे ऐसे किसी पचड़े में नहीं पड़ना चाहते थे। वे समाचार-पत्र पढ़ने वालों को निठल्ले समझते थे। वे अपने पूर्वजों का सम्मान करते थे, यह उनके चरित्र की अन्य प्रमुख विशेषता है। वे अपने हुनर का प्रशिक्षण दूसरों को उत्साहपूर्वक देते थे। दूसरों का शोषण करना उन्हें बुरा प्रतीत होता था। इन सभी विशेषताओं को देखते हुए हम कह सकते हैं कि मियाँ नसीरुद्दीन एक अच्छे इंसान थे।
प्रश्न 2. तालीम की तालीम ही बड़ी चीज़ होती है यहाँ लेखिका ने तालीम शब्द का दो बार प्रयोग क्यों किया है? क्या आप दूसरी बार आए तालीम शब्द की जगह कोई अन्य शब्द रख सकते हैं? लिखिए ।
उत्तर- 'तालीम' का अर्थ है - शिक्षा। लेखिका ने यहाँ 'तालीम' शब्द का दो बार प्रयोग किया है। वे यहाँ बताना चाहती हैं कि किसी भी विषय की जानकारी के लिए शिक्षा लेनी पड़ती है। शिक्षा किस ढंग से ली जानी चाहिए, उसकी जानकारी रखना भी नितांत आवश्यक है। अतः शिक्षा की शिक्षा या शिक्षा प्राप्त करने की जानकारी (ज्ञान) होना भी आवश्यक हैं। दूसरी बार प्रयुक्त 'तालीम' शब्द के स्थान पर हम 'ज्ञान' शब्द का प्रयोग भी कर सकते है, यथा तालीम लेने का ज्ञान होना भी बड़ी चीज़ होती है ।
प्रश्न 3. मियाँ नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं जिसने अपने खानदानी व्यवसाय को अपनाया। वर्तमान समय में प्रायः लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं। ऐसा क्यों?
उत्तर- वर्तमान समय में लोग खानदानी या पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं। इसका मूल कारण है कि आज भौतिकवादी व उपयोगितावाद का युग है। आज सभी लोग आराम एवं ऐश्वर्य का जीवनयापन करना चाहते हैं । नई पीढ़ी के लोग माता-पिता का अंकुश सहन नहीं करते। इसलिए जरा-सी बात को लेकर विद्रोह का झंडा उठा लेते हैं। इसके साथ आज हर व्यक्ति थोड़े से समय में अमीर हो जाना चाहता है। हर कार्य को उपयोगिता की दृष्टि से देखते हैं। इसलिए जिस कार्य से आय कम होती है, उसे त्याग देने का निश्चय कर लेते हैं। "क्या धरा है इस काम में।” कहने का भाव है धैर्य व सहनशीलता एवं संतोष की भावनाओं के अभाव के कारण आज लोग अपने पारिवारिक व्यवसाय को छोड़ते जा रहे हैं।
प्रश्न 4. 'मियाँ कहीं अखबारनवीस तो नहीं हो? यह तो खोजियों की खुराफात है' - अखबार की भूमिका को देखते हुए इस पर टिप्पणी करें।
उत्तर- मियाँ नसीरुद्दीन का यह कहना पूर्णतः उचित है कि 'अखबारनवीस खोजियों की खुराफात है।' यह वाक्य दो धार वाली तलवार की भाँति हैं। इस वाक्य का पहला एवं सकारात्मक अर्थ लिया जा सकता है कि अखबारनवीस (पत्रकार) नई-नई सूचनाओं को खोजकर दुनिया के सामने प्रस्तुत करते हैं, जिससे विकास के अवसर मिलते हैं और ज्ञान का विस्तार होता है। इस वाक्य का दूसरा एवं नकारात्मक अर्थ भी निकलता है कि अखबारनवीस अपना अखबार चलाने के लिए व्यर्थ की बातों को बढ़ावा देते हैं। वे नई-नई घटनाएँ खोजकर अपने अखबार में प्रकाशित करते हैं जिससे समाज में हड़बड़ी या सनसनी फैल जाती है। समाज की शांति भंग होती है।
