हवा और पानी के बीच संवाद लेखन : In This article, We are providing हवा और पानी के बीच संवाद लेखन and Hawa aur Pani Ke Beech Samvad Lekhan for Students
हवा और पानी के बीच संवाद लेखन : In This article, We are providing हवा और पानी के बीच संवाद लेखन and Hawa aur Pani Ke Beech Samvad Lekhan for Students and teachers.
हवा और पानी के बीच संवाद लेखन
हवा : कैसे हो पानी, इतने परेशान क्यों हो ?
पानी : क्या बताऊँ हवा बहन, मनुष्य ने प्रदूषित कर दिया है। अब मैं पहले जैसा तरोताजा नहीं रहा।
हवा : तुम एकदम सही कह रहे हो। मेरा भी वही हाल है जो तुम्हारा हाल है।
पानी : एक समय था जब मैं लोगों को जीवन देता था और आज लोग मुझे पीकर बीमार पड़ जाते हैं।
हवा : मुझे भी इतना प्रदूषित कर दिया है कि अब तो लोग मास्क लगाकर सांस लेते हैं की कहीं बीमार न पड़ जाएँ।
पानी : मुझे तो समझ नहीं आता कि मनुष्य जैसा बुद्धिमान जीव अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी क्यों मार रहा है ? जबकि उसे ज्ञात है की हमारे बिना उसका जीवन संभव ही नहीं है।
हवा : जब किसी का अंत आ जाता है तो उसका विवेक काम नहीं करता। इसीलिए मनुष्य के विवेक ने भी उसका साथ छोड़ दिया है।
पानी : वैसे भी हमें क्या, जो जैसा करेगा, वैसा भुगतेगा। हमें तो प्रकृति समय के साथ स्वच्छ कर ही देगी।
Hawa aur Pani Ke Beech Samvad Lekhan
हवा : हे पानी तुम निरंतर सभी प्यास बुझाते हो। क्या तुम कभी थकते नहीं ?
पानी : तुम भी तो सभी को श्वास देती हो, निरंतर बहती रहती हो। क्या तुम कभी थकती हो ?
हवा : अरे! अगर मैं रुक जाउंगी तो सभी जीवित प्राणी मृत नहीं हो जायेंगे ?
पानी : इसी प्रकार मेरा भी निरंतर बहना और सभी की प्यास बुझाना जरुरी है।
हवा : वास्तव में हम दोनों ही पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक अंग है।
पानी : हां, अगर हम दोनों रुक जाएँ तो धरती पर हर प्रकार के जीव-जंतु, वनस्पतियां और पेड़-पौधे नष्ट हो जायेंगे।
हवा : इसीलिए तो ईश्वर ने हमें यह जिम्मेदारी दी है।
पानी : एकदम सही कहा आपने।
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