वोल्फगैंग एमॅड्यूस मोजार्ट। Wolfgang Amadeus Mozart Hindi Biography
वुल्फगैंग एमडियस मोजार्ट का जन्म 27 जनवरी, 1756 को ऑस्ट्रिया के सेल्जबर्ग में हुआ था। उनके पिता लियोपोल्ड मोजार्ट एक प्रसिद्ध संगीतकार थे और वायलिन बजाना सिखाने की पुस्तक के प्रसिद्ध लेखक थे। लियोपोल्ड और उनकी पत्नी अन्ना मारिया अपने बच्चों को संगीत के महत्व को समझने पर जोर देते थे। अपनी बहन नैन्नेर्ल के साथ मोजार्ट को इतनी गहन संगीत की शिक्षा मिली कि छह वर्ष की उम्र तक तो वह संगीतकार के रूप में उभरने लगे और एक बहतरीन की-बोर्ड परफॉर्मर बन गये। 1762 में लियोपोल्ड ने अपने बेटे को वियना के इम्पीरियल कोर्ट में एक परफॉर्मर के रूप में प्रस्तुत किया। 1763 से 1766 तक वह लगातार बच्चों को अपने साथ यूरोप में होने वाले म्यूजिकल टूर पर ले गये। इसमें फ्रेंच और इंग्लिश शाही परिवारों के सामने प्रदर्शन भी किए।
उस समय एक की-बोर्ड परफॉर्मर के रूप में मोजार्ट सबसे अधिक प्रसिद्ध बाल प्रतिभा थे। उन्होंने एक संगीतकार और एक अरेंजर के रूप में अपनी गहरी छाप छोड़ी। लंदन में उन्हें संगीतकार जोहान्न क्रिस्टियन बाख से काफी प्रशंसा मिली और पूरे यूरोप में बहुत छोटी उम्र में ही उनका विविध शैलियों के संगीत से परिचय हुआ।
दस से सत्रह साल की उम्र में ली संगीतकार के रूप में मोजार्ट की प्रतिष्ठता कई दिग्गज संगीतकारों के बराबर हो गई। उन्होंने 1766 से 1769 तक का समय सेल्जबर्ग में स्कूलों के नाटकों के लिये जर्मन और लैटिन में संगीत और इंस्टू्मेंटल वर्क लिखने में बिताया। 1768 में उन्होंने अपना पहला वास्तवकि ऑपेरा लिखा जर्मन सिंग्सपाइल (यह बोले जाने वाले संवादों के साथ था), बासतीन और बासतिन्ने। अपनी बढ़ती हुई प्रतिष्ठता के बाजूद मोजार्ट ने पाया कि उनके लिये कोई उपयुक्त पद उपलब्ध नहीं है और एक बार उनके पिता 1769 में, जब उनकी उम्र चौदह साल थी, अपने साथ इटली ले गये, ताकि उनको ओपेरा कंपोजर बनाने के लिये मार्ग खोजने का प्रयास किया जाये।
इटली में मोजार्ट को काफी सम्मान मिला। मिलान में उन्हें एक ऑपेरा की जिम्मेदारी मिली। रोम में उन्हें पोप द्वारा मानद नाइटली आर्डर दिया गया। इटली के बोलोना के एकेडेमिया फिलारमोनिका ने उन्हें अपनी सदस्यता प्रदान की, इस तथ्यके बावजूद कि सामान्यत: संभावित उम्मीदवार की उम्र 20 वर्ष होना चाहिए। इटली में इतने वर्षोंकी यात्राओं और वापस सेल्जबर्ग आने की यात्रा के बीच में, उन्होंने अपना पहला बड़े पैमाने पर ओपेरा सेरिया पर निर्मित किया : मित्रीदेत (1770), एस्केनियो इन एल्बा (1771) और लूसियो सिल्ला (1772)। इसके साथ अपना पहला स्ट्रिंग क्वार्टेट्स किया। 1771 में सेल्जबबर्ग में उन्होंने अपनी सिस्फनीज के लेखन का नवीनकरण किया (नंबर 14-21)।
पैरिस मोजार्ट की योग्यता के लिये एक बड़ा मंच था। उनके पिता ने उन्हें वहां जाने के लिये प्रेरित किया, ताकि पैरिस से उस व्यक्ति की प्रसिद्धी, जो महान प्रतिभा का धनी है, सारे संसार में गूंजे, लेकिन पैरिस में नौ कठिन महीने बिताने के बाद, मोजार्ट एक बार फिर वापस सेल्जबर्ग आ गये। अपने पैर जमाने में अक्षमता के कारण उन्हें किसी ओपेरा ने काम नहीं दिया। कुछ छुटपुट संगीत से जुड़े कामों के अलावा। वह पैसा कमाने के लिये संगीत की शिक्षा देने लगे।
मोजार्ट ने जो दस साल (25 साल की उम्र से 35 साल) अपनी मृत्यु तक संगीत के लिए किया, वह इतनी कम अवधि में संगीत के महानतम विकासों में से एक था। इन दस वर्षों में मोजार्ट का संगीत बड़ीतेजी से विकसित हुआ।
इस काल में जो मुख्य इंस्टूमेंटल वर्क हुए, उसने मोजर्ट की पूर्वी में की गई गतिविधियों के सभी क्षेत्रों को एक साथ ला दिया और कुछ बिल्कुल नई सिम्फनियां, जिनमें प्रसिद्ध अंतिम तीन, ई-फ्लैट मैजर में नंबर 39, जी माइनर में नंबर 40 और सी मैजर में नंबर 41 (द जूपिटर,एक शीर्षक, जिससे मोजार्ट अनजान थे)। उन्होंने यह तीनों कार्य छह सप्ताह के दौरान समाप्त कर लिये।
स्टिंग क्वाट्रेट में मोजार्ट ने दो महत्वपूर्ण समूह निर्मित किए, जिन्होंने 1780 के पूर्व किये उनके कार्यों को कम कर दिया। 1785 में उन्होंने क्वाट्रेट्स और 1786 में इसमें एक सिंगल होफमेइस्टर क्वाट्रेट जोड़ा। 1789 में उन्होंने अंतिम तीन क्वाट्रेट्स लिखे, जो पर्शिया के सम्राट फ्रेडरिक विलियम को समर्पित थे। वह स्वयं एक प्रसिद्ध सोलोवादक थे।
5 दिसंबर, 1791 को इस महान संगीतकार की मात्र 35 वर्ष की आयु में ऑस्ट्रिया के वियना में मृत्यु हो गई।
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