किंतु मियाँ नसीरुद्दीन के कथन से दूसरा अर्थ ही अभिव्यक्त होता है।
पकवानों को जानें
प्रश्न-पाठ में आए रोटियों के अलग-अलग नामों की सूची बनाएँ और इनके बारे में जानकारी प्राप्त करें ।
उत्तर - पाठ में जिन रोटियों के नाम आए हैं वे हैं - बाकरखानी, शीरमाल, ताफतान, बेसनी, खमीरी, रूमाली, गाव, दीदा, गाज़ेबान और तुनकी। इनके बारे में अधिक जानकारी अपने अध्यापक/अध्यापिका से प्राप्त कीजिए ।
भाषा की बात
प्रश्न 1. तीन चार वाक्यों में अनुकूल प्रसंग तैयार कर नीचे दिए गए वाक्यों का इस्तेमाल करें।
(क) पंचहज़ारी अंदाज़ से सिर हिलाया ।
उत्तर- एक दिन मुझे स्टेशन पर पहुँचने में देर हो गई थी रेल आने का समय हो गया था। उधर कोई रिक्शा वाला भी नहीं दिखाई दिया। मैं परेशान हो गया कि क्या किया जाए। मुझे याद आया कि अपने बेटे अंकित से कहूँ कि वह मुझे अपनी मोटर साइकिल पर स्टेशन छोड़ आए। वह खेल में व्यस्त था। पहले तो वह माना नहीं लेकिन खुशामद करने पर वह मान गया और उसने पंचहजारी के अंदाज़ में सिर हिला दिया ।
(ख) आँखों के कंचे हम पर फेर दिए ।
उत्तर- रोशन सदा ही साधारण पोशाक पहनता था। आज वह बढ़िया सूट व नेकटाई लगाकर कक्षा में आया था। उसके कुछ सहपाठियों ने उस पर फबती कसते हुए कहा 'यह सब कहाँ से मारा है।' यह सुनते ही उसने अपनी आँखों के कंचे उन पर फेर दिए और तरेरकर बोला, तुम्हें इससे क्या लेना ?
(ग) आ बैठे उन्हीं के ठीये पर ।
उत्तर- मोहन पिछले तीन वर्ष से सरकारी नौकरी के लिए प्रयास कर रहा था किंतु जब कहीं नौकरी नहीं मिली तो अंततः वह उसी ठीये पर आ बैठा जहाँ उसके पिता सिलाई का काम करते थे।
प्रश्न 2. बिटर - बिटर देखना - यहाँ देखने के एक खास तरीके को प्रकट किया गया है। देखने संबंधी इस प्रकार के चार क्रिया-विशेषणों का प्रयोग कर वाक्य बनाइए।
उत्तर- देखने संबंधी इस प्रकार के चार क्रिया - विशेषण इस प्रकार हैं-
1. ऊपर-नीचे देखना - सीधे चलो, ऊपर नीचे देखना अच्छी बात नहीं ।
2. आगे-पीछे देखना - सावधानी से नहीं चल सकते, आगे पीछे देख रहे हो ।
3. इधर-उधर देखना - इधर-उधर देखने से समस्या का हल नहीं होगा।
4. जगह-जगह देखना - राजू को जगह-जगह देख लिया कहीं पता नहीं चला।
प्रश्न 3. नीचे दिए वाक्यों में अर्थ पर बल देने के लिए शब्द -क्रम परिवर्तित किया गया है। सामान्यतः इन वाक्यों को किस क्रम में लिखा जाता है? लिखें
(क) मियाँ मशहूर हैं छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए।
उत्तर- मियाँ छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए मशहूर हैं।
(ख) निकाल लेंगे वक्त थोड़ा।
उत्तर- थोड़ा वक्त निकाल लेंगे।
(ग) दिमाग में चक्कर काट गई है बात ।
उत्तर- बात दिमाग में चक्कर काट गई है।
(घ) रोटी जनाब पकती है आँच से।
उत्तर- जनाब, रोटी आँच से पकती है ।
परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1. मियाँ नसीरुद्दीन से लेखिका की मुलाकात कैसे हुई ?
