पंच परमेश्वर कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालिये।
पंच परमेश्वर कहानी का शीर्षक 'पंच परमेश्वर' उस भारतीय विश्वास की याद दिलाता है कि पंचों में ईश्वर का निवास होता है। यह सामूहिकता का सम्मान भी है जिसमें निहित है कि पंच यानी पाँच लोग या समूह कभी असत्य का साथ नहीं देगा अर्थात हमारे लोक की मान्यता है कि एक व्यक्ति भले झूठ बोल ले, बेईमानी कर ले किन्तु यह सामूहिक प्रवृत्ति नहीं हो सकती। यहाँ न्यायबोध का सवाल भी आ गया है जब खाला बिगाड़ के डर से ईमान बदलने के लिए ललकार रही है। ठेठ लोककथाओं सरीखे अंदाज में प्रेमचंद कहानी का शीर्षक भी मन को छूने वाला चुनते हैं और उसका निर्वाह कहानी में हुआ है, भले ही उससे कहानी का राज प्रकट हो जाता हो। भारत की न्याय व्यवस्था के पुराने ढंग की याद दिलाती इस कहानी के शीर्षक से औपनिवेशिक दौर में अस्तित्व में आई आधुनिक कोर्ट-कचहरी तथा महंगी न्याय व्यवस्था के औचित्य पर भी सवाल खड़ा किया गया है।