अम्मा का चरित्र-चित्रण: 'मजबूरी' कहानी की 'अम्मा' एक ममतामयी नारी के रूप में चित्रित हुई है। उसके हृदय में अपने बेटे-बहू तथा पोते के लिए असीम प्रेम है
अम्मा का चरित्र-चित्रण - Amma Ka Charitra Chitran
अम्मा का चरित्र-चित्रण: 'मजबूरी' कहानी की 'अम्मा' एक ममतामयी नारी के रूप में चित्रित हुई है। उसके हृदय में अपने बेटे-बहू तथा पोते के लिए असीम प्रेम है । अम्मा का पति वैद्य है जो दिनभर औषधालय में ही रहता है और बेटा रामेसुर बम्बई में नौकरी होने के कारण परिवार सहित वहीं रहता है। पति और बेटा दोनों अपने जीवन में व्यस्त है जिस कारण अम्मा का अकेलापन काटने वाला कोई नहीं। अपने अकेलेपन में वह बेटे के आने की आस लगाए रहती है। जब उसे बेटे की परिवार सहित आने की सूचना मिलती है तो अम्मा की प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहता, क्योंकि इस बार वह बेटे के साथ-साथ अपने पोते से भी मिलने वाली थी। पोते के स्मरण से ही उसका ममत्व हिलौरे लेने लगता है। पोते की ममता में वह अपने गठिया के दर्द को भी भूल जाती है और खुशी में पूरा आंगन लीपने लगती है। वह अकेले में लोरियां गुनगुनाती है-
"बेटू को खिलावे जो एक घड़ी
उसे पिन्हाऊं मैं सोने की घड़ी ।
बेटू को खिलावे जो एक पहर,
उसे दिलाऊं मैं सोने की मोहर"
इतना ही नहीं जब बेटा परिवार सहित घर आता है तो वह तांगे की आवाज सुनकर ही दरवाजे की और दौड़ पड़ती है और बेटे से पोते को ऐसे छीनती है जैसे किसी अजनबी से अपने पोते को ले रही हो। बेटा-बहू जब अम्मा को बताते हैं कि अब बेटू को वह उनके पास ही छोड़ जाएंगे, क्योंकि बहू फिर से गर्भवती थी और ऐसी स्थिति में दो बच्चों की देखभाल करना कठिन है। यह सूचना अम्मा की खुशी को चरमसीमा पर पहुँचा देती है। वह इस समाचार को गांव की सभी औरतों को बताती है। अम्मा की यह प्रतिक्रिया पोते के प्रति उसके प्रेम को प्रदर्शित करती है।
अम्मा पोते के प्रति असीम ममता तो रखती है किन्तु जब बात उसी पोते के भविष्य की आती है तो वह अपनी ममता को इसमें रुकावट नहीं पहुँचाने देती । बहू, बेटू की अनुशासनहीनता से चिंतित होकर उसे अपने साथ ले जाने का निर्णय लेती है। पहली बार तो बेटू अम्मा के प्रेमाभाव के कारण पूणः वापिस आ जाता है लेकिन दूसरी बार बम्बई की चकाचौंद में उसका मन रम जाता है। तब अम्मा अपने प्रेम को हृदय में छुपा बेटू के उज्ज्वल भविष्य के लिए खुश होती है। अपनी नौकरानी नर्बदा से कहे अम्मा के ये शब्द - "सुना नर्बदा, बेटू मुझे भूल गया - वह भूल ही गया...." अम्मा की वेदना को व्यक्त करते हैं। क्योंकि चाहे वह पोते के भविष्य के लिए उसे स्वयं से दूर कर देती है लेकिन उसका मोह एवं असीम प्रेम अपने हृदय में आज भी छुपाए हुए है।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि अम्मा एक ममतामयी नारी के रूप में हमारे सामने आती है, जो पोते के प्रति अथाह स्नेह रखते हुए भी उसके सुनहरे भविष्य हेतु स्वयं अकेलापन स्वीकार कर लेती है ।
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