उत्तर - एक दिन जामा मस्जिद से लौटते हुए लेखिका ने एक निहायत साधारण सी दुकान पर ढेर सारा आटा सनते हुए देखा, पूछने पर लोगों ने बताया कि यह खानदानी नानबाई की प्रसिद्ध दुकान है। लेखिका ने इसके विषय में पहले भी सुन रखा था। जानकारी मिलने पर मालिक से मिलने की इच्छा हुई और लेखिका ने दुकान के भीतर जाकर मियाँ नसीरुद्दीन से मुलाकात की।
प्रश्न 2. मियाँ नसीरुद्दीन का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर-मियाँ नसीरुद्दीन एक कुशल नानबाई हैं। वे अपने परंपरागत व्यवसाय में निपुण हैं। उनका बात करने का अंदाज़ अत्यंत रोचक है। यदि कोई उनसे प्रश्न पूछता है तो वे उत्तर बहुत धुमा-फिरा कर देते हैं। वे अपनी प्रशंसा स्वयं करने में माहिर हैं। उन्हें दूसरों से अपनी तारीफ सुनना बहुत अच्छा लगता है। वे अपने क्षेत्र में अपने आपको श्रेष्ठ समझते हैं। वे बातों के बहुत बड़े धनी हैं किंतु साथ ही काम करने में जो उनकी कुशलता या निपुणता है वह भी अनुकरणीय है।
वे आँखों में काँइयाँ भोलापन, पेशानी पर मँजे हुए कारीगर के तेवर लिए, उनके चेहरे पर मौसमों की मार स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। उनके बात करने का ढंग भी कविता कहने जैसा है।
प्रश्न 3. मियाँ नसीरुद्दीन पत्रकारों से दूर क्यों भागता दिखाई देता है?
उत्तर - मियाँ जी मानते थे कि अखबार पढ़ने वाले और छापने वाले दोनों बेकार होते हैं। आज की पत्रकारिता अच्छी-अच्छी खबरों को भी मसाला लगाकर छापती है। कभी-कभी तो खबरों को जोरदार बनाने के लिए उन्हें तोड़-मरोड़कर भी पेश करते हैं। इससे वे सच्चाई से दूर हट जाते हैं। मियाँ जी को उन पर विश्वास नहीं है । इसलिए वे समझते हैं कि अखबार पढ़ने से अच्छा तो अपना काम करना है। बिना किसी काम के लिखना, छापना और पढ़ना उनकी दृष्टि में निकम्मापन है। इसलिए वे पत्रकारों से दूर रहना चाहते हैं।
प्रश्न 4. लेखिका द्वारा मियाँ से बादशाह का नाम पूछे जाने पर उसने क्या उत्तर दिया था ?
उत्तर- पहले तो प्रश्न पूछे जाने पर मियाँ जी भड़क उठे कि यह कैसा प्रश्न है। फिर गुस्से में बोले नाम जानकर क्या कीजिएगा । फिर नाम में रखा ही क्या है? फिर कुछ तेवर बदलते हुए बोले उनका नाम कौन नहीं जानता? 'जहाँपनाह बादशाह सलामत' यही तो है। फिर झुंझलाकर बोले तुम्हें क्या उन्हें चिट्ठी लिखनी है जो तुम उनका नाम-पता जानना चाहती हो ।
प्रश्न 5. स्वयं को खानदानी नानबाई प्रमाणित करने के लिए मियाँ नसीरुद्दीन ने क्या-क्या तर्क दिए?
उत्तर- मियाँ नसीरुद्दीन को श्रेष्ठ नानबाई होने का बड़ा गर्व था। वह अपने आपको श्रेष्ठ नानबाई सिद्ध करने के लिए लेखिका को बताता है कि हमारे बुजुर्गों से बादशाह सलामत ने यूँ कहा कि मियाँ नानबाई कोई चीज़ खिला सकते हो, चीज़ ऐसी जो न आग से पके और न पानी से बने। बस हमारे बुजुर्गों ने वह खास चीज़ बनाई बादशाह ने खाई और खूब सराही। लेखिका ने जब उस चीज का नाम पूछा तो वे बोले, 'वो हम नहीं बताएँगे मानो यह महज एक किस्सा ही था। किंतु मियाँ से जीत पाना कठिन था।
प्रश्न 6. 'मियाँ नसीरुद्दीन' शीर्षक कहानी का उद्देश्य / प्रेरणा का सार रूप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर- 'मियाँ नसीरुद्दीन' कृष्णा सोबती द्वारा रचित एक सुन्दर शब्द-चित्र है। इसमें इन्होंने खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन के व्यक्तित्व, रुचियों एवं स्वभाव का सजीवतापूर्वक चित्रण किया है। वे एक ऐसे मनुष्य हैं जो अपने पेशे को कला का दर्जा देते हैं। वे काम करके ही असली हुनर को सीखने का सन्देश देते हैं। कहानी का प्रमुख पात्र बताता है कि कोई भी काम करने से ही आता है, नसीहतों से नहीं। शिक्षा देने का प्रशिक्षण भले ही बहुत बड़ी चीज़ है किन्तु असली चीज़ काम ही है। कहानी में स्पष्ट कहा गया है कि एक बार जो समय गुजर जाए उसे पुनः लौटाया या पाया नहीं जा सकता - " वक्त को वक्त से किसी ने मिलाया है आज तक ।" इसके साथ नानबाई के प्रमुख कर्त्तव्य पर प्रकाश डाला गया है कि सच्चा नानबाई वही होता है जो खाने की साधारण-से-साध शरण वस्तु को भी अपने हुनर से अति स्वादिष्ट रूप प्रदान कर दे। अतः स्पष्ट है कि लेखिका का कहानी के नायक मियाँ नसीरुद्दीन के व्यक्तित्व के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डालने के साथ-साथ उसके व्यवसाय (हुनर ) का उल्लेख करना भी प्रमुख लक्ष्य है।
मियाँ नसीरुद्दीन MCQ Class 11th
1. 'मियाँ नसीरुद्दीन' नामक पाठ हिंदी साहित्य की किस विधा के अंतर्गत आता है?
- कहानी
- निबंध
- संस्मरण "✔"
- रेखाचित्र
2. 'मियाँ नसीरुद्दीन' नामक पाठ की लेखिका का नाम है-
- महादेवी वर्मा
- कृष्णा सोबती "✔"
- सुभद्रा कुमारी चौहान
- अमृता प्रीतम
3. कृष्णा सोबती किस प्रकार के साहित्य के लिए प्रसिद्ध है?
- काव्य
- कथा साहित्य "✔"
- नाटक
- इतिहास
4. कृष्णा सोबती का जन्म कब हुआ ?
- सन् 1925 "✔"
- सन 1935
- सन् 1945
- सन 1949
5. कृष्णा सोबती का जन्म किस स्थान पर हुआ था ?
- जालंधर
- दिल्ली
- गुजरात "✔"
- उत्तर प्रदेश
6. ‘मियाँ नसीरुद्दीन' नामक पाठ कृष्णा सोबती की किस रचना में संकलित है?
- दिलोदानिश
- हम-हशमत "✔"
- मित्रो मरजानी
- बादलों के घेरे
7. निम्नलिखित में से कृष्णा सोबती का कौन-सा अमर पात्र है?
- होरी
- निर्मला
- कालिदास
- शाहनी "✔"
8. 'मियाँ नसीरुद्दीन' नामक पाठ में किसके व्यक्तित्व का शब्द-चित्र अंकित किया गया है?
- मियाँ नसीरुद्दीन के दादा का
- मियाँ नसीरुद्दीन के पिता का
- मियाँ नसीरुद्दीन का "✔"
- मियाँ नसीरुद्दीन के भाई का
9. मियाँ नसीरुद्दीन किस कला में प्रवीण थे?
- वास्तुकला
- चित्रकला
- भाषण कला
- रोटी बनाने की कला "✔"
10. मियाँ नसीरुद्दीन कैसे इंसान का प्रतिनिधित्व करते थे।
- चालाक इंसान का
- त्यागशील इंसान का
- जो अपने पेशे को कला का दर्जा देते हैं "✔"
- जो अपने खानदान का नाम डुबोते हैं।
11. जब लेखिका गढ़या मुहल्ले से गुजर रही थी तो उसे एक दुकान से कैसी आवाज़ सुनाई दी ?
- पटापट की "✔"
- नृत्य करने की
- गीत की
- रोने की
12. पटापट आटे के ढेर को सानने की आवाज़ को सुनकर लेखिका ने क्या सोचा था ?
- पराँठे बन रहे है
- सेवइयों की तैयारी हो रही है "✔"
- दाल को तड़का लग रहा है।
- हलवा बनाया जा रहा है
13. मियाँ नसीरुद्दीन कितने प्रकार की रोटी बनाने के लिए मशहूर हैं?
- बत्तीस
- चालीस
- छयालीस
- छप्पन "✔"
14. “आँखों में काइयाँ भोलापन और पेशानी पर मंजे हुए कारीगर के तेवर" यहाँ 'पेशानी' का अर्थ है-
- परेशानी
- दाढ़ी
- मूँछें
- मस्तक "✔"
15. मियाँ नसीरुद्दीन ने लेखिका को क्या समझा था ?
- अभिनेत्री
- नेत्री
- अखबारनवीस "✔"
- कवयित्री
16. मियाँ नसीरुद्दीन ने अखबार के विषय में क्या कहा था?
- खोजियों की खुराफात "✔"
- धार्मिक लोगों का प्रयास
- आय का साधन
- प्रसिद्धि का आसान तरीका
17. मियाँ नसीरुद्दीन के कारीगर का नाम लिखिए-
- जहीर
- नजीर
- शौकत
- बब्बन मियाँ "✔"
18. लेखिका के अनुसार नसीरुद्दीन का खानदानी पेशा क्या था ?
- नगीनासाज
- आईनासाज
- रंगरेज
- नानबाई "✔"
19. मियाँ नसीरुद्दीन अपना उस्ताद किसे मानते हैं?
- अपने वालिद को "✔"
- अपने दादा को
- अपने मामा को को
- अपने नाना को
20. कौन-सी रोटी पापड़ से भी महीन होती है?
- तुनकी "✔"
- रुमाली
- तंदूरी
- आफताबी
21. मियाँ नसीरुद्दीन के दादा का क्या नाम था ?
- मियाँ कल्लन "✔"
- मियाँ बरकत शाही
- मियाँ दादूदीन
- मियाँ सलमान अली
22. 'काम करने से आता है, नसीहतों से नहीं' ये कथन किसका है?
- लेखिका का
- नसीरुद्दीन के दादा का
- नसीरुद्दीन के पिता का
- नसीरुद्दीन का "✔"
23. 'तालीम की तालीम भी बड़ी चीज़ होती है' - इस वाक्य में दूसरी बार प्रयुक्त तालीम का क्या अर्थ है-
- शिक्षा
- शिक्षा का ज्ञान "✔"
- उपदेश
- नसीहत
24. 'कोई ऐसी चीज खिलाओ जो न आग से पके, न पानी से बने।' ये शब्द किसने कहे थे?
- बादशाह सलामत "✔"
- मियाँ नसीरुद्दीन
- लेखिका
- मियाँ कल्लन
25. पाठ में प्रयुक्त 'रुमाली' शब्द का अर्थ है-
- छोटा रूमाल
- (B) बड़ा रूमाल
- रूमाल की भाँति रोटी "✔"
- इनमें से कोई नहीं